scriptआज भीमगढ़ बांध की नहरों से छोड़ा गया पानी | Water released from the canals of the Bhimgarh dam today | Patrika News

आज भीमगढ़ बांध की नहरों से छोड़ा गया पानी

locationसिवनीPublished: Nov 20, 2019 11:49:17 am

Submitted by:

mantosh singh

टेल तक पानी पहुंचने में लगेगा एक हफ्ते का समय, बढ़ेगी रफ्तार

आज भीमगढ़ बांध की नहरों से छोड़ा गया पानी

आज भीमगढ़ बांध की नहरों से छोड़ा गया पानी

सिवनी. भीमगढ़ के संजय सरोवर बांध की नहरों में 20 नवंबर बुधवार से सिंचाई का पानी छोड़ा जाएगा। हाल ही में हुई जलसंसाधन विभाग, जल उपभोक्ता संथा व जनप्रतिनिधियों की बैठक के बाद बांध की नहरों से पलेवा के लिए पानी छोडऩे पर सहमति बनी है। हालाकि अभी भी जनप्रतिनिधियों व किसानों का कहना है कि फसलों के लिए खेत अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है। इसलिए भीमगढ़ बांध से कुछ दिनों बाद पानी छोड़ा जाए। इस साल अच्छी बारिश के कारण बांध में उच्चतम स्तर तक पानी का भराव हुआ है।
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बांध की एलबीसी और आरबीसी नहरों से छोड़ा जाने वाले सिंचाई का पानी टेल क्षेत्र तक पहुंचने में करीब एक हफ्ते का वक्त लगता है। ऐसे में मांग बढऩे पर अचानक टेल क्षेत्र के किसानों तक पानी पहुंचा पाना संभव नहीं होता है। नहर की उच्चतम क्षमता 1200 क्युसिक है। 200 क्युसिक की क्षमता पर 20 नवंबर से मुख्य नहरों से पानी छोड़ा जाएगा। ताकि जरूरतमंद किसानों को सिंचाई का पानी मिल सके। 25 नवंबर से नहर की क्षमता बढ़ाई जाएगी ताकि किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सके।
जलसंसाधन विभाग संभाग केवलारी के कार्यपालन यंत्री पीसी महाजन ने बताया कि भीमगढ़ बांध की एलबीसी और आरबीसी मुख्य नहर की लंबाई करीब डेढ़ सौ किमी है। आरबीसी नहर 90 किमी लंबी है। जबकि एलबीसी नहर की लंबाई करीब 70 किमी है। इसके अलावा डिस्टीब्युटरी और माइनर नहरों का जाल भी केवलारी, छपारा, पलारी, धनौरा क्षेत्र में बिछा हुआ है। इन नहरों से बांध का पानी किसानों के खेतों तक पहुंचता है। कच्ची मिट्टी की नहरें होने के कारण कुछ मात्रा में पानी वेस्टेज हो जाता है। करीब 5 से 10 परसेंट नहरें में ही लाइनिंग कांक्रीटीकृत है।
वैनगंगा नदी में छपारा के भीमगढ़ में सन 1972 में संजय सरोवर बांध का निर्माण जलसंसाधन विभाग द्वारा कराया गया था। एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बांध में अपनी पहचान बना चुके भीमगढ़ बांध को देखने के लिए सैलानी भी दूर दूर से यहां पहुंचते हैं। बांध से सिवनी के साथ ही पड़ोसी बालाघाट जिले के किसानों को सिंचाई का पानी दिया जाता है। इस साल बांध से करीब 60 हजार हे. रकबे की जमीन को सिंचाई का पानी देने का लक्ष्य रखा है। बांध का 20 प्रतिशत पानी बालाघाट व 80 प्रतिशत पानी सिवनी के किसानों को दिया जाता है।
टेल क्षेत्र के किसानों तक जरूरत के समय सिंचाई का पानी नहीं पहुंच पाता है। इसकी मुख्य वजह नहर में सिंचाई के लिए मोटरपंप होते हैं। बड़े किसान खेतों के पास मोटरपंप लगाकर नहर का पानी खींच लेते हैं। जिससे टेल क्षेत्र के किसानों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। हालाकि सिंचाई विभाग इसके लिए नहर में टीमें भी तैनात करता है। अवैध कनेक्शन मिलने पर किसानों के मोटरपंप जब्त किए जाते हैं। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कई किसानों को परमानेंट कनेक्शन दे रखे हैं। वहीं किसानों के खेतों में ट्रांसफार्मर लगे होने के कारण किसान जरूरत के मुताबिक खेतों में मोटरपंप लगा लेते हैं। इस साल सिंचाई विभाग ने 60 से 70 लाख रुपए राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा है।
इनका कहना है-
बैठक में 20 नवंबर से भीमगढ़ बांध की नहरों से सिंचाई के लिए पानी छोड़े जाने पर सहमति बनी है। हालाकि अभी कुछ किसानों के खेत तैयार हो रहे हैं। इसलिए 25 तारीख तक नहरों को पूरी क्षमता से खोला जाएगा। फिलहाल नहरों को शुरू कर दिया जाएगा। ताकि टेल क्षेत्र के किसानों तक पानी पहुंच सके।
पीसी महाजन, कार्यपालन यंत्री जलसंसाधन विभाग केवलारी
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