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सुबह होते ही 200 बेजुबानों का पेट भरने निकल जाते हैं युवा, 31 सौ घायलों का कर चुके हैं रेस्क्यू

locationशाहडोलPublished: Jul 12, 2020 12:29:01 pm

Submitted by:

amaresh singh

150 से ज्यादा जगहों में रखाए नाद, आहार लेकर घूमती है टीम

200 cattle feed young

सुबह होते ही 200 बेजुबानों का पेट भरने निकल जाते हैं युवा, 31 सौ घायलों का कर चुके हैं रेस्क्यू

शहडोल. सुबह होते ही बेजुबानों का पेट भरने के लिए तैयारियां शुरू हो जाती है। युवाओं की टीम शहर के 200 मवेशियों के लिए आहार लेकर सुबह से निकल जाती है। घूम-घूमकर शहर के अलग-अलग जगहों में मवेशियों को युवाओं की टीम आहार देती है। इतना ही नहीं, मवेशियों के लिए पानी का संकट न हो, इसके लिए इन युवाओं की टीम ने 150 से ज्यादा जगहों में नाद भी रखा चुके हैं। इस संकट की घड़ी में फंसे आम नागरिकों की कई समाज सेवी संगठन आगे आकर मदद कर रहे है। इस हालात में सबसे बड़ा संकट उन बेजुबानों के सामने आन खड़ा हुआ है जो किसी को अपना दुखड़ा सुना भी नहीं सकते। इन बेजुवानों को भोजन व पानी उपलब्ध कराने का बीड़ा अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान व सेवा संस्थान के नौजवानों ने उठाया है। संस्थान के गौरव मिश्रा ने बताया कि युवाओं की यह टीम रात में ही तैयारी शुरू कर देते हैं। सुबह होते ही लगभग 200 जानवरों के लिए भूसा, हरा चारा, सब्जियां व अन्य खाद्य सामग्री लेकर नगर में निकल पड़ते हैं। जहां भी भूखे प्यासे बेजुवान जानवर नजर आते हैं वहां उन्हे युवा उनके पेट भरने की व्यवस्था करते हैं।


वाहन में लगाई थी एक हजार लीटर की टंकी
दोपहर के समय यह टीम वाहन में 1000 लीटर की पानी टंकी व एक नाद लेकर निकलते थे। जिसकी मदद से वह प्यासे जानवरों की प्यास बुझाने का काम कर रहे थे। इसके अलावा इन्होने जहां जलस्त्रोतों का अभाव है ऐसे लगभग 150 स्थानों पर टब रखा है। जिसमें भी टंकी के माध्यम से प्रतिदिन पानी भरा जाता है। जिससे कि प्यासे जानवरों को पानी मिल सके। इसके लिए उन्होने लोगों से भी अपील की है कि वह अपने घर के सामने खाली नाद में पानी भरें या फिर कोई ऐसे बर्तन में पानी भरकर रखें जिससे कि जानवर अपनी प्यास बुझा सकें।


दो सौ से ज्यादा गाय और अन्य जानवरों का रेस्क्यू
कोरोना संक्रमण के बीच अब तक युवाओं की इस टीम ने नगर के अलग-अलग क्षेत्रों से लगभग 200 ऐसे जानवरों का रेस्क्यू किया है जो बीमार है या फिर घायल है। इन जानवरों को वह अपने साथ लेजाकर उनका इलाज कर रहे हैं और जब तक वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो जाते तब तक उनकी देखरेख भी कर रहे हैं। इन जानवरों में 1 घोड़े, 28 गाय बैल, 2 श्वान, 1 चिडिय़ा भी शामिल है।
बैलों को छोड़ रहे खुला, हादसे के बाद अब तक 31 सौ का किया रेस्क्यू
जानवरों का इलाज व उन्हे भोजन मुहैया कराने के लिए उक्त संस्था लगभग तीन वर्ष से काम कर रही है। इस संस्था ने अब तक लगभग 31 सौ से अधिक जानवरों का रेस्क्यू कर उन्हे इलाज और आवश्यक सेवा कर चुके हैं। जिसमें 90 फीसदी से बैल हैं। गौरव बताते हैं, लोग सड़कों पर छोड़ देते हैं। अक्सर ये हादसे का शिकार हो जाते हैं। यह पूरी सेवा युवाओं की यह टीम आपस में ही मिलकर कर रही है।


हर दिन घर पहुंचकर लेते हैं रोटी और चावल, फिर घूम-घूमकर खिलाते हैं
गौरव के अनुसार, हर दिन युवाओं की टीम घर-घर पहुंचकर रोटी और चावल लेती है। ये टीम बाद में शहर के अलग- अलग हिस्सों में घूमकर श्वान और मवेशियों को खाना खिलाते हैं। इसमें शहडोल की शिक्षिका प्रीति श्रीवास्तव भी भूमिका निभा रही हैं। आर्थिक मदद के साथ अलग- अलग जगहों पर खुद खाना लेकर मवेशियों के लिए हर शाम पहुंचती हैं। आर्थिक मदद भी कर रही हैं। इनके साथ धीरज साहू, आनंद गुप्ता, विकास जोतवानी, कशिश सोनी, प्रतीक गुप्ता, राहुल निषाद, अमन चौहान, दिपाली तिवारी, हिमांशी पटेल, अमर सोनी भी शामिल हैं।

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