दूसरी साइड बना है स्टेशन
स्टेशन का नाम है सिंहपुर, लेकिन इसे बनाया ठीक इसके विपरीत दिशा में बनाया गया है। सिंहपुर, पड़मनिया, ऐंताझर, मिठौरी ऐसे कई गांवों के लोग इस स्टेशन का इस्तेमान यात्रा करने के लिए करते हैं। इन्हें टिकट के लिए रेल की पटरियों को पार करके जाना पड़ता है। फुटओवर ब्रिज नहीं है। कई मर्तबा प्लेटफॉर्म में दूसरी गाडिय़ां खड़ी रहती हैं। ऐसे हालात में इन्हें अपने जान को जोखिम में डालकर ट्रेन के नीचे से निकलने को भी मजबूर होना पड़ता है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं करेंगे तो उनकी ट्रेन छूटने की संभावना बनी रहती है।
स्टेशन का नाम है सिंहपुर, लेकिन इसे बनाया ठीक इसके विपरीत दिशा में बनाया गया है। सिंहपुर, पड़मनिया, ऐंताझर, मिठौरी ऐसे कई गांवों के लोग इस स्टेशन का इस्तेमान यात्रा करने के लिए करते हैं। इन्हें टिकट के लिए रेल की पटरियों को पार करके जाना पड़ता है। फुटओवर ब्रिज नहीं है। कई मर्तबा प्लेटफॉर्म में दूसरी गाडिय़ां खड़ी रहती हैं। ऐसे हालात में इन्हें अपने जान को जोखिम में डालकर ट्रेन के नीचे से निकलने को भी मजबूर होना पड़ता है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं करेंगे तो उनकी ट्रेन छूटने की संभावना बनी रहती है।
क्या बड़ी दुर्घटना के बाद जागेगा प्रशासन!
शहडोल. अम्बिकापुर ट्रेन जो की सुबह लगभग 9.40 के करीब सिंहपुर स्टेशन पर पहुंचती है इसका यात्रियों ने स्वागत किया और खुश भी हुए क्योंकि उनके सुविधा के हिसाब से उन्हें एक अच्छी ट्रेन मिल गई। धीरे-धीरे इस स्टेशन में इस ट्रेन के चलने से यात्रियों की संख्या भी बढ़ रही है। कॉलेज और स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राएं भी इस स्टेशन से ट्रेन पकड़ते हैं। इन सभी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन रेलवे इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। क्या रेलवे प्रशासन किसी बड़े हादसे के बाद ही जागेगा।
ट्रेन की सुविधा तो मिली लेकिन फुटओवर ब्रिज कब बनेगा ?
शहडोल. अम्बिकापुर ट्रेन जो की सुबह लगभग 9.40 के करीब सिंहपुर स्टेशन पर पहुंचती है इसका यात्रियों ने स्वागत किया और खुश भी हुए क्योंकि उनके सुविधा के हिसाब से उन्हें एक अच्छी ट्रेन मिल गई। धीरे-धीरे इस स्टेशन में इस ट्रेन के चलने से यात्रियों की संख्या भी बढ़ रही है। कॉलेज और स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राएं भी इस स्टेशन से ट्रेन पकड़ते हैं। इन सभी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन रेलवे इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। क्या रेलवे प्रशासन किसी बड़े हादसे के बाद ही जागेगा।
ट्रेन की सुविधा तो मिली लेकिन फुटओवर ब्रिज कब बनेगा ?
