दूसरे कारणों से भी ज्यादा आते हैं बिल
इस संबंध में बिजली अधिकारियों का कहना है कि मीटर तभी बदला जाता है जब लैब की जांच में वह खराब पाया गया। इन सबके बीच उपभोक्ता ज्यादा बिल आने को लेकर परेशान रहता है। इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि कई बार बिजली का केबिल अर्थिंग ले लेता है। इससे बिजली की खपत की तुलना में बिजली बिल ज्यादा आता है। इसलिए उपभोक्ताओं को मीटर लगवाने के बाद अर्थिंग की भी जांच करानी चाहिए ताकि बिल ज्यादा आने की शिकायत खत्म हो सके।
पैसे नहीं होते हैं वापस
लैब की जांच में अगर मीटर सही पाया गया तो उपभोक्ताओं के पैसे कंपनी वापस नहीं करती है। वह पैसा लैप्स हो जाता है। इसके चलते उपभोक्ता मीटरों की लैब में जांच तक नहीं करा पा रहे हैं। साल भर में करीब 12 उपभोक्ताओं ने अपने मीटरों को बिजली कंपनी के लैब में जांच कराया। इसमें 11 मीटर सही निकले जबकि एक मीटर खराब निकला। इससे 11 उपभोक्ताओं के 1600 रुपए कंपनी के पास जब्त हो गए। इस संबंध में बिजली कंपनी के कार्यपालन यंत्री मुकेश सिंह ने कहा कि 12 उपभोक्ताओं ने लैब में मीटरों की जांच कराई। इसमें 11 मीटर सही पाए गए। इसके चलते इन उपभोक्ताओं द्वारा जमा कराई गई राशि जब्त हो गई। कई बार बिजली तार में अर्थिंग के चलते बिजली बिल ज्यादा आता है। इसलिए मीटर लगवाने के बाद अर्थिंग की जांच करानी चाहिए।