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इस क्षेत्र में महिलाएं आज भी पुरूषों से पीछे हैं…

locationसिवनीPublished: Mar 01, 2020 12:19:16 pm

Submitted by:

sunil vanderwar

देश की मात्र 30 प्रतिशत महिलायें ही करती है शोध कार्य

इस क्षेत्र में महिलाएं आज भी पुरूषों से पीछे हैं...

इस क्षेत्र में महिलाएं आज भी पुरूषों से पीछे हैं…

सिवनी. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को इस वर्ष महिलाओं के योगदान से जोड़ा गया है। निश्चित ही पुरूष की तुलना में महिलाऐं हर क्षेत्र में उतना योगदान नही दे पातीं, लेकिन वर्तमान में जिस तरह से महिलाऐं हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं। इसी तरह विज्ञान के क्षेत्र में भी महिलाओं के योगदान से निश्चित ही इस क्षेत्र को बल मिलेगा। वर्तमान में जो सोसायटी है वह पुरूष प्रधान है। महिलाओं को काम करने के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसी का परिणाम है कि अध्यापन के बाद जब शोध के कार्य के लिए बात होती है तो महिलाऐं आगे नहीं आतीं। देश की 30 प्रतिशत महिलाऐं ही विज्ञान के क्षेत्र में आगे आती हैं। यह बात विज्ञान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय विज्ञान सेमीनार कन्या महाविद्यालय सिवनी में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. रूचिका यदु ने व्यक्त किए।
इस अवसर पर डॉ. शेषराव नावंगे नेे बताया कि अध्ययन के पश्चात मात्र 22 प्रतिशत महिलाऐं ही स्नातक के बाद स्नातकोत्तर एवं शोध प्रबंध के क्षेत्र में आगे जाती हैं। बाकी सब अध्ययन छोड़ देती हंै। भारत में वर्ष 1901 से आज तक 923 नोबल पुरूस्कार दिए गए हैं। इनमें से मात्र 53 महिलाओं को ही यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है। निश्चित ही हम कह सकते हैं कि महिलाओं को इस क्षेत्र में आगे आना पड़ेगा।
प्रोफेसर सोनाली जायसवाल ने कहा कि विज्ञान की अनेक शाखाऐं हैंश् चाहे हम भौतिक की बात कहें या रसायन की या पर्यावरण की सभी से विज्ञान जुड़ा हुआ है। जब हम कृषि की बात करते हैं तो जैव विविधता एवं अन्य क्षेत्रों में भी विज्ञान जुड़ा होता है। प्रो. टीकाराम सनोडिय़ा ने कहा कि हजारों साल तक प्रकृति से जुड़ी हुई वस्तु एक सी स्थिति में रहती है तो वह फासिल्स का रूप धारण कर लेती है। आज भी भारत में ऐसी अनेक वस्तुएं हमें फासिल्स के रूप में प्राप्त होती हंै। हम इन वस्तुओं में प्रायोगिक क्रियाओं के माध्यम से यह पता लगा सकते हैं कि यह कितने वर्ष पुरानी है। प्रो. अनीता कुल्हाड़े ने कहा कि वर्तमान में जो शिक्षा ग्रहण कर रहे है।उनका उद्देश्य देश विकास को लेकर कम रूझान नजर आता है। जबकि विज्ञान के विद्यार्थियों को चाहिए कि वह लक्ष्य लेकर चलें और देश के विकास में सहायक हो। वर्तमान में शासन अनेक योजनाओं के माध्यम से सुविधा प्रदान कर रहा है। तो हमारा भी नैतिक दायित्व है कि हम भी देश को कुछ दें।
इसी कड़ी में संजय जैन ने कहा कि जो मेहनत करते हंै वही लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। विज्ञान से ही देश की उन्नति के आसार हंै। और हम अनेक विषम परिस्थिति में विज्ञान के सहारे ही देश की समस्याओं का समाधान आसानी से कर सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान प्राचार्य डॉ. अर्चना चंदेल ने कहा कि जो ज्ञान को शोध पूर्वक प्राप्त किया जाता है, उसे विज्ञान कहते हंै। यह समय विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए स्वर्णिम समय है। अपनी प्रतिभा के बल पर देश को हम बहुत कुछ दे सकते है। इस अवसर पर वाहीद खान ने भी सम्बोधित कर विज्ञान के व्यापक क्षेत्र में अवसरों को लेकर चर्चा की।

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