डॉक्टरों से ली सलाह, पहला डिजाइन भी फेल
ेइंजीनियर निखिल के अनुसार, वेंटिलेटर की पूरी डिजाइन डॉक्टरों से भी सलाह लेकर बनाई है। पहली डिजाइन को डॉक्टर ने फेल कर दिया था। हमने हार नहीं मानी और फिर दोबारा बनाने का फैसला लिया। बाद में हमने दोबारा डिजाइन तैयार की और इसमें सफल रहे। इंजीनियर निखिल शहडोल निवासी शिवचरण गुप्ता और करूणा गुप्ता के पुत्र हैं। वे पूरी सफलता का श्रेय माता पिता को देते हें। निखिल के अनुसार, वेंटिलेटर बनाने के इस अभियान में पूरी टीम को कानपुर आईआईटी के पद्मश्री डॉ सौरभ श्रीवास्तव से भी मार्गदर्शन मिलता है।
अमेरिका ने भी की तारीफ, कोरोना के लिए बना खास वेंटिलेटर
निखिल कहते हैं हमने कोरोना (Corona) को ध्यान में रखकर विशेष तरीके से वेंटिलेटर तैयार किया है। इसमें सिर्फ उन्ही फीचरों को रखा है, जो कोरोना के इलाज में जरूरी है। इसमें डॉक्टरों के लिए भी सहूलियत है कि मोबाइल से मॉनीटरिंग कर सकेंगे। अभी क्लीनिकल टेस्ट के लिए लाया जाएगा। हमारी टीम को अमेरिका ने भी प्रोत्साहित किया है। यहां की सरकार और प्रशासन ने भी काफी मदद की है।
कंपोनेंट की कमी, एक लाख वेंटिलेटर की डिमांड
ेइंजीनियर निखिल के अनुसार, वेंटिलेटर तैयार करने में सबसे बड़ी समस्या कंपोनेंट न मिलने की है। इसलिए देशभर में वेंटिलेटर की काफी है। हमारी टीम द्वारा तैयार किया वेंटिलेटर बेहद कम कंपोनेंट में तैयार है। सरकारी अनुमति मिलते ही बड़ी संख्या में वेंटिलेटर बनाएंगे। फोब्स अंडर 30 एशिया की सूची में भी निखिल कुरेले और हर्षित राठौर शामिल हैं।