शाहडोल

जीएसटी के चलते घर की पुताई के कलर हुए सस्ते, लोगों को मिली मंहगाई से राहत

घरों की रंगाई-पुताई के लिए मार्केट में डिस्टेंपर और पेंट की मांग बढ़ गई है

शाहडोलOct 22, 2018 / 05:05 pm

shubham singh

Cheap paint of home to GST

शहडोल। दीपावली के मद्देनजर लोगों ने अपने घरों में रंगाई-पुताई का काम शुरू कर दिया है। घरों की रंगाई-पुताई के लिए मार्केट में डिस्टेंपर और पेंट की मांग बढ़ गई है। घर में सुख शांति बनी रहे और मन प्रसन्न रहे इसके लिए लोग वास्तु का ध्यान रख दीवारों पर रंग करा रहे है। रंगाई पुताई का सामान बेचने वाले दुकानदारों के अनुसार इस दीपावली पर सबसे खास यह है कि कलर बनाने वाली कंपनियों ने पिछले साल के मुकाबले रेटों में इजाफा नहीं किया है। गत वर्ष 28 प्रतिशत जीएसटी लगने की वजह से पुताई के कलर व अन्य सामग्रियां मंहगी हो गई थी, लेकिन इस वर्ष दो माह पूर्व जीएसटी 18 प्रतिशत होने और कंपनियों द्वारा कीमत नहीं बढ़ाए जाने के कारण घर की पुताई के कलर सस्ते हैं। जीएसटी के दायरे में आने के बाद कलरिंग मेटेरियल जैसे डिस्टेंपर, इमल्शन, एनामेल और ऑयल पेंट का नया माल आने पर दामों में औसतन दस फीसदी तक की कमी आई है। पिछले साल नामचीन कंपनियों के इमल्शन के एक लीटर का डिब्बा जहां 145-150 रुपए तक का मिल रहा था। वहीं इस साल 135-140 रुपए तक में बिक रहा है। इसी तरह कलरिंग संबंधित बांकी सामग्री के दाम भी घटे हैं। विक्रेताओं के अनुसार अगर खरीदार कम से कम 5-10 लीटर की पैकिंग वाला एनामेलए इमल्शन और आयल पेंट खरीदते हैं तो उन्हें ज्यादा फायदा होगा। रही रंग की बात तो वे एनामेल और इमल्शन में स्टेइनर मिक्स कर मनचाहा कलर पा सकते हैं। विक्रेताओं के अनुसार जीएसटी के कारण शुरुआत में रेट बढ़े थे। नया माल आते ही यह कम हो गए।


मजदूरों की डिमाण्ड बढ़ी
इस बार मजदूरी में भी पचास से सौ रुपए का इजाफा हुआ है और दीपावली के नजदीक आने पर मार्केट में मजदूरों की डिमांड भी बढ़ गई है। लोग मजदूरों के लिए पेंट की दुकानों पर भी संपर्क कर रहे हैं। पेंट विक्रेताओं के अनुसार अधिकतर मजदूर ग्रामीण अंचल के रहने वाले हैं और विधानसभा चुनाव के कारण अधिकतर मजदूर व्यस्त हो गए है। इन दिनों रंग रोगन करने वाले मजदूरों की डिमांड बढ़ गई है। अन्य दिनों में यहां 150-200 रुपये की दिहाड़ी पर मजदूर मिल जाते थे। अब वह 250 से 300 रुपये की मांग कर रहे हैं। जल्द काम निपटाने के लिए मजदूर आधी रात तक काम कर रहे हैं।


चूना व गेरू की बिक्री घटी
हाई टेक जमाने में लोग घरों की रंगाई-पुताई के लिए डिस्टेंपर और पेंट की मांग अधिक कर रहे हैं। गांवों में भी अब पक्के मकान बन रहे हैं। ऐसे में चूना और गेरू के दिन लदते नजर आ रहे हैं। आज बाजार में कुछ चुनिंदा दुकानों पर ही चूना व गेरू दस रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से मिल रहा है।

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