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बिजली एक बार फिर चुनावी मुद्दा, पेयजल-सिंचाई क्षेत्र के बड़े मुद्दे

locationशाहडोलPublished: Apr 19, 2019 09:15:28 pm

Submitted by:

shivmangal singh

लोकसभा चुनाव में शहर और ग्रामीण इलाकों में अलग-अलग मुद्दे, माहौल में महुआ की मादकता, लेकिन वोटर पूरे होश में है पढि़ए लोकसभा क्षेत्र शहडोल की ग्राउंड रिपोर्ट

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Lok sabha election date in Chhindwara

शहडोल. बीटीआर (बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व) के घने जंगलों में महुआ की मादकता घुली हुई है, लेकिन वोटर पूरे होश में है। वह मुद्दों पर खुलकर बात कर रहा है। जिस तरह से बाकी क्षेत्रों में रबी की उपज आ रही है वैसे ही वनांचल में महुआ की फसल चल रही है। आदिवासी समुदाय के लिए महुआ आजीविका का मुख्य साधन है। पूरे बीटीआर में महुआ के पेड़ों की बहुतायत है। घने जंगलों के बाहर भी महुआ की इन दिनों बहार है। सूरज निकलने से पहले ही ग्रामीण पेड़ के नीचे महुआ एकत्रित करने पहुंच जाते हैं और धूप तेज होते-होते वह घर लौट जाते हैं। शहडोल लोकसभा सीट पर ग्रामीण और शहरी मतदाता के मुद्दे अलग-अलग हैं, हालांकि कुछ मुद्दे ऐसे हैं जो दोनों को प्रभावित कर रहे हैं। हमने लोकसभा चुनाव में क्या मुद्दे हैं इनकी पड़ताल करने के लिए बीटीआर के घने जंगलों में बसे गांवों की ओर रुख किया।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के घुनघुटी रेंज में मालाचुआ के आसपास बसे गांवों में हमने लोगों के मन को टटोलने की कोशिश की। मालाचुआ परियोजना के पास के ग्राम पंचायत कांचोदर पहुंचे। इस गांव से शहडोल लोकसभा क्षेत्र के वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह का गांव भी बहुत दूर नहीं है। कांचोदर तक सड़क तो अच्छी बनी है लेकिन परिवहन का साधन कमांडर और तूफान वाहन हैं। एक पेड़ के नीचे खड़ी कमांडर का ड्राइवर लोगों का इंतजार कर रहा है। वहां मौजूद राज जायसवाल, युवक संतराम बैगा से बात की तो इनका गुबार फूट पड़ा। कहा कि इस इलाके में एक नहीं कई मुद्दे हैं। पानी और स्वास्थ्य तो मुख्य मुद्दा है। आप ही देख लीजिए सामने स्वास्थ्य केंद्र है, हमेशा ताला लटका रहता है। एक आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति है लेकिन वह भी शहडोल में रहती है, जब उसकी मर्जी होती है तब आती हैं। परिवहन का हाल तो आप देख ही रहे हैं, 12 सीटर कमांडर में 30 से 35 लोग बैठकर सफर करते हैं। कांचोदर से कुछ ही दूरी पर पनवारी गांव में गोवर्धन बैगा और कौशल्या बैगा ने बताया कि मुद्दा तो साहब बहुत हैं लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा पानी का है। यदि खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिलने लगे तो हम अपने खेतों में सब्जी-भाजी उगाने लगें, जिससे गरीबी दूर हो। अभी तो हम महुआ बेचकर ही पेट पाल रहे हैं। इसके अलावा गांव में भ्रष्टाचार की वजह से सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सचिव और सरपंच की मनमानी और भ्रष्टाचार से लोग बहुत परेशान हैं और जनप्रतिनिधि भी इस पर ध्यान नहीं देते। जंगल में महुआ इकट्ठा कर रहे घुनघुटी निवासी बैजनाथ बैगा ने बताया कि पानी यहां पर बड़ा मुद्दा है, लेकिन किसानों की कर्ज माफी योजना और न्याय योजना की भी चर्चा है। शाहपुर निवासी गिरिजा प्रसाद कहते हैं कि हमारे क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा पानी और बिजली है। बिजली कटौती फिर से शुरू हो गई है। लोगों को बिजली-पानी मिलेगा तो कुछ रोजगार खड़ा कर लेंगे।
