फर्स्ट एड बॉक्स न आपातकालीन खिड़की-दरवाजे, हांफ रहीं जर्जर बसें
बेलगाम रफ्तार: जर्जर बसों में क्षमता से अधिक बैठाकर करा रहे सफर, ज्यादा सवारी बैठाने और पहले पहुंचने की होड़ में लगातार हादसे

शहडोल। बस स्टैंड में बसों में क्षमता से अधिक सवारी बैठाकर सफर कराया जा रहा है। यात्री मजबूरी में अपने गंतव्य स्थान तक जाने के लिए बसों में सफर कर रहे हैं। मंगलवार को इसी प्रकार का नजारा बस स्टैंड में देखने को मिला। कई बसें तो पूरी तरह से जर्जर नजर आई। उनकी इंडिकेटर तक टूटी नजर आई। इसके बाद भी इन जर्जर बसों में यात्रियों को क्षमता से अधिक भरकर सफर कराया जा रहा है। जर्जर बसों को परिवहन विभाग द्वारा परