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पेट में दम तोड़ चुका था शिुश, गिड़गिड़ाते रहे परिजन, नहीं सूने डॉक्टर

locationशाहडोलPublished: Aug 31, 2019 12:56:38 pm

Submitted by:

amaresh singh

कार्रवाई के लिए कमिश्नर को परिजनों ने सौंपा ज्ञापन

baby was dead in stomach family kept on pleading doctor did not listen

पेट में दम तोड़ चुका था शिुश, गिड़गिड़ाते रहे परिजन, नहीं सूने डॉक्टर

शहडोल। जिला अस्पताल में परिजन प्रसूता को लेकर डॉक्टरों के आगे सुबह से लेकर शाम तक गिड़गिड़ाते रहे लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा और अंतत: शिशु ने प्रसूता के गर्भ में ही दम तोड़ दिया। बाद में काफी हिलाहवाली के बाद डॉक्टरों ने प्रसूता के गर्भ से मृत शिशु को बाहर निकाला। इस घटना से नाराज परिजनों ने कमिश्नर को ज्ञापन सौंपकर डॉक्टरों के ऊपर कार्रवाई की मांग की है। परिजनों ने मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में भी दर्ज कराई है।


सुबह 8.30 बजे पहुंचे अस्पताल
पुरानी बस्ती वार्ड नंबर 38 निवासी नागेश भारती यादव अपनी गर्भवती बहन नीलम यादव को लेकर जिला अस्पताल सुबह 8.30 बजे पहुंचे। जहां डॉक्टर डीके सिंह के अस्पताल में नहीं होने पर उनके प्राइवेट क्लीनिक गए। जहां पर उन्होंने अस्पताल पहुंचकर प्रसूता को देखने की बात कही। लगभग दो घंटे बाद जब डॉक्टर अस्पताल पहुंचे तो प्रसूत को देखकर बोले कि अभी प्रसव में समय है आप लोग पांच से सात दिन बाद आना जबकि इस दौरान प्रसूता को लगातार दर्द बना हुआ था।


सब सामान्य होने की बात कहकर प्रसूता को नहीं देखा
इसके बाद शाम 4.30 बजे प्रसूता को लेकर अस्पताल के अंदर गए तो ड्यूटी डॉक्टर के नहीं होने पर नर्स ने प्रसूता को देखा और कहा कि बच्चे की धड़कन नहीं मिल रही है आप डॉ डीके सिंह से मिल लीजिए वो अभी प्राइवेट क्लीनिक में होंगे। सोनोग्राफी भी वहीं कराईये क्योंकि जिला अस्पताल में सोनोग्राफी दोपहर 3 बजे के बाद नहीं होती है। डॉ डीके सिंह के प्राइवेट क्लीनिक में जाने पर उन्होंने डांटकर बोला कि सब सामान्य है अस्पताल जाइये। फिर से अस्पताल आने पर नर्स ने प्रसूता को देखा और ड्यूटी डॉक्टर की अनुपस्थिति में उनसे फोन पर बात की व प्रसूता की गंभीरता को बताया तो डॉक्टर ने कहा कि इसके बारे में फैसला डॉ डीके सिंह ही लेंगे। इसके बाद हम लोग डरकर डॉ पंकज श्रीवास्तव की प्राइवेट क्लीनिक में सोनोग्राफी कराए जहां उसकी रिपोर्ट में पता चला कि बच्चा मां की गर्भ में खत्म हो चुका है। जल्द डिलीवरी नहीं होने पर मां की जान को खतरा हो सकता है। इस पर परिजनों ने अस्पताल पहुंचकर सोनोग्राफी की रिपोर्ट प्रस्तुत की और डिलीवरी कराने की मांग की। उस दौरान शिफ्ट चेंज होने पर ड्यूटी में डॉ निशा चतुर्वेदी पहुंची। उन्होंने कोई बात करने से मना कर दिया। इसके बाद 100 डायल में कॉल करके पुलिस को बुलाया। जब पुलिस पहुंची और डॉ निशा चतुर्वेदी से बात की। इसके बाद डॉ डीके सिंह को इमरजेंसी कालबुक भेजा गया। इस पर डॉक्टर सिंह बोले कि थक गया हूं नहीं आ सकता और अपना फोन बंद कर लिया। इसके आधा घंटे बाद डॉ निशा चतुर्वेदी ने किसी प्रकार प्रसूता की नार्मल डिलीवरी कराई।

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