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बांधवगढ़ प्रदेश का इकलौता पार्क जहां बाघ और जंगली हाथी पी रहे एक घाट पानी

locationशाहडोलPublished: Jul 08, 2019 01:21:20 pm

Submitted by:

shubham singh

बांधवगढ़ पहुंचे बंगाल के एक्सपर्ट ने हाथियों से जुड़े बताए महत्वपूर्ण और रोचक किस्से
– बांधवगढ़ और संजय पार्क में बाहरी हाथियों की चहलकदमी, वापस न लौटने से चिंता में अफसर

elephant and tiger in bandhavgarh

bandhavgarh

शहडोल। दूसरे प्रदेशों से अपनी टेरीटरी छोड़कर बांधवगढ़ और संजय में अपना ठिकाना बना रहे ४७ जंगली हाथी बाघों के बीच चहलकदमी कर रहे हैं। बांधवगढ़ मप्र का पहला ऐसा नेशनल पार्क है, जहां परदेशी जंगली हाथियों के साथ बाघ और हाथी एक ही घाट पानी पी रहे हैं। बाघों के बीच हाथियों के रुख को देखते हुए वन अधिकारी और भी ज्यादा चिङ्क्षतत हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है कि जंगली हाथी और बाघ साथ में हैं। हालांकि अभी तक हाथियों ने कोर एरिया में किसी तरह का नुकसान नहीं किया है। दरअसल बांधवगढ़ और संजय नेशनल पार्क के कोर एरिया में झारखण्ड और छत्तीसगढ़ से पहुंचे 47 हाथियों ने डेरा डाल लिया है। पहले हाथी कुछ हफ्तों के लिए आते थे और लौट जाते थे। पहली बार ऐसा हुआ है कि इतने लंबे समय के बाद भी वापस नहीं लौटे हैं। अधिकारियों ने हाथियों के जाने का इंतजार भी किया लेकिन वापस नहीं गए इसलिए अब वन अधिकारी कर्मचारियों को हाथियों से जुड़े प्रशिक्षण के लिए ही एक्सपर्ट बुलाने पड़ गए। बांधवगढ़ में तीन दिनों के लिए बंगाल से एक्सपर्ट की टीम पहुंची है। साथ में पीएससीएफ वाइल्ड लाइफ डॉ यू प्रकाशम भी हैं। रिटा आईएफएस और २८ साल से ज्यादा वन्यजीवों के बीच रहने वाले डॉ प्रदीप व्यास व डॉ सुमिता अफसरों को ट्रेनिंग दे रही हैं।
मूल आवास छोडऩा भयावह, यहां 150 साल पहले थे हाथी
बताया गया कि इस क्षेत्र में 150 साल पहले काफी हाथी थे। बाद में अंग्रेजों ने यहां से हाथियों को खदेड़वा दिया था। अधिकारियों की मानें तो हाथियों का मूल आवास छोडऩा बेहद खतरनाक है। भारत में हर साल दो सैकड़ा मौत हाथी और मानव संघर्ष के बीच होती हैं। इसमें सबसे ज्यादा उन इलाकों में घटनाएं होती हैं, जहां हाथी अपने मूल आवास को छोड़कर अन्य दूसरे क्षेत्र में अपना डेरा बनाने की कोशिश करता है।
बांधवगढ़ में इन 40 हाथियोंं के ठहरने से यह है खतरा
– बांधवगढ़ दो रेलवे लाइन से घिरा है। हाथियों का मूवमेंट रेलवे लाइन में रहने से कटने की संभावना रहेगी।
– ग्रामीणों के घर और फसल नुकसान की संभावना बनी रहेगी। पूर्व में काफी फसल भी नुकसान किए हैं।
– टूरिज्म के साथ मानव संघर्ष की भी संभावना बनी रहेगी। हाथी कभी भी कहीं पर भी मूवमेंट कर सकते हैं।
– जंगली हाथियों की वजह से कुछ समय पूर्व सफारी भी बंद करनी पड़ती थी।
इंसानों की सीखता है आदत, 12 से 16 घंटे सोता है हाथी
– हाथी दो साल में इंसानों की एक्टिविटी समझ जाता है, इसलिए बार बार विभाग को कुछ नया करना होगा।
– हाथी छोटे हाथी को सिखाता है, वे ही दीवार तोड़ घुसता है और अनाज व अन्य सामान लेकर आता है।
– ट्रेन की पटरियों में पैर रखकर ट्रेन का मूवमेंट देखता है। हालांकि जल्दी न हटने से हादसे हो जाते हैं।
– हाथियों के झुण्ड की सबसे मादा बुजुर्ग हाथी नेतृत्व करती हैं और अन्य बच्चों की भी देखरेख करती है।
– हाथी १२ से १६ घण्टे खाता है, फिर बेहद कम समय रुक रुककर सोता है।
– हाथी हमले कम दिखावा ज्यादा करता है। १०० में ९० बार मॉक चार्ज हमले का दिखावा करता है।
– हाथी साफ पानी पीता है, जरूरत पडऩे पर सोर्स भी बनाता है। प्रबंधन साफ पानी इसी से जांच करता है।
– हाथी सुबह ४ से ७ सोता है, इसलिए भगाने के लिए इस समय डिस्टर्ब करते हैं, जिससे खुद चला जाता है।
एक्सपर्ट ने टिप्स, बंगाल में कैसे करते हैं कंट्रोल
– 75 प्रतिशत राशि हाथियों के लिए रखी। घटनाओं पर ग्रामीणों को लोकल पंचायत के कहने पर देते हैं।
– पुलिस और सबकी जिम्मेदारी के लिए हाथियों के मूवमेंट पर तत्काल धारा १४४ लागू करना।
– एलीफेंट बार्डर कार्डिनेशन कमेटी बनाई। एक एक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई।
– बल्क एसएमएस से ग्रामीणों को लोकेशन की जानकारी दी। जिससे मानव संघर्ष नहीं हुआ।
– सिलीगुड़ी में बीच बाजार में घुसे हाथी को सुरक्षित जंगल तक ले जाने का उदाहरण बताया।
– हाथी पर अटैक से पहले हिस्ट्री तैयार करने के तरीके बताए। ताकि बेवजह आरोप से बचा जा सके।
– साउथ बंगाल का उदाहरण दिया, कैसे गांव में जाकर खाते पीते हैं और जंगल में आकर सो जाते हैं।
– ग्रामीणों के बीच हाथियों की आदत डालनी होगी, दोनों को खतरा है। जिससे दोनों को नुकसान न हो।
बांधवगढ़ में स्थायी आवास बनाने का प्रयास
अन्य प्रदेशों के हाथी बांधवगढ़ पहुंचकर स्थायी आवास बनाने का प्रयास कर रहे हैं। बांधवगढ़ मप्र में पहला ऐसा पार्क है जहां बाघों के बीच हाथी हैं। अभी हाथी और बाघों का व्यवहार देखा जा रहा है। अधिकारी कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि इस स्थिति में किस तरह कंट्रोल किया जाए। बंगाल से पहुंचे एक्सपर्ट तरीके समझा रहे हैं। बांधवगढ़ और संजय पहुंचे हाथियों को लेकर शासन से बात की जा रही है।
डॉ यू प्रकाशम, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ मप्र
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