दस लोगों की मौत, हाइरिस्क थे मरीज
शनिवार को मेडिकल कॉलेज में कोरोना से दस लोगों की मौत हो गई है। इसमें राजेन्द्रग्राम के 54 वर्षीय अधेड़ को तबीयत खराब होने पर परिजनों ने मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने पर आईसीयू में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसी प्रकार ओपीएम अमलई निवासी 54 साल के अधेड़ की हालत बिगडऩे पर परिजनों ने मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया। बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। चंदिया निवासी 58 वर्षीय अधेड़ को भी हालत खराब होने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। बुढ़ार निवासी 55 वर्षीय महिला को सांस लेने में दिक्कत होने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई। अनूपपुर निवासी 35 वर्षीय युवक की हालत बिगडऩे पर मेडिकल कॉलेज में आईसीयू में भर्ती कराया गया। जहां शनिवार को उसकी मौत हो गई। सिंहपुर निवासी 38 वर्षीय महिला की भी सांस लेने में दिक्कत होने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। इसी प्रकार शडहोल सोहागपुर 50 वर्षीय अधेड़, घरौला मोहल्ला 45 वर्षीय महिला तथा मझौली निवासी 38 वर्षीय युवक की हालत बिगडऩे पर मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
ऑक्सीन स्तर घटा, नहीं की जांच, भर्ती में भी आनाकानी
शनिवार को दो मरीजों की मौत के मामले में प्रबंधन की अनदेखी सामने आई है। पुरानी बस्ती निवासी रामनिवास यादव पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। रेलवे कर्मचारी यादव को वैक्सीन का पहला डोज भी लग गया था। हालत बिगडऩे पर परिजन मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां पर परिजन कोरोना जांच कराने का प्रयास करते रहे लेकिन नहीं हुई। शनिवार को दोबारा परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां पर ऑक्सीजन का स्तर लगातार घट रहा था। परिजनों ने आपत्ति जताते हुए भर्ती करने की बात कही। काफी प्रयास के बाद प्रबंधन ने भर्ती किया और इलाज शुरू होते ही दम तोड़ दिया। परिजनों ने आरोप लगाया है कि पहले जांच और इलाज में लापरवाही की है।
भर्ती करके बोले- जिला अस्पताल जाओ, रास्ते में हो गई मौत
धनपुरी सेंट्रल अस्पताल में से शहडोल रेफर एक महिला ने इलाज शुरू होने से पहले ही दम तोड़ दिया। बताया गया कि ललिता यादव को परिजन धनपुरी अस्पताल लेकर पहुंचे थे। यहां पर सांस लेने में तकलीफ होने पर डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज शहडोल के लिए रेफर कर दिया था। शहडोल मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने पहले भर्ती कर लिया। बाद में दो घंटे तक इलाज करने के बाद जिला अस्पताल शहडोल के लिए रेफर कर दिया। परिजन मिन्नतें करते रहे लेकिन डॉक्टरों ने नहीं सुनी। परिजनों के अनुसार, पहले ही दो घंटे पर्ची और भर्ती करने की प्रक्रिया में लग गया था। इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जा रहे थे तभी रास्ते में मौत हो गई।