हम मजबूर हैं
– वहां कॉलेज जा रहे कई स्टूडेंट से हमने इस बारे में बात की तो उनका कहना था ज्यादातर समय हमें ट्रेन के नीचे से ही निकलकर आना पड़ता है क्योंकि फुटओवर ब्रिज तो है नहीं, और ट्रेन का समय हो जाता है। टिकट लेने के लिए स्टेशन के प्लेटफॉर्म तो पहले ही पार करने होते थे। अब ट्रेन के समय ही दूसरी ट्रेन आकर खड़ी हो जाती है। ऐसे में ट्रेन का समय हो जाता है। अब ट्रेन पकड़ें या टिकट लें या फिर अपने आप को सेफ करते हुए खड़ी हुई इस ट्रेन के जाने का इंतजार करें। ये भी नहीं बताया जाता की अभी ट्रेन क्रॉस ना करें यात्री ट्रेन आने से पहले ही ये ट्रेन चली जाएगी। ऐसे में मजबूरन हमें या तो पटरी से चलते हुए सभी
प्लेटफॉर्म क्रॉस करते हुए टिकट लेने जाना पड़ता है। या फिर ट्रेन के नीचे से निकलकर दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। एक स्टूडेंट ने बताया की अभी कुछ दिन पहले ही इसी तरह ट्रेन के नीचे से निकलकर जाते वक्त उनकी दादी का पैर भी टूट चुका है।
– वहां कॉलेज जा रहे कई स्टूडेंट से हमने इस बारे में बात की तो उनका कहना था ज्यादातर समय हमें ट्रेन के नीचे से ही निकलकर आना पड़ता है क्योंकि फुटओवर ब्रिज तो है नहीं, और ट्रेन का समय हो जाता है। टिकट लेने के लिए स्टेशन के प्लेटफॉर्म तो पहले ही पार करने होते थे। अब ट्रेन के समय ही दूसरी ट्रेन आकर खड़ी हो जाती है। ऐसे में ट्रेन का समय हो जाता है। अब ट्रेन पकड़ें या टिकट लें या फिर अपने आप को सेफ करते हुए खड़ी हुई इस ट्रेन के जाने का इंतजार करें। ये भी नहीं बताया जाता की अभी ट्रेन क्रॉस ना करें यात्री ट्रेन आने से पहले ही ये ट्रेन चली जाएगी। ऐसे में मजबूरन हमें या तो पटरी से चलते हुए सभी
प्लेटफॉर्म क्रॉस करते हुए टिकट लेने जाना पड़ता है। या फिर ट्रेन के नीचे से निकलकर दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। एक स्टूडेंट ने बताया की अभी कुछ दिन पहले ही इसी तरह ट्रेन के नीचे से निकलकर जाते वक्त उनकी दादी का पैर भी टूट चुका है।
फुटओवर ब्रिज ना होने से दिक्कत होती है
यात्री मोहम्मद इदरीस कहते हैं मैं 72 साल का बुजुर्ग हूं। और इस स्टेशन में फुटओवर ब्रिज ना होने से दिक्कत का सामना तो करना ही पड़ रहा है। बच्चे और जवान लोगों का तो ठीक है वो दौड़कर या कूदकर टिकट काउंटर तक पहुंच जाते हैं। लेकिन हम लोगों की दिक्कतें तो और बढ़ जाती हैं इस उम्र में हम ना तो ज्यादा कूद सकते हैं। और ना ही ज्यादा झुक सकते हैं। ऐसे में हमें दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अगर यहां एक फुटओर ब्रिज बन जाए तो यहां के यात्रियों के लिए बहुत अच्छा हो जाएगा।
यात्री मोहम्मद इदरीस कहते हैं मैं 72 साल का बुजुर्ग हूं। और इस स्टेशन में फुटओवर ब्रिज ना होने से दिक्कत का सामना तो करना ही पड़ रहा है। बच्चे और जवान लोगों का तो ठीक है वो दौड़कर या कूदकर टिकट काउंटर तक पहुंच जाते हैं। लेकिन हम लोगों की दिक्कतें तो और बढ़ जाती हैं इस उम्र में हम ना तो ज्यादा कूद सकते हैं। और ना ही ज्यादा झुक सकते हैं। ऐसे में हमें दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अगर यहां एक फुटओर ब्रिज बन जाए तो यहां के यात्रियों के लिए बहुत अच्छा हो जाएगा।
स्वीकृति के लिए प्रपोजल चला गया है
बिलासपुर रेलवे पीआरओ रश्मि गौतम ने कहा बोर्ड से भी आदेश है की यात्रियों के सेफ्टी को देखते हुए प्रायोरिटी के हिसाब से स्टेशन में फुटओवर ब्रिज का प्रपोजल भेजा जाए और हमने इसे स्वीकृति के लिए भेज दिया है। स्वीकृति मिलते ही जल्द ही फुटओवर ब्रिज का कार्य पूर्ण कराया जाएगा।
बिलासपुर रेलवे पीआरओ रश्मि गौतम ने कहा बोर्ड से भी आदेश है की यात्रियों के सेफ्टी को देखते हुए प्रायोरिटी के हिसाब से स्टेशन में फुटओवर ब्रिज का प्रपोजल भेजा जाए और हमने इसे स्वीकृति के लिए भेज दिया है। स्वीकृति मिलते ही जल्द ही फुटओवर ब्रिज का कार्य पूर्ण कराया जाएगा।