शाहडोलPublished: Jun 28, 2020 12:36:01 pm
Ramashankar mishra
बढ़ा तीन हजार हेक्टेयर रकबा, किसानों ने बदला रुख इस वर्ष महज तीन हजार हेक्टेयर में सोयाबीन बोनी का लक्ष्यपिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सोयाबीन का 4 हजार हेक्टेयर घटा रकबा
सोयाबीन की फसल में नुकसानी और कम पैदावार का भय, अब किसानों को मक्के पर भरोसा
शहडोल. सोयाबीन की फसल से हो रही लगातार नुकसानी और कम पैदावार के चलते किसानों ने अपना रुख बदल दिया है। अब जिले के किसान मक्के की खेती को अपनाने में लग गए हैं। बेहतर पैदावार के साथ ही कम नुकसानी की वजह से किसानों को मक्के की खेती ज्यादा रास आ रही है। जिसके चलते इस वर्ष मक्के की बोनी की रकबा भी कृषि विभाग ने बढ़ाया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल तीन हजार हेक्टेयर से अधिक मक्के की खेती का क्षेत्रफल बढ़ाया गया है। कृषि विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि आदिवासी अंचल के किसान अब ट्रेंड बदल रहे हैं। नुकसान और कम पैदावार से मक्के की खेती के लिए आगे आ रहे हैं।
पंजीयन हुआ लेकिन नहीं हुई खरीदी
बताया जा रहा है कि जिले में मक्का खरीदी केन्द्र न होने की वजह से यहां के किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है। पिछले वर्ष मक्का खरीदी के लिए किसानों का पंजीयन भी किया गया था लेकिन खरीदी नहीं हो पाई थी। इस वर्ष जिले के किसानों ने खरीदी केन्द्र खुलवाने के लिए आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है।
ये है पैदावार की स्थिति, इन क्षेत्रों में छोड़ी खेती
नुकसान न होने के बाद भी सोयाबीन का पैदावार जहां प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल होती है। वहीं मक्के की पैदावार प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल बताई जा रही है। यही वजह है कि किसानों को मक्के की खेती पर ज्यादा भरोसा है। जिले के सिंहपुर व केलमनिया से लगे लगभग आधा सैकड़ा गांव के किसान सोयाबीन की खेती छोड़ मक्के की खेती करनी शुरू कर दी है।
मक्का: मूल्य आधा, फिर भी ज्यादा भरोसा
कृषि विभाग से जुड़े अधिकारियों के अनुसार सोयाबीन का समर्थन मूल्य मक्के से कहीं ज्यादा है। इसके बाद भी किसानों को मक्के की खेती पर ज्यादा भरोसा रखते हैं। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 38 सौ 80 रुपए है जबकि मक्के का लगभग 18 सौ 50 रुपए समर्थन मूल्य है। वहींसोयाबीन का समर्थन मूल्य मक्के से ज्यादा होने के बाद भी किसान मक्के की खेती में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।
इनका कहना है
किसानों को फसल चक्र के लिए प्रेरित किया जा रहा था। इस बार फसल में विविधता को अपनाया है। सोयाबीन की फसल नुकसानी को लेकर किसानों का रुझान अब मक्के के साथ ही अन्य दूसरी फसलों की ओर बढ़ा है।
जेएस पेन्द्राम, प्रभारी संयुक्त संचालक, कृषि विभाग, शहडोल।
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सोयाबीन की फसल की पैदावार कम होने व लगातार हो रहे नुकसान के चलते किसानों का मक्के की खेती की ओर झुकाव बढ़ा है। खरीदी केन्द्र के लिए मांग रखी है। खरीदी केन्द्र खुल जाने से किसानों को लाभ मिलेगा।
भानू प्रताप सिंह, जिलाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ, शहडोल।