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गड़बड़ी: कोरोना ड्यूटी के नाम पर नियुक्ति, अस्पताल आए बिना निकाल रही तनख्वाह

locationशाहडोलPublished: Sep 17, 2020 12:23:55 pm

Submitted by:

amaresh singh

हाजिरी रजिस्टर को खाली छोड़ा, ताकि आपत्ति आने पर दर्ज कर सके उपस्थिति

Appointed in the name of corona duty, withdrawing salary

गड़बड़ी: कोरोना ड्यूटी के नाम पर नियुक्ति, अस्पताल आए बिना निकाल रही तनख्वाह

शहडोल. कोरोना संक्रमण के बीच नेशनल हेल्थ मिशन से स्वास्थ्य विभाग शहडोल में हुई डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की अस्थायी भर्ती में गड़बड़ी सामने आई है। यहां नियुक्त डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना मरीजों के इलाज के अलावा दूसरे काम लिए जा रहे हैं। गिनती के दिनों में ही कोरोना मरीजों के इलाज और जांच में ड्यूटी लगाई जा रही है। कुछ डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी ऐसे हैं, जो अस्पताल ही नहीं आ रहे हैं। इसके बावजूद अधिकारियों से नजदीकियों के चलते हर माह भारी भरकम तनख्वाह भी निकल रही है। अनुपस्थित डॉक्टरों के खिलाफ कमिश्नर शहडोल की सख्ती के बाद स्वास्थ्य विभाग में कोरोना ड्यूटी के नाम पर नियुक्त लगातार अनुपस्थित चल रहे डॉक्टरों का मामला भी सामने आया है। दरअसल एनएचएम के माध्यम से मार्च में 16 और अभी 20 डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति की गई है। इसमें एमडी, एमबीबीएस, आयुष डॉक्टर और स्टॉफ नर्स के अलावा लैब टेक्नीशियन की नियुक्तियां करना था। अधिकारी बिना हाजिरी के एनएचएम के माध्यम से वेतन भी निकाल रहे हैं। एनएचएम डीपीएम के अनुसार, सैलरी के लिए सिविल सर्जन कार्यालय से जानकारी आती है, उसी के आधार पर वेतन देते हैं। भुगतान कर दिया जाता है।


खाली छोड़ी जगह, ताकि भर सकें उपस्थिति
सीएमएचओ डॉ राजेश पांडेय की पत्नी डॉ मंजू पांडेय की 21 अप्रैल 2020 को नियुक्ति हुई थी। वे पिछले लम्बे समय से अनुपस्थित चल रही हैं। गिनती के दिन की अस्पताल में ड्यूटी के लिए पहुंच रही हैं। पत्रिका के हाथ उपस्थिति रजिस्टर और दस्तावेज लगे हैं। इसमें अगस्त और सितंबर में एक भी दिन की उपस्थिति नहीं है, जबकि बाकी डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की बकायदा उपस्थिति बताई गई है। अधिकारियों ने अगस्त और सितंबर के हाजिरी रजिस्टर को खाली छोड़ दिया है, जिससे आपत्ति आने पर उपस्थिति दिखाई जा सके। इनके अलावा बाकी डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों के उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर भी है। कोरोना संक्रमण के बीच मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में ड्यूटी करने से प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर कतरा रहे हैं। कुछ डॉक्टरों की बार-बार कोरोना वार्ड में ड्यूटी लग रही हैं। जबकि कई डॉक्टर ऐसे हैं, जिनकी पिछले पिछले पांच माह में एक भी बार वार्ड में ड्यूटी नहीं लगी है। कई डॉक्टर्स ड्यूटी से अपना नाम भी कटा रहे हैं। डॉक्टरों की वार्ड से अलग कोविड के दूसरे कामों में ड्यूटी लगा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में कोरोना वार्ड में ड्यूटी में सिर्फ 75 फीसदी डॉक्टरों की ही ड्यूटी लगी है। इससे डॉक्टरों पर काम का भार भी बढ़ रहा है। प्रबंधन के अनुसार, 53 डॉक्टरों में से अब तक 39 डॉक्टरों की ही कोरोना वार्ड में इलाज के लिए ड्यूटी लगी है। इसके चलते एक ही डॉक्टरों को कई बार ड्यूटी करनी पड़ रही है।

ऑक्सीजन और दवा सप्लाई के नाम ड्यूटी
30 असिस्टेंट प्रोफेसरों में से 27 की ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगी है। प्रबंधन का तर्क है कि इसमें दो असिस्टेंट प्रोफेसर एमबीबीएस नहीं है, इसलिए ड्यूटी नहीं लगाई है, जबकि एक की ड्यूटी दूसरे कार्यों में लगाई है। कुछ की कोविड केयर सेंटर में तो कुछ की पैथोलॉजी में ड्यूटी लगाई है। 39 डॉक्टरों की जहां कोरोना वार्ड में बार-बार ड्यूटी लग रही है। जबकि 14 डॉक्टरों लगातार कोविड वार्ड की ड्यूटी से बचते आ रहे हैं। कुछ की कोविड केयर सेंटर में, पैथोलॉजी में, माइक्रोबायोलॉजी में, बायोकेमिस्ट्री में, गैस ऑक्सीजन और दवाईयों के आर्डर से जुड़े कार्यों में ड्यूटी बार-बार लगा रहे हैं। इन डॉक्टरों को कोरोना वार्ड में ड्यूटी अब तक नहीं लगाई गई है।

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