सीएम की घोषणा पर कॉलरी की तिरछी नजर, 118 परिवारों के आशियाने पर छाए संकट के बादल
शाहडोलPublished: Aug 13, 2017 10:22:00 pm
पीएम योजना में भवन निर्माण की नहीं मिल रही अनुमति राजनगर के 756 परिवारों को मिले थे मालिकाना हक, हितग्राही ने थाने में दर्ज कराई शिकायत
Secretary grabbed the amount of PM housing
अनूपपुर/ राजनगर। कॉलरी की भूमि पर निवासरत परिवारों को कॉलरी द्वारा विस्थापित नहीं किया जाएगा। शासन अब ऐसे परिवारों को जो जहां निवासरत है उसी भूमि का मालिकाना हक दिलाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भवन निर्माण कर परिवारों के सिर पर छत उपलब्ध कराएगी। यह बात सीएम की घोषणाओं में शामिल है। लेकिन सीएम की घोषणाओं में शामिल योजनाओं पर कॉलरी की तिरछी निगाहें कहीं न कहीं परिवारों को विस्थापित होने को मजबूर रही है। अनूपपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत बनगंवा राजनगर में एसईसीएल हसदेव उपक्षेत्र की दोहरी नीति में अब ११८ प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों के आशियानों पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। जहां राजनगर में योजना के तहत ७५६ परिवारों को दिए गए मालिकाना हक के बाद भी अधिकार नहीं प्रदान किए जा रहे हैं। इसमें गरीबी रेखा से नीचे जी रहे ११८ परिवारों को पीएम आवास योजना के तहत मकान बनाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अगर परिवारों द्वारा मकान निर्माण की तैयारी की जाती है तो कॉलरी प्रशासन द्वारा ऐसे परिवारों को नोटिस जारी कर थानेे में मामले भी दर्ज कराए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर शासकीय स्तर पर आवंटित कराई गई पीएम आवास योजना की राशियां भवन निर्माण नहीं कराने पर शासन को वापस किए जाने की अधिकारियों द्वारा दलील दी जा रही है। इसके लिए जनपद पंचायत अनूपपुर १५ दिनों की मोहल्लत देकर मकान पूरा कराने के निर्देश दे रही है। जिसके कारण अब हितग्राहियों को समझ में नहंी आ रहा है कि वे मकान बनवाए या कानूनी प्रक्रियाओं में न्यायालय का चक्कर काटे। बताया जाता है कि ११८ चयनित अधिकांश परिवारों के मकान नोटिसों के कारण अधूरे पड़े हैं। प्रभावित परिवारों का कहना है कि पूरा राजनगर एसईसीएल के अंतर्गत बसा हुआ है, जहां की अधिकांश भूमि को एसईसीएल अपना बताती है, लेकिन प्रावधानों के अनुरूप अब जिन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना की स्वीकृति हुई है वे अपना मकान कहां बनाएंगे।
उल्लेखनीय है कि एसईसीएल हसदेव उपक्षेत्र राजनगर में लगभग २० हजार परिवार निवासरत है। जहां पूर्व में कॉलरी खुलने के उपरांत बाहर व स्थानीय स्तर पर निवासरत लोगों ने अपने सिर छिपाने कच्चे-पक्के आशियानों का निर्माण कर लिया। लेकिन अचानक वर्ष २०१४-१५ में हाईकोर्ट में दाखिल किए गए जनहित याचिका और कोर्ट के आदेश के उपरांत कॉलरी द्वारा अवैध अतिक्रमण को हटाने के आदेश जारी किए। जिसमें एसईसीएल द्वारा राजनगर, जमुना, बदरा, अमलाई से अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। जिसमें स्थानीय स्तर पर विरोध शुरू हुआ। जिसकी गम्भीरता को देखते हुए शासन ने बाद में नए संशोधित आदेश में ऐसे विस्थापित होने वाले परिवारों को उसी स्थल का मालिकाना अधिकार पत्र सौंपते हुए स्थानीय निवासी बनाने की घोषणा कर दी।
अभी मैं बाहर हूं। अगर वहां ऐसी परिस्थतियां बन रही है तो मैं जानकारी लेकर समस्या का समाधान करवाता हूं।
आरएन सोनवंशी, सबएरिया मैनेंजर, हसदेव उपक्षेत्र राजनगर।