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आधा-अधूरा इंजीनियरिंग कॉलेज देकर चले गए मामा, भांजे हो रहे परेशान

locationशाहडोलPublished: Jan 16, 2019 05:18:28 pm

Submitted by:

shivmangal singh

इंजीनियरिंग कॉलेज को नहीं मिल सकी एआईसीटीई की मान्यता, गाइड लाइन पूरा करने में लगा कॉलेज प्रबंधन, अभी तक नहीं हो सका रजिस्ट्रेशन

shahdol

आधा-अधूरा इंजीनियरिंग कॉलेज देकर चले गए मामा, भांजे हो रहे परेशान

शहडोल. मामा ने शहडोल को इंजीनियरिंग कालेज तो दिया लेकिन वह अभी आधा-अधूरा है। इसके चलते यहां पढऩे वाले छात्र परेशान हैं। विश्वविद्यालय का भवन अभी तक बनकर तैयार नहीं हो पाया हैष इसके अलावा एआईसीटीई से उसकी मान्यता भी नहीं हो पाई है। वर्ष 2015 से संचालित इंजीनियरिंग कालेज को अभी तक रजिस्ट्रेशन नम्बर नहीं मिल पाया है वहीं एआईसीटीई की मान्यता भी अधर में लटकी हुई है। एआईसीटीई की मान्यता के लिए जो गाईड लाईन तैयार की गई है उस पर कालेज प्रबंधन अभी तक खरा नहीं उतर पाया है। जिसके चलते अभी तक एआईसीटीई की मान्यता भी इस कालेज को नहीं मिल पाई है। बिना रजिस्ट्रेशन व बिना एआईसीटीई की मान्यता के संचालित इस इंजीनियिरंग कालेज के पहले बैच की पढ़ाई अंतिम चरण में है। ऐसे में अंतिम बैच के लगभग 130 छात्र डिग्री को लेकर पशोपेश में हैं। छात्रों को डिग्री को लेकर कई प्रकार की चिंता सता रही हैं। एआईसीटीई से मान्यता नहीं मिली तो उन्हे जो डिग्री मिलेगी वह कहां की मिलेगी उनके कालेज का जिक्र होगा कि नहीं होगा, भविष्य में तो उन्हे कोई ऐसी परेशानी नहीं होगी। वहीं कालेज प्रबंधन अपने-अपने तर्क देकर इन सब परेशानियों से पलड़ा झाड़ता नजर आ रहा है।
कॉलेज प्रबंधन तैयार कर रहा रिपोर्ट
एआईसीटीई की मान्यता को लेकर पिछले सत्र में कालेज प्रबंधन द्वारा किए गए प्रयास नाकाफी साबित हुए थे। जिसके बाद इस वर्ष कालेज प्रबंधन सभी मापदण्डो को पूरा करने में लगा हुआ है। कालेज प्रबंधन द्वारा पूरी जानकारी तैयार की जा रही है। जिसे भोपाल भेजा जाएगा। इसके बाद एआईसीटीई टीम के निरीक्षण के बाद ही यह तय हो पाएगा कि मान्यता मिलती है कि नहीं। यह टीम कब तक आएगी इसे लेकर अभी प्रबंधन कुछ भी नहीं कह पा रहा है।
शर्तें बन रही बाधा
एआईसीटीई की मान्यता के लिए जो शर्तें हैं उन्हे चार वर्ष में कालेज प्रबंधन पूरा नहीं कर पाया है। जिसके चलते अभी तक कालेज को मान्यता नहीं मिल पाई है। बताया जा रहा है कि कालेज भवन के साथ ही, रेगुलर स्टाफ, मापदण्ड के अनुरूप लैब व लाईब्रेरी, विषय विशेषज्ञ के साथ ही अन्य आवश्यक्ताओं की पूर्ति मान्यता में बाधक बन रही है।
एआईसीटीई की मान्यता न मिलने से छात्रों की डिग्री में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। फिर भी हम पूरी तैयारी में लगे हैं कि इस वर्ष कालेज को मान्यता मिल जाए।
एनके मोदी, प्रभारी प्राचार्य, यूआईटी कॉलेज शहडोल।

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