ब्रेन तक पहुंच गया था संक्रमण
जयसिंहनगर के लफरी गांव निवासी किरण यादव पति पिंटू यादव ने एक बालिका को जन्म दिया था। बालिका जन्म के बाद से ही पीलिया की चपेट में आ गई थी। बालिका का पीलिया 36 मिलीग्राम पर डेसीलीटर पहुंच गया था। जबकि सामान्य पांच से ज्यादा नहीं होता है। 15 से ऊपर होने पर ब्रेन के साथ जान के लिए खतरा रहता है। डेंजर जोन में पीलिया होने की वजह से गंभीर अवस्था में 23 दिसम्बर को रात बजे जिला चिकित्सालय शहडोल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया था। यहां पर डॉक्टर सुनील हथगेल इलाज कर रहे थे लेकिन हालत में सुधार नहीं आ रहा था। बालिका की अंतिम सांसें चल रही थी तभी डॉक्टरों ने ऑपरेशन का निर्णय लिया। डॉक्टरों ने परिजनों से सहमति ली कि बालिका का बूंद-बूंद खून बदला होगा।
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बूंद-बूंद बदला खून और बचा ली जिंदगी
ऑपरेशन के लिए परिजन की सहमति मिलने के बाद ब्लड की व्यवस्था की गई और रात में ही ऑपरेशन की तैयारियां की गईं। ढाई से तीन घंटे तक बालिका का ऑपरेशन चला। डॉ सुनील हथगेल के अनुसार 70 इंजेक्शन के माध्यम से बालिका के शरीर के भीतर से पांच-पांच एमएल खून निकाला गया और 70 इंजेक्शन के माध्यम से नया ब्लड दिया। अब बालिका पूरी तरह स्वस्थ है और उसे डिस्चार्ज करने की तैयारी की जा रही है। टीम में डॉ. सुनील कुमार हथगेल एसएनसी इंचार्ज अपर्णा सिंह विभा सक्या, ज्ञानेश्वरी देशमुख, यशोला बनोटे, प्रज्ञा ठाकुर रहे।
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प्राइवेट अस्पताल में ले गए थे परिजन
अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, परिजन पहले निजी अस्पताल में बालिका को इलाज कराने ले गए थे। यहां भी हालत में सुधार नहीं आया और हालत बिगड़ती गई तो अस्पताल लेकर पहुंचे थे। डॉक्टरों के अनुसार, डबल वाल्यूम ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन खून बदलने की प्रक्रिया है। पूरा खून बदलकर नया खून चढ़ाया गया। सेंटर लाइन बनाई गई थी। बताया गया कि बालिका स्तनपान नहीं कर रही थी। नली से आहार दे रहे थे। अब स्तनपान में सक्षम है।
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