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होली पूजन और दहन के यह है सबसे अच्छे मुहूर्त

locationशाहडोलPublished: Mar 16, 2019 07:25:27 pm

Submitted by:

amaresh singh

धूमधाम से मनाया जाता है पर्व

best Muhurta of Holi worship

होली पूजन और दहन के यह है सबसे अच्छे मुहूर्त

शहडोल। होलिका दहन २० मार्च दिन बुधवार को है। उचित समय पर होलिका दहन करें तो होली के शुभ फल मिलते हैं। इस बार होलिका दहन में समय बदला है। सामान्यत: यह शाम 4 बजे के बाद होता है लेकिन इस बार भद्र मुख के कारण होलिका दहन का कार्यक्रम थोड़ी देर से शुरू होगा। यह 8.57 से शुरू होकर 9.09 तक चलेगा।
शुभ मुहूर्त : 20 मार्च 2019


पूर्णिमा तिथि आरंभ- 10.44 (२० मार्च)

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 7.12 (21 मार्च)

होलिका पूजन मुहूर्त- 8 बजकर 2 मिनट से 8 बजकर 57 मिनट तक (होलिका दहन होने तक)

होलिका दहन मुहूर्त- 20.57 से 12:28

रंगवाली होली- 21 मार्च

21 मार्च को कब से कब तक खेलें होली : सुबह 8 बजे से लेकर शाम 3 बजे तक

ये है पूजन विधि
गोबर से बनी होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं, माला, रोली, फूल, कच्चा सूत, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, पांच या सात प्रकार के अनाज जैसे नए गेहूं और अन्य फसलों की बालियां, एक लोटा जल, बड़ी-फुलौरी, मीठे पकवान, मिठाइयां और फल. मान्यताओं के अनुसार होलिका में आग लगाने से पहले विधिवत पूजन करने की परंपरा है.
1. सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें.
2. अब अपने आस-पास पानी की बूंदे छिड़कें.
3. गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं.
4. थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक लोटा पानी रखें.
5. नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें.
6. अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं.
7. अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें.
8. इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं.
9. भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांचों अनाज चढ़ाएं
10. अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं.
11. कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें.
12. आखिर में गुलाल डालकर लोटे से जल चढ़ाएं.
होली का महत्व
दशहरा की तरह होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. होली को लेकर हिंदू धर्म में कई कथाएं प्रचलित हैं और सभी में बुराई को खत्म करने के बाद जश्न मनाने के बारे में बताया गया है. होली से पहले होलिका दहन के दिन पवित्र अग्नि जलाई जाती जिसमें सभी तरह की बुराई, अंहकार और नकारात्मकता को जलाया जाता है. परिवारजनों और दोस्तों को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दी जाती हैं. साथ ही होता है नाच, गाना और स्वादिष्ट व्यंजन.
होली की कथा
होली से जुड़ी एक या दो नहीं बल्कि अनेको कथाएं प्रचलित हैं, जिसने आज भी कई लोग अंजान हैं. क्योंकि भारत में सबसे प्रसिद्ध राधा-कृष्ण की होली है, जो हर साल वृंदावन और बरसाने में बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है. हिंदु धर्म में होली की सबसे प्रचलित कथा भगवान कृष्ण और राधा रानी की है. इस कथा में राक्षसी पूतना एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर बालक कृष्ण के पास जाती है और उन्हें जहरीला दूध पिलाने की कोशिश करती हैं. लेकिन कृष्ण उसको मारने में सफल रहते हैं. पूतना का देह गायब हो जाता है और बाल कृष्ण को जीवित देख सभी गांववालों में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है फिर सब मिलकर पूतना का पुतला बनाकर जलाते हैं. इस बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में होली मनाई जाती है.
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