एक दिन में 6 मिट्रिक टन खपत, अब डेढ़ मिट्रिक टन में सिमटी
मेडिकल कॉलेज में अब ऑक्सीजन की खपत भी कम हो गई है। अप्रैल और मई माह में जहां कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की दिक्कत हो गई थी। अब कोरोना मरीजों के कम हो जाने से ऑक्सीजन की खपत काफी कम हो गई है। अप्रैल और मई माह में मेडिकल कॉलेज में एक दिन में छह से सात मिट्रिक ऑक्सीजन की खपत हो रही थी। इस दौरान ऑक्सीजन के लिए मारा-मारी की स्थिति बन गई थी। समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने और प्रेशन कम होने की वजह से कोरोना मरीजों की मौत तक हो गई थी। वहीं अब वर्तमान में हर दिन मात्र एक से डेढ़ मिट्रिक ऑक्सीजन की खपत हो रही है। वर्तमान में आईसीयू में करीब 35 कोरोना के मरीज भर्ती हैं तो ऑक्सीजन बेड पर 20 कोरोना के मरीज भर्ती हैं।
मेडिकल कॉलेज: संक्रमित हुए, स्थितियां बिगड़ी फिर भी 3 हजार मरीजों का इलाज
मेडिकल कॉलेज में कोरोना संक्रमण शुरू होने से लेकर अब तक में लगभग तीन हजार कोरोना मरीजों का इलाज कर उन्हें स्वस्थ किया जा चुका है। इस बार कोरोना संक्रमण सबसे ज्यादा तेज अप्रैल और मई माह में रहा। अप्रैल और मई माह में मेडिकल कॉलेज में 450 के लगभग कोरोना मरीज भर्ती रहकर इलाज कराते रहे। पिछले 15 दिनों से कोरोना का ग्राफ काफी कम हो गया है। अब मात्र 55 कोरोना के मरीज भर्ती रहकर इलाज करा रहे हैं। हालांकि जो भर्ती होने के लिए मरीज आ रहे हैं। उसमें ज्यादातर आईसीयू में भर्ती किए जा रहे हैं। आईसीयू में अभी भी कई मरीजों की हालत नाजुक बनी हुई है। मेडिकल कॉलेज के शैशव काल में ही अचानक मरीजों का लोड बढ़ गया था। डॉक्टर भी बेहद कम थे लेकिन सबने हिम्मत रखी और मरीजों के इलाज में जुटे रहे। इतना ही नहीं, कई डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित भी हो गए थे लेकिन हौसला रखकर इलाज में जुटे रहे।
हर दिन आ रहे चार मरीज, उससे ज्यादा हो रहे डिस्चार्ज
मेडिकल कॉलेज शहडोल में अब महज हर दिन तीन से चार मरीज भर्ती हो रहे हैं। उससे ज्यादा मरीज डिस्चार्ज हो रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, पिछले 10 दिन में स्थिति सुधरी है और मरीज भी घटे हैं।
शैशवकाल में ही 10 गुना ज्यादा बढ़ गए थे मरीज
शैशव काल में ही मेडिकल कॉलेज को कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ रहा है। महज 50 बिस्तरीय आईसीयू वार्ड को संभालने की क्षमता वाले इस मेडिकल कॉलेज में 400 से ज्यादा कोविड मरीजों का इलाज किया है। स्टॉफ व संसाधनों के अभाव में भी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पूरी सजगता से इस महामारी को मात देने हर संभव प्रयास में जुटा हुआ था। यहां न तो पर्याप्त विशेषज्ञ ही है और न ही प्रशिक्षित स्टॉफ। लगातार कोविड मरीजों की बढ़ रही संख्या से दिन प्रतिदिन दबाव बढ़ता ही जा रहा था। मरीजों की तादाद बढऩे के साथ ही ऑक्सीजन की खपत भी बढ़ रही थी। मेडिकल कॉलेज के आईसीयू वार्ड में इलाजरत मरीजों के इलाज के लिए जितने चिकित्सकों की जरूरत है उसके अनुरूप चिकित्सकों का अभाव है फिर भी तीन हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज कर घर भेजा।
खाली हो गया है कोविड वार्ड
शहडोल। जिले में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या देखकर जिला अस्पताल में कोविड वार्ड बनाया गया था। अप्रैल और मई माह में कोविड वार्ड पूरी तरह से भर चुका था लेकिन अब वर्तमान में कोविड वार्ड लगभग खाली हो चुका है। कोविड वार्ड में वर्तमान में मात्र 10 मरीज भर्ती है। जो मरीज भर्ती हैं। उनका भी तेजी से स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। ऐसे में एक सप्ताह के अंदर कोविड वार्ड पूरी तरह से खाली हो जाएगा।
जनरल वार्ड बेड – 200 क्षमता
भर्ती मरीज पॉजिटिव – 04
भर्ती संदिग्ध मरीज – 00
आक्सीजन सपोर्ट बेड – 240 क्षमता
भर्ती पॉजिटिव मरीज – 08
भर्ती संदिग्ध मरीज – 03
आइसीयू बेड – 70 क्षमता
भर्ती पॉजिटिव मरीज – 36
भर्ती संदिग्ध मरीज – 07
तिथि कोरोना संक्रमित
1 जून 07
2 जून 04
3 जून 04
4 जून 01
5 जून 03
6 जून 05
मरीजों को बेहतर इलाज देने में डॉक्टरों की टीम पूरी तरह जुटी रही है। अब मरीज कम हो गए हैं। तीन हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज मेडिकल कॉलेज में किया है। मेडिकल कॉलेज में कोरोना मरीज घटकर आधे हो गए हैं। पिछले 15 दिनों से कोरेाना मरीजों की संख्या घट गई है।
डॉ मिलिन्द्र शिरालकर, डीन
मेडिकल कॉलेज, शहडोल