शाहडोल

34 करोड़ की खरीदी में 7 करोड़ की कटौती

शासन की नीति से टूटी किसानों की कमर…

शाहडोलDec 29, 2017 / 09:12 am

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7 crore cut in purchase of 34 crores

शहडोल. प्रकृति की बेरुखी का दंश झेल रहे जिले के किसानों को शासन की नीति भी रुला रही है। किसानो ने बोनी के समय जो ऋण लिया था उसे खरीदी के बाद सीधे काट लिया जा रहा है। इससे बैंक की ऋण वसूली तो हो रही है लेकिन यह वसूली अन्नदातों के जख्म पर नमक का काम कर रही है। इस वर्ष किसानों की उम्मीदो से कम पैदावार हुई है। जिसके चलते किसान पहले से ही परेशान है। वहीं खरीदी केन्द्र में किसान जितने की धान बेंच रहा है उससे लिये गये ऋण की राशि काटकर किसानों को भुगतान किया जा रहा है। भुगतान भी आधा अधूरा ही किया जा रहा है। ऐसे में किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है। एक ओर जहां अन्नदाता जिले को सूखा घोषित कराने के लिये लगातार धरना प्रदर्शन कर रहा है दूसरी तरफ शासन की नीतियां उन्हें और कष्ट दे रही है। किसानों से लगभग 34 करोड़ की धान खरीदी की गई जिससे लगभग 7 करोड़ की ऋण वसूली करने के बाद भुगतान किया जा रहा है। जिले में 26 दिसम्बर की स्थिति में 5240 किसानों से कुल 33 करोड़ 76 लाख 73 हजार 963 रुपये की धान खरीदी की गई। जिसमें से विभाग ने 6 करोड़ 41 लाख 56 हजार 63 रुपये की कटौती कर ली है। कटौती के बाद किसानों को 27 करोड़ 35 लाख 17 हजार 900 रुपये का भुगतान किया जाना है।
आधा-अधूरा भुगतान
खरीफ की बोनी के लिये किसानों ने जो ऋण लिया था उसकी कटौती में विभाग जरा भी लेट-लतीफी नही कर रहा है। खरीदी के बाद किसानों को भुगतान के पहले ऋण की राशि कटौती कर ले रहा है। इसके बाद शुद्ध भुगतान के लिये राशि जारी कर रहा है। जबकि किसानों को जो भुगतान किया जा रहा है वह अलग-अलग किश्तों में किया जा रहा है। अभी तक की खरीदी के एवज में 27 करोड़ 35 लाख 17 हजार 900 रुपये का भुगतान किया जाना था। जिसके विपरीत किसानों को महज 18 करोड़ 37 लाख 96 हजार 996 रुपये का ही भुगतान किया गया है। किसानों का अभी भी 8 करोड़ 97 लाख 20 हजार 904 रुपये का भुगतान शेष रह गया है। जबकि ऋण वसूली पूरी कर ली गई है।
आगे क्या करेगा किसान?
किसान ने जिस उम्मीद से खरीफ की बोनी की थी उन उम्मीदों पर अल्प वर्षा ने पानी फेर दिया है। जो पैदावार हुई है उससे किसानों ने आगे की कई व्यवस्थायें सोच रखी थी। जिस पर शासन की ऋण वसूली की नीति ने जख्म पर नमक छिड़कने का काम किया है। कर्ज की कटौती के बाद किसानों के पास जो राशि आ रही है उससे किसान क्या करे यह सोचकर ही हैरान है। जिले का अन्नदाता सूखा घोषित करने की भी लड़ाई लड़ चुका है लेकिन शासन वह भी मानने के लिये तैयार नही है ऊपर से यह कटौती का चाबुक चला रही है।
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