शाहडोलPublished: Oct 01, 2018 08:29:15 pm
shivmangal singh
स्वैच्छिक रक्तदान दिवस विशेष
Blood Donation
शहडोल. आज भी कई मौत ऐसी हो जाती हैं, जब वक्त में जरूरतमंदों को खून नहीं मिल पाता है। अभी भी रक्तदान को लेकर कई तरह के अंधविश्वास हैं लेकिन समाज में कई ऐसे लोग हैं जो लगातार रक्तदान कर रहे हैं और भ्रांतियों को तोड़ रहे हैं। कोई रक्तदान में शतक पूरा करने के करीब है तो कोई अर्धशतक पूरा कर चुका है। कभी आधी रात तो कभी खुद का शहर छोड़कर दूसरे की जिंदगी बचाने के लिए रक्तदान करने के लिए रक्तदाता पहुंच जाते हैं। स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर पत्रिका ऐसे रक्तदाताओं से मिला रहा है, जिन्होने जुनून और जज्बे के साथ रक्तदान करते हुए दूसरों के लिए एक नई जिंदगी दी है।
पिता के दर्द ने प्रेरित किया रक्तदान के लिए : उर्मिला कटारे
नगरपालिका शहडोल अध्यक्ष उर्मिला कटारे अब तक 8 बार रक्तदान कर चुकीं हैं। उर्मिला कटारे के अनुसार पिता बीमार थे और खून की बेहद जरूरत थी। जब खून नहीं मिला तो खुद ही खून दिया। नपाअध्यक्ष उर्मिला कटारे का कहना है कि उस वक्त पिता के दर्द ने रक्तदान को लेकर और प्रेरित किया जो आज भी बरकरार है।
रूपाली सिंघल 15 बार कर चुकीं रक्तदान
शहर की समाजसेवी रूपाली सिंघल ने रक्तदान पर महिलाओं की भ्रांतियां तोड़ी हैं। इन्होने पिछले 8 सालों से रक्तदान कर रहे हैं। अब तक 15 बार से ज्यादा रक्तदान कर चुकी है। हर शुभ अवसरों पर रक्तदान करती हैं। कई मर्तबा थैलीसीमिया सहित कई जरूरतमंदों को रात में पहुंचकर रक्तदान किया है।
अजय 30 साल में 80 बार कर चुके हैं रक्तदान
एलआईसी में पदस्थ अजय बिजरा रक्तदान को लेकर मिसाल पेश की है। अजय बिजरा ने 30 साल में 80 बार रक्तदान किया है। ए निगेटिव रक्त की हमेशा जरूरत पडऩे पर जन्मदिन से लेकर वर्षगांठ और कई कार्यक्रमों में बाहर जाकर भी रक्तदान किए हैं। इनसे प्रेरित होकर रवि शुक्ला ने भी 18 बार रक्तदान किया है।
डा. सुधा नामदेव खुद 50 बार कर चुकीं रक्तदान
रक्तदान की दिशा में पैथालाजिस्ट डॉ सुधा नामदेव की कहानी दूसरों के लिए प्रेरणादायी हैं। दादी के देहांत के बाद त्रयोदशी से अब तक 50 से ज्यादा बार रक्तदान किया है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को भी मात दी। हर साल ६ हजार से ज्यादा रक्तदान भी कराती हैं। 200 से ज्यादा रक्तदान कैंप भी करा चुकी हैं।