किसानों के लिए आवारा जानवर बड़ा मुद्दा
शहडोल डिंडोरी हाइवे पर स्थित गांव फतेहपुर निवासी ए. बसंत राव कहते हैं कि किसान अब खेती छोड़ता जा रहा है। किसान के लिए आवारा जानवर और मजदूरों का न मिलना बड़ी समस्या है। सिंचाई के लिए पानी नहीं है। केलमनिया बांध बना भी है तो वह सफल नहीं हुआ। किसान बसंत राव कहते हैं कि शहडोल के आसपास बसे गांव जिसमें फतेहपुर-पचगांव, झगरहा आदि में लोगों ने उपजाऊ खेतों की प्लाटिंग कर दी। बताया कि लगभग 400 एकड़ जमीन में प्लाटिंग हो गई है। आवारा जानवर किसान की कुछ घंटे में सालभर की मेहनत चौपट कर देते हैं। झगरहा निवासी अजय जायसवाल कहते हैं कि यहां की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है, जिससे लोग पलायन कर जाते हैं। सिंचाई का कोई साधन नहीं है, पेयजल के लिए भी लोग एक-एक किलोमीटर दूर जाते हैं। पं. शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय में एमएससी प्रथम वर्ष की छात्रा ममता केवट, उम्मे खैर, जयप्रकाश राठौर और रामदुलारे सिंह कहते हैं कि बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा शिक्षा में बुनियादी सुधार और रेलवे का विकास भी जरूरी है। शहडोल निवासी व्यापारी विनोद वर्मा कहते हैं कि जीएसटी में तो सरकार ने कुछ राहत दे दी है लेकिन सरकारी विभागों की लूट-खसोट बंद नहीं हुई है। कुछ विभाग टैक्स के नाम पर व्यापारी का शोषण कर रहे हैं। शहडोल निवासी मोहिउद्दीन और सिंहपुर निवासी सलीम अहमद कहते हैं कि अल्सपसंख्यक समुदाय के मुद्दे बाकी लोगों से अलग नहीं हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली समस्याओं जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल से हम भी रोज जूझते ही हैं।
आदिवासी-ओबीसी हैं निर्णायक फैक्टर
शहडोल संसदीय सीट में आठ विधानसभा सीटें हैं। इसमें शहडोल जिले की दो सीट जैतपुर और जयसिंहनगर। अनूपपुर जिले की तीनों सीटें, अनूपपुर, पुष्पराजगढ़, कोतमा, उमरिया जिले की बांधवगढ़, मानपुर सीटें शामिल हैं। इसके अलावा कटनी की एक विधानसभा सीट बड़वारा शामिल है। इस सीट पर जातीय समीकरणों की बात करें तो आदिवासी समुदाय यहां पर निर्णायक स्थिति में हैं। आदिवासी समुदाय के इस सीट पर सात लाख तीस हजार से भी अधिक वोट हैं। आदिवासियों में गोंड जनजाति के ही लगभग चार लाख वोट हैं। इसके अलावा बैगा और कोल जनजातियों के भी एक-एक लाख से भी अधिक वोट हैं। ओबीसी भी यहां पर निर्णायक फैक्टर में हैं। शहडोल सीट पर ओबीसी से ताल्लुक रखने वाले लगभग पौने चार लाख वोटर हैं। इसके बाद ब्राह्मण वोट भी अच्छा-खासा है। सवर्णों में सबसे अधिक ब्राह्मणों के लगभग दो लाख वोटर हैं।
मेरी प्राथमिकता आदिवासी अंचल के बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराना है। इसके अलावा नागपुर व मुम्बई के लिए सीधी ट्रेन, किसानों को खेती किसानी के लिए भरपूर पानी और लोगों को शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधाओं को विस्तार करना मेरी प्राथमिकता में शामिल है।
प्रमिला सिंह, कांग्रेस प्रत्याशी, शहडोल संसदीय क्षेत्र
सबका साथ सबका विकास के साथ शहडोल संसदीय क्षेत्र में जन कल्याण और राष्ट्रवाद भारत का विकास करना और मेरा लक्ष्य है और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में समृद्धशाली भारत देश बनाना मेरा लक्ष्य है। साथ ही विकास के मुद्दों पर मैं हमेशा जनता के साथ हूं।
हिमाद्री सिंह, भाजपा प्रत्याशी, शहडोल संसदीय क्षेत्र
शहडोल सीट पर मतदाताओं की संख्या
कुल मतदाता-1646230
पुरुष मतदाता- 843476
महिला मतदाता- 802732
अन्य-22

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