मचान में सो रहे युवक को हाथियों ने घेरा
बताया गया कि एक किसान मचान बनाकर खेत की रखवारी कर रहा था। नींद आ जाने की वजह से किसान शिवप्रसाद सो गया तभी हाथी अचानक मचान के पास आकर घेर लिया। इस दौरान हाथियों ने लकड़ी की मचान को गिराने का प्रयास किया। किसी तरह किसान जान बचाकर भाग निकला। इस दौरान किसान को चोट भी आई है। इसके बाद हाथियों का झुंड बारी में घुस गया और नुकसान पहुंचाया। ग्रामीणों ने बताया कि रात में खेत और गांव में आग लगाकर खुद की सुरक्षा कर रहे हैं। खेतों में आग लगाने के बाद हाथियों का झुण्ड दो से तीन घंटे तक नुकसान पहुंचाने के बाद निकल गए। पूरे गांव में हाथियों का मूवमेंट है। इसके बावजूद कोई भी वनकर्मी नजर नहीं आया। न ही बचाव के लिए फॉरेस्ट अमले ने किसी प्रकार का प्रयास किया गया। शनिवार की सुबह होते ही सूचना फॉरेस्ट विभाग को दी गई लेकिन कोई अधिकारी नहीं पहुंचे। ग्रामीणों ने बताया कि वन्यजीवों की वजह से हर साल उनकी फसल और घर बर्बाद हो जाते हैं, नुकसान होता है लेकिन उनको कभी भी इस नुकसान की कोई भी मुआवजा राशि नहीं दी जाती है ।
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4 दिन से दे रहे सूचना, फिर भी अधिकारी नहीं पहुंचे
ग्रामीण शिवपाल सिंह, रमेश यादव, रामनाथ पाल, बिरहाही पाल ने बताया कि हाथियों के उत्पात की जानकारी रात में ही विभाग को दी गई थी। 4 से 5 दिन पहले भी बताया गया था कि मूवमेंट है लेकिन बावजूद प्रयास नहीं किए गए। यह क्षेत्र बफर जोन में आता है। आए दिन वन्यजीवों का मूवमेंट रहता है। धनेढी गांव में पिछले 3 दिन पहले हाथियों ने घुसकर 10 एकड़ के आसपास की फसल को नुकसान पहुंचाया है। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को एवं राजस्व विभाग को दी गई लेकिन कोई भी अधिकारी सर्वे के लिए नहीं पहुंचा। मिठाई लाल पाल, फूलचंद पाल, राम सुंदर पाल, अमस्या पाल, बाल्मीक पाल, हीरालाल पाल, हरी लाल पाल, राजकुमार पाल, विशंभर सिंह गौड, रमेश पाल एवं उमेश पाल की फसलों को जंगली हाथियों ने नुकसान पहुंचाया है। किसानों का कहना है कि यदि इस बार नुकसान की भरपाई प्रशासन के द्वारा नहीं की गई तो आत्मदाह करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। किसानों ने बताया कि पिछले 3 सालों से हाथियों के झुंड से परेशान हैं और प्रशासन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। न तो सर्वे करा रहा है और न ही किसी तरह का मुआवजा वितरित कर रहा है।
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