scriptयहां गर्म लोहे की सलाखों से बच्चों पर होती है क्रूरता, कलेक्टर ने लागू की धारा 144 | burnt the malnutrition child with a hot rod in shahdol mp | Patrika News

यहां गर्म लोहे की सलाखों से बच्चों पर होती है क्रूरता, कलेक्टर ने लागू की धारा 144

locationशाहडोलPublished: Dec 23, 2020 11:50:23 pm

Submitted by:

shubham singh

– अंधविश्वास के फेर में गर्म सलाखों से दागे जाते हैं कुपोषित बच्चे- संभाग में डेढ़ हजार से ज्यादा बच्चे दगना कुप्रथा का हो चुके हैं शिकार

यहां गर्म लोहे की सलाखों से बच्चों पर होती है क्रूरता, कलेक्टर ने लागू की धारा 144

यहां गर्म लोहे की सलाखों से बच्चों पर होती है क्रूरता, कलेक्टर ने लागू की धारा 144

शहडोल. अंधविश्वास के फेर में कुपोषित और बीमार बच्चों के साथ दागने की क्रूरता पर अब कार्रवाई होगी। शहडोल कलेक्टर डॉ सतेन्द्र कुमार सिंह ने दगना कुप्रथा के खिलाफ धारा 144 लागू की है। कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दगना के मामले सामने आने पर गुनिया और परिजनों पर आइपीसी धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाए। दरअसल आदिवासी अंचल में दशकों से बच्चों को दागने की कुप्रथा चली आ रही है। कुपोषण, पेट फूलने और सांस लेने में तकलीफ होने पर परिवार के बुजुर्ग और गांव के गुनिया द्वारा गर्म लोहे से पेट पर दाग दिया जाता है। कलेक्टर ने सख्ती दिखाते हुए गांव-गांव चौपाल लगाने के साथ ही अब धारा 144 लागू की है। इसी तरह उमरिया कलेक्टर ने भी दगना के खिलाफ धारा 144 लागू की है। इसके तहत दगना कुप्रथा पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी। गांव में कोई भी व्यक्ति बच्चों के साथ ऐसी कू्ररता नहीं कर सकेगा।

डेढ़ हजार से ज्यादा बच्चे शिकार, हो चुकी हैं मौतें

दगना कुप्रथा के खिलाफ पत्रिका लगातार अभियान चला रहा है। पत्रिका की खबरों के बाद गांव-गांव अधिकारियों की टीम पहुंची थी। इस दौरान डेढ़ हजार से ज्यादा बच्चे संभाग में दगना के शिकार मिले थे। इसमें शहडोल में 800 और उमरिया में 565 बच्चे दगे मिले थे। इसी तरह अनूपपुर में भी बच्चे चिहिंत किए थे। दगना से बच्चों की लगातार मौत भी हो रही है। हाल ही में एक डेढ़ माह के कुपोषित बच्चे को गर्म लोहे से दाग दिया था। जिसके बाद इलाज के दौरान शिशु ने दम तोड़ दिया था।
दीपावली के बाद बच्चों के साथ शुरू हो जाती है कू्ररता
आदिवासी अंचल में दीपावली के बाद बच्चों के साथ कू्ररता शुरू हो गई है। ठंड में इलाज के नाम पर बच्चों को गर्म लोहे से दागा जा रहा है। सांस लेने में तकलीफ होने, दूध न पीने और पेट पर नीली नस दिखने पर गांव के गुनिया द्वारा दागा जा रहा है।
बैगा, कोल और गोड़ में सबसे ज्यादा कुप्रथा
दागने की सबसे ज्यादा कुप्रथा बैगा, कोल और फिर गोड़ समाज में है। इन समाज के 70 से 80 फीसदी बच्चों को पैदा होने के कुछ समय बाद बीमारी से ग्रसित होने पर गर्म लोहे से दाग दिया जाता है। इन समाज में दागने के बाद कई मासूमों की मौत भी हो चुकी हैं। बावजूद इसके न तो अधिकारियों ने गंभीरता दिखाई और ही परिवार के लोग सचेत हुए। दागने का उपयोग पेट के अलावा गले और शरीर के अन्य हिस्सों में पिछले काफी समय से किया जा रहा है। बुजुर्ग बताते हैं दागना अपने पूर्वजों से सीखा था। उसने बताया कि शरीर के जिस हिस्से में सबसे ज्यादा दर्द होता है, उससे संबंधित नसों को गर्म लोहे से दाग दिया जाता है। नसों को दागने से पहले लोहे की पतली सलाखे गर्म की जाती हैं। काफी समय तक गर्म करने के बाद मासूमों के उस हिस्से में बिंदु की तरह रख रखकर जला दिया जाता है, जहां दर्द हो। ग्रामीणों का तर्क था कि इससे दर्द खत्म हो जाता है।
पूर्व में भी दगना के आ चुके हैं मामले
– जयसिंहनगर के गिरईखुर्द निवासी 45 दिन की बच्ची के सीने में दर्द होने पर दादी ने गर्म लोहे से 48 दिन की मासूम को 16 बार दाग दिया था। काफी समय तक इलाज के बाद बचाया जा सका।
– उमरिया के देवगवां में दो माह की मासूम को 20 बार गर्म लोहे से दागा गया था। इलाज के दौरान दो माह के बेटे की मौत हो गई थी।
– जैतपुर रसमोहनी से सटे फुलझर गांव में 15 दिन के मासूम को 51 बार गर्म लोहे से दागा गया था। 7 दिन तक इलाज चलने के बाद हालत में सुधार आया।
– हाल ही में एक दो माह के कुपोषित बच्चे को दाग दिया गया था। जिससे मौत हो गई थी।

दगना कुप्रथा के खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं। गांव-गांव चौपाल लगा रहे हैं। दगना को लेकर धारा 144 लागू की गई है। गुनिया और दागने वाले लोगों की काउंसलिंग भी कराई जाएगी।
डॉ सतेन्द्र कुमार सिंह, कलेक्टर शहडोल
दगना अंधविश्वास को लेकर अभियान चलाया जाएगा। पूर्व में संभाग में काफी काम हुआ है। दागने वाले लोगों को चिंहित कर काउंसलिंग कराई जाएगी।
नरेश कुमार पाल, कमिश्नर शहडोल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो