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आरटीओ के अधीन होगी ऑटो पार्टस् की दुकानें

locationशाहडोलPublished: Aug 14, 2019 09:19:09 pm

Submitted by:

brijesh sirmour

एसेसरीज विक्रेताओं को परिवहन विभाग से लेनी होगी अनुमति

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Auto parts shops will be subject to RTO

शहडोल. जिले में अब ऑटो पार्टस् की दुकानें क्षेत्रीय परिवहन विभाग के अधीन होगी और दो पहिया और चार पहिया वाहनों के एसेसरीज विक्रेताओं को अब नए नियमों का पालन करना होगा। नए नियमों के तहत अब एसेसरीज विक्रेताओं को ऑटो पार्टस् विक्रय के लिए परिवहन विभाग से अनुमति लेनी होगी। उन्हें सिर्फ वहीं एसेसरीज बेचना होगा, जो नियमों के दायरे में आएंगी। इसके बाद भी यदि कोई दुकानदार नियम विरूद्ध बिक्री करते पाया जाएगा तो उसके खिलाफ केंद्रीय मोटरयान नियम 1989 के तहत कार्रवाई की जाएगी। नियम का पालन कराने का जिम्मा संबंधित जिले के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी का होगा। इस संबंध मेें प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय मोटरयान नियम 1989 के तहत सभी ऑटो पाट्र्स विक्रेताओं को परिवहन अधिकारी कार्यालय में व्यवसाय प्रमाण-पत्र का पंजीयन कराना होगा। गौरतलब है कि मोटर पाट्र्स बेचने वाले तरह-तरह के ऐसेसरीज से वाहन चालकों को लुभाकर उनके वाहनों में लगा देते हैं। जिसका खामियाजा वाहन चालकों को भुगतना पड़ता है, लेकिन अब ऐसा करना आसान नहीं होगा।
प्रतिबंधित हो जाएंगे तेज आवाज के साइलेंस व काली फिल्म
विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में तेज आवाज वाले साइलेंसरों पर अब पूर्ण रूप से रोक लगेगी। इसके अलावा काली फिल्म व तेज रोशनी देने वाली हैड लाइट भी मोटर पाट्र्स विके्रता वाहनों पर नहीं लगा सकेंगे। गौरतलब है कि तेज आवाज वाले साइलेंसर ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने के साथ आमजनों का ध्यान भंग कर रहें हैं। जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इसके अलावा काली फिल्में भी कई दुर्घटनाओं का कारण बनती है।
मुनाफे के चक्कर में होता है नियमों का उल्लंघन
बताया गया है कि वर्तमान में ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में ऑटो पाट्र्स की दुकानों पर डुप्लीकेट्स पाट्र्स और एसेसरीज बेचने का कारोबार चल रहा है। ऑटो पार्टस् बेचने वालों सबसे ज्यादा कमाई एसेसरीज में होती है, क्योंकि शौक के चक्कर में युवा अपनी मनपसंद एसेसरीज के मनमाने दाम चुकाने को तैयार रहते हैं। जिसका पूरा फायदा ऑटो पार्टस् के दुकानदार उठाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा बिक्री तेज आवाज वाले साइलेंसर्स, हॉर्न के साथ एलईडी लाइट्स की होती है। जो अक्सर दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण बनती है।
इनका कहना है
ऑटो पार्टसï् की दुकानों के संचालन के लिए नए नियमों के निर्देश जारी हो चुके हैं, जिसके तहत जिले की सभी ऑटो पाट्र्स दुकानों की जानकारी जुटाई जा रही है। इसके बाद सभी संचालकों को आरटीओ विभाग से व्यावसायिक प्रमाण पत्र लेना होगा।
आशुतोष भदौरिया, आरटीओ, शहडोल

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