जनता के भारी विरोध के बाद भी बीच शहर में बंगला बनाने पर अड़े अफसर
पार्किंग, कारोबार के लिए जगह नहीं, बीच शहर में कमिश्नर बंगला बनाने का प्रस्ताव

शहडोल- शहर में पार्किंग और कारोबार के लिए भले ही पर्याप्त जगह न हो लेकिन बीच शहर में कमिश्नर का बंगला बनाने का फैसला ले लिया गया है। शहर के पुराने कलेक्ट्रेट को तोडऩे के बाद मॉल और व्यवसायिक परिसर बनाने के निर्णय को बदलते हुए अब कमिश्नर निवास बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। यह प्रस्ताव दो महीने पहले पीआईयू के माध्यम से शासन के पास भेजा गया है। लगभग दो करोड़ की लागत से बनने वाले कमिश्नर का बंगला और कर्मचारियों के लिए आवास बनाए जाने की फाइल पीआईयू द्वारा चला दी गई है।
विभागीय स्तर पर इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। उधर शहर में पार्किंग की कमी और बढ़ते कारोबार को लेकर प्रशासन कोई पहल नहीं कर रहा है। स्थिति यह है कि शहर के बीच पार्किंग और व्यवसायिक स्तर पर बड़े मॉल व प्रतिष्ठानों को खोलने के लिए एक भी जगह नहीं हैं, जिसका उपयोग पार्किंग और व्यवसायिक स्तर पर किया जा सके। कमिश्नर बंगला बनने से शहर के बीच का एक बड़ा क्षेत्र रिजर्व हो जाएगा।
व्यवसायिक क्षेत्र की एक एकड़ जमीन रिजर्व
शहर के मुख्य व्यस्ततम मार्ग पुराने नपा के सामने और पुराने कलेक्ट्रेट परिसर की एक एकड़ जमीन पर कमिश्नर बंगला बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। यह एरिया व्यवसायिक दृष्टि से शहर का सबसे ज्यादा मजबूत है। कमिश्नर निवास बनने से शहर के बीचोबीच एक एकड़ भूमि रिजर्व हो जाएगी। प्रस्तावित कमिश्नर बंगला से कुछ ही दूरी पर व्यवसायिक परिसर, सब्जी मण्डी, मुख्य बाजार, टैगोर पार्क रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड और कई बड़े प्रतिष्ठान हैं, इससे यह क्षेत्र काफी व्यवसायिक है।
मॉल और व्यवसायिक परिसर की थी प्लानिंग
शहर के मध्य सुविधाओं को बढ़ाते हुए बेहतर शहर के लिए दो साल पहले तत्कालीन कमिश्नर डीपी अहिरवार और कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने मॉल और व्यवसायिक परिसर की प्लानिंग की थी। नगरपालिका तत्कालीन अध्यक्ष प्रकाश जगवानी ने इसके लिए अधिकारियों से मिलकर बातचीत भी की थी। प्राथमिक स्तर पर मॉल, व्यवसायिक परिसर और पार्किंग के लिए इस पर मुहर भी लगने वाली थी लेकिन बाद में कमिश्नर बंगला तैयार करने के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया।
एक नजर: कमिश्नर बंगला
- शहर के बीच कमिश्नर का बंगला सुरक्षा के मद्देनजर भी बेहतर नहीं है। कमिश्नर का बंगला शहर से बाहर होना चाहिए।
- शहर के बीच एक एकड़ में कमिश्नर निवास बनने से आने वाले समय में व्यापार पर असर पड़ेगा और यहां व्यवसायिक विकास को तेजी नहीं मिलेगी।
- मॉल और व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स को लेकर पूर्व में कलेक्टर सहित विश्राम गृह को लेकर सुरक्षा का हवाला देकर प्रस्ताव को दरकिनार कर दिया गया था।
- शहर के बीचोबीच व्यावसायिक काम्प्लेक्स और मॉल बनने से व्यापार को एकाएक काफी तेजी से बूम मिल सकता है।
एक्सपर्ट व्यू: विकास की कोई प्लानिंग ही नहीं
पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड एसडीओ एचवी नगाइच के मुताबिक शहर के विकास को लेकर कोई प्लानिंग ही नहीं है। शहर के बीचोबीच कमिश्नर का निवास बनाना सही निर्णय नहीं है। सुरक्षा के मद्देनजर एक ओर यह निर्णय सही नहीं है तो वहीं दूसरी ओर लोगों के हक से सुविधाएं छिन जाएंगी। काफी बड़े एरिया को रिजर्व करते हुए कमिश्नर का बंगला तैयार किया जाएगा। इस क्षेत्र में एक बड़े मॉल, व्यावसायिक परिसर और पार्किंग के लिए जगह बनाई जा सकती है। शहर की सीमा को बढ़ाना चाहिए और हम शहर के बीच में ही सारी चीजें लेकर आ रहे हैं। यह क्षेत्र व्यावसायिक तौर पर काफी बेहतर है। इससे प्रशासन और नगर की सरकार को काफी बेहतर राजस्व भी मिल सकता है।
इनका कहना है
कलेक्टर नरेश पाल के मुताबिक पुराने कलेक्ट्रेट में कमिश्नर बंगला बनाए जाने के लिए पीआईयू के माध्यम से शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। शासन से स्वीकृति आने के बाद ही इस मामले में निर्णय लिया जाएगा। कमिश्नर निवास को लेकर बात की जाएगी।
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