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इओडब्लू जांच से घिरी नपा में एक और गड़बड़ी, आपत्ति के बाद भी आगे बढ़ा दी फाइल

locationशाहडोलPublished: Oct 29, 2020 01:05:11 pm

Submitted by:

amaresh singh

इओडब्लू में इंजीनियर पर पूर्व में दर्ज हो चुका है मामला, उसे ही योजना की दे दी जिम्मेदारी

Another disturbance in NAPA surrounded by IOW investigation

इओडब्लू जांच से घिरी नपा में एक और गड़बड़ी, आपत्ति के बाद भी आगे बढ़ा दी फाइल

शुभम बघेल

शहडोल. ईओडब्लू की जांच से घिरी नगरपालिका शहडोल में एक और गड़बड़ी सामने आई है। मुख्यमंत्री शहरी नल-जल योजना में अधिकारियों की गठजोड़ उजागर हुई है। ऑडिट टीम की आपत्ति के बाद भी ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने फाइल आगे बढ़ा दी है। इतना ही नहीं, पूरी फाइल में भौतिक सत्यापन और मूल्यांकन रिपोर्ट भी नहीं थी। इसके बाद भी अधिकारियों ने कार्रवाई करने के बजाय फाइल को भुगतान के लिए आगे बढ़ा दिया। मामले में तकनीक टीम से लेकर नगरपालिका के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। जानकारी के अनुसार, मुख्यालय से आई मुख्यमंत्री शहरी नल-जल योजना की फाइल में क्वांटिटी और इस्टीमेट में भी खामियां थी। फाइल में ऑडिट टीम व अधिकारियों ने भुगतान को लेकर आपत्ति की थी। दरअसल भोपाल से इस्टीमेट बनकर आया था। इसमें क्वांटिटी ऐसी भी थी जो भोपाल से नहीं आई थी। बाद में अधिकारियों ने यहां खुद बना लिया था। फाइल में भौतिक व मूल्यांकन रिपोर्ट भी नहीं थी। एमबी में भी खामियां थी। जिस में अधिकारियों की भुगतान न करने को लेकर दो बार फाइल में टीप भी है।


सात वर्ष पहले योजना, अभी भी खामियां
शहडोल शहर में मुख्यमंत्री शहरी नल-जल योजना लगभग सात वर्ष पूर्व 2012-13 में स्वीकृत हुई थी। निर्माण लगभग 23 करोड़ की लागत से किया जाना था। जिसमें पांच पानी टंकियों का निर्माण, सरफा में इंटेकवेल, एचटीलाइन, पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया जाना था। अभी भी व्यवस्थित तरीके से शुरू नहीं हो सकी है। हालांकि अभी ठेकेदार का लगभग दो करोड़ का भुगतान रुका हुआ भी है।


न गरपालिका शहडोल वित्तीय अनियमितताओं और हेरफेर को लेकर हमेशा से सुर्खियों में रही है। कई मामलों में नगरपालिका की जांच इओडब्लू कर रहा है। पूर्व के एक मामले में जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों को आरोपी तक बनाया जा चुका है, इसके बावजूद गड़बडिय़ां कम नहीं हो रही हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस इंजीनियर को पूर्व में इओडब्लू ने आरोपी बनाया था, उसे ही इस पूरे मुख्यमंत्री शहरी नल-जल योजना की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 2015 में अधिकारियों ने शॉपिंग काम्प्लेक्स और एलइडी को लेकर वित्तीय अनियमितता की थी। इस मामले में कई अधिकारियों को आरोपी बनाया था। इसके बाद हाल ही में एक और मामले को लेकर इओडब्लू ने नगरपालिका में दबिश दी थी। दो शिकायतें 2018-2019 की थी। यहां पार्षदों की सहमति के बिना रिकार्ड का हेरफेर के अलावा 2012 से 2014 में निर्माण कार्य और सामग्री खरीदी में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। इसके साथ ही 2018 में सामुदायिक भवन बनाने में भी गड़बड़ी हुई थी। यहां पर वित्तीय अनियमितता करते हुए जगह ही बदल दी थी। इओडब्लू की टीम दस्तावेज भी जब्त कर ले
गई थी।


जानकारी के अनुसार, योजना के लिए स्वीकृत राशि में वर्ष 2019-20 में लगभग 1 करोड़ की राशि वृद्धि भी की गई थी। 23 करोड की यह मुख्यमंत्री शहरी नल-जल योजना पूर्ण हो चुकी है और इससे जलापूर्ति भी चालू कर दी गई है। जबकि ठेकेदार द्वारा इसे हैण्डओवर भी नहीं किया गया। इसमें इंजीनियरों की लापरवाही के चलते तकनीक खामियां भी हैं। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी नगर के घरों तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पा रहा है। आए दिन पाइप लाइन फूटने व लीकेज हो रही है। मुख्यमंत्री शहरी नल-जल योजना के निर्माण में बरती गई लापरवाही व कराए गए गुणवत्ताहीन कार्य को लेकर पार्षद ने डेढ़ वर्ष पूर्व 27 जून 2019 को जिला प्रशासन से शिकायत कर जांच की मांग की थी। जिस पर तत्कालीन कलेक्टर द्वारा जांच टीम गठित कर मामले की जांच के निर्देश दिए गए थे। इस बीच जांच टीम में शामिल अधिकारी के साथ ही कलेक्टर का तबादला हो गया।

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