पायलट, डॉक्टर शिक्षक और वैज्ञानिक बनने का सपना
इन बच्चों के सपनों के आगे चुनौतियां भी हार मान जाती हैं। इनके सपनों को पूरा करने के लिए यहां के शिक्षक भी पूरा प्रयास कर रहे हैं। शिक्षक एवं अधीक्षक प्रभात यादव ने कहा कि बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिए हम लोग पूरा प्रयास कर रहे हैं। बच्चे पेटिंग से लेकर पढ़ाई में होनहार हैं।
एक दर्द ये भी कि 8वीं के बाद नहीं है स्कूल
यह छात्रावास शहर में साल 2011 से चल रहा है। इसमें ब्रेल लिपि और साइन लांग्वेज विधि से बच्चों की पढ़ाई होती है। दुखद बात यह है कि इस छात्रावास से जब बच्चे आठवीं की पढ़ाई करके बाहर निकलते हैं तो आगे की पढ़ाई के लिए शहर में कोई स्कूल नहीं है। ऐसे में अब परिजनों के ऊपर निर्भर करता है कि वे बच्चों को आगे पढ़ाते हैं या नहीं। अगर परिजन बच्चों को पढ़ाना चाहेंंगे तो उन्हें जबलपुर या विलासपुर भेजना पड़ेगा।
दिव्यांग बच्चों का कर सकूं इलाज
कक्षा सातवीं में पढऩे वाले सागर सिंह कुशराम ने कहा कि वह बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहता है ताकि वह अपने जैसे बच्चों का इलाज कर सके, जिससे उनके जैसे बच्चे नहीं रहें। साथ ही वह अन्य लोगों की भी सेवा करना चाहता है। इसके लिए अभी से कई बड़े सपने सजोए रखा है।
अपनी आवाज से कर देती है मंत्रमुग्ध
कक्षा तीसरी में पढऩे वाली ग्रसिता सिंह धुर्वे ने बड़े होकर सिंगर बनने की बात कही। ग्रसिता अक्सर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गीतों की प्रस्तुति देती हुई नजर आती है। इनकी आवाज से हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है।
ताकि दूसरे दिव्यांगों को पढ़ा सकूं
कक्षा आठवीं में पढऩे वाले चंद्रभान रैदास ने कहा कि वह बड़ा होकर शिक्षक बनना चाहता है ताकि वह अपने जैसे बच्चों को पढ़ा सके। चन्द्रभान का कहना है कि कई बार ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं मिलते हैं। मैं खुद शिक्षक बनूंगा, ताकि शिक्षक बन सकूं।