scriptबारिश के कारण देरी से आएगी तरबूज की फसल | Watermelon crop will be delayed due to rain | Patrika News

बारिश के कारण देरी से आएगी तरबूज की फसल

locationसिवनीPublished: Feb 27, 2020 12:12:05 pm

Submitted by:

mantosh singh

जहां तरबूज होता है वहां भरा है पानी

बारिश के कारण देरी से आएगी तरबूज की फसल

बारिश के कारण देरी से आएगी तरबूज की फसल

सिवनी. जिले के छपारा क्षेत्र में वैनगंगा के किनारे कछारों में हर साल तरबूज की फसल बोई जाती है। इस साल इस फसल के देर से और कम मात्रा में आने की आशंका है। इसकी वजह यह है कि जिले में अच्छी बारिश के चलते वैनगंगा का किनारे सूखे नहीं है। जिसके कारण किसानों को जमीन नहीं दी जा रही है। जिले में छपारा के तरबूजों की अच्छी खासी पहचान है और यहां के तरबूज जिले के अलावा बाहर के जिलों मेे भी जाते हैं।
भले जिले के दूसरे हिस्सों में अच्छी बारिश किसानों के लिए वरदान साबित हुई हो। जिसके कारण इस साल धान और मक्का की फसल काफी अच्छी हुई है। वहीं छपारा के तरबूज की खेती करने वाले किसान मायूस हैं। किसानों की मायूसी का कारण यह है कि इस साल अच्छी बारिश हुई है। जिसके कारण वैनगंगा फरवरी के आखिरी दिनों में भी लबालब बह रही है। जिसके कारण नदी के किनारे अभी भी भरे हुए हैं। दूसरे वर्षों में इन दिनों तक वैनगंगा काफी सिकुड़ जाती थी। जमीन के खुलने से नदी के किनारे रहने वाले किसान परिवार जमीन का अस्थाई पट्टा लेकर तरबूज, मूंगफली और राजगिर जैसी खेती करने लग जाते थे। तरबूज की यह फसल किसानों के लिए साल के बोनस की तरह होती है। जिससे अच्छी खासी आवक हो जाती है। इस साल नदी के अब तक भरे होने के कारण जहां जिले और महाराष्ट्र में गेहूं और दूसरी फसलों की खेती करने वाले किसान सुरक्षित भविष्य की सोचकर खुश हैं वहीं तरबूज और इस तरह की दूसरी खेती करने वाले किसान मायूस हैं।
छपारा के पास एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध भीमगढ़ में बना हुआ है। इस बांध के डूब क्षेत्र में छपारा के कई गांवों की जमीन आती है। मानसून के बाद जब भीमगढ़ बांध का पानी कुछ कम होता है तो छपारा के किनारे से लगे गांवों देवरी, छपारा, सादक सिवनी, माल्हनवाड़ा, गोहनास, सेमरिया, सुआखेड़ा आदि गांवों की किसानों की जमीन का पानी उतरता है। तो किसान इस जमीन का अस्थाई पट्टा लेकर खेतों में तरबूज, मूंग, उड़द आदि की खेती करते हैं। किसानों को दो-तीन माह की अल्पावधि में अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है। साल भर में सिर्फ एक खेती कर ये किसान अपना मुनाफा निकाल लेते हैं।
जिले के छपारा और संजय सरोवर बांध के किनारों पर खेती करने वाले किसानों के लिए इस बार अच्छा मौसम परेशानी का सबब बन गया है। नदी के भरे होने के कारण किसानों के लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि वे कैसे जमीन का पट्टा लें। देवरी गांव के किसान श्याम उइके का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल अबतक मात्र पचास फीसदी ही जमीन नदी के पानी से मुक्त हो पाई है। ऐसे में देर से खेती होनी तय है। किसानों ने अबतक खेती की शुरुआत नहीं की है। हाल के दिनों में एक बार फिर मौसम ने रंग बदला है। जिसके कारण किसानों की चिंताएं और बढ़ रही हैं। यदि एक बार फिर बारिश हो जाती है तो खेती का रकबा और कम हो जाएगा।
दूसरे राज्यों तक जाता है छपारा का तरबूज-
जिले में छपारा खासतौर पर सीताफल के लिए प्रसिद्ध है। इसके साथ ही यहां गर्मियों के दिनों में होने वाली तरबूज की फसल भी परपंरागत खेती से हटकर लोकप्रिय होती जा रही है। जिले के अलावा छत्तीसगढ़ और प्रदेश के दूसरे जिलों में छपारा का तरबूज जाता है।
छपारा क्षेत्र में वर्ष 2011 से तरबूज की पैदावार बढ़ी है। शुरुआती दौर में कुछ किसानों ने वैनगंगा नदी के डूब क्षेत्र की सीमित जमीन में तरबूज की फसल लगाई थी। फसल अच्छी होने के बाद धीरे-धीरे अन्य किसानों ने भी तरबूज की फसल लगाना शुरु कर दिया। क्षेत्र के वैनगंगा नदी तट के किनारे बसे देवरी, सादकसिवनी, माल्हनवाड़ा, सुआखेड़ा, सिमरिया, झिलमिली के लोग सैकड़ों हेक्टेयर जमीन में तरबूज की फसल लगा रहे हैं।

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