शाहडोल

चना चाबकर भूख मिटा रहे बैगा और गोंड आदिवासी

बैगा और गोंड आदिवासियों पर रोजी रोटी का संकट

शाहडोलApr 10, 2020 / 12:10 pm

lavkush tiwari

Baaga and Gond tribals are starving Chana Chabkarचना चाबकर भूख मिटा रहे बैगा और गोंड आदिवासी

शहडोल. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण जिले में लगाए गए लाकडाउन ने ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रोजगार के साधन बंद होने और प्रशासन की लगी पाबंदी के कारण जहां ग्रामीण मजदूरी करने गांव से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, वहीं प्रशासन की सख्ती के चलते ग्रामीणों के हालात ऐसे हैं कि वह अब चना चबाकर किसी तरह अपनी भूख मिटा रहे हैं। यह हालात किसी एक गांव की नहीं बल्कि संभागीय मुख्यालय से लगे चांपा और ककरहाई सहित आसपास के गांव की है। जहां बैगा और गोंड जाति के लोगों पर अब पेट और परिवार पालने का संकट आ गया है। कई परिवार ऐसे हैं कि उनका गरीबी रेखा सूची में नाम तक दर्ज नहीं होने और राशनकार्ड नहीं होने से गरीबों को सरकारी दुकानों से खाद्यान नहीं मिल पा रहा है। अब हालात ऐसे हैं कि लोग सरकारी मदद की ओर टकटकी लगाए मदद का इंतजार कर रहे हैं। चांपा गांव का आलम ऐसा है कि इस गांव में लगभग 72 बैगा परिवार और गोंड जाति के लगभग 130 परिवार ऐसे हैं जिनके पास मजदूरी के अलावा और अन्य कोई साधन नहीं होने से उन पर अब रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। कई ऐसे परिवार हैं जहां लोगों के घरों में दो से तीन दिन का खाद्यान शेष बचा है। अब इन परिवारों को आगे आने वाले दिनों में राशन की कमी की चिंता सता रही है।
बंद हो गया कामकाज-
चांपा और ककरहाई गांव का आलम ऐसा है कि अधिकांश आदिवासी दिहाड़ी श्रमिक होने के कारण वह ईटाभट्ठे में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषक करते हैं। लेकिन जहां गांव में विकास कार्य बंद हैं, वहीं ईट-भट्ठे का काम बंद होने से लोगों पर रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। अब उन्हें परिवार के भरण पोषण की चिंता सता रही है। वहीं सरकारी सुविधाओं का आलम ऐसा कि गरीबों को दिए जाने वाला खाद्यान भी सरकारी दुकानों से नहीं मिल पा रहा है, जिससे गरीब परिवार अब पेट पालने कर्ज का सहारा ले रहे हैं, लेकिन अब उन्हे कोई कर्ज भी देने के लिए तैयार नहीं है।
चना चाबकर भर रहे पेट- मुन्ना बैगा-
गंाव में सरकारी कामकाज बंद है, प्रशासन द्वारा गांव से निकलने पर पाबंदी लगाई गई है, बाहर जाने पर पुलिस मारपीट करती है। घर में राशन नहीं होने से समस्या आ गई है। सूखा चना चबाकर किसर तरह भूख मिटा रहे हैं।
नहीं बना राशनकार्ड- फुलबतिया बैगा
घर में अब राशन नहीं है, राशनकार्ड नहीं बनने के कारण परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है। कामधाम बंद होने से मजदूरी करने बाहर नहीं जा पा रहे हैं। वहीं ६ महीने से बैगा विकास के द्वारा १ हजार रुपए की सहायता राशि भी नहीं मिल रही है।
परिवार पालना मुश्किल- लाला बैगा
सरकार द्वारा राशन नहीं दिया गया है, मेहनत मजूदरी करके किसी तरह पेट पालते थे, खेती बाड़ी नहीं होने से घर में राशन भी नहीं है। कामकाज बंद है, सरकारी मदद भी नहीं मिली है। बाहर जाने पर पुलिस परेशान करती है। एक टाइम परिवार को भोजन किसी तरह मिल पा रहा है।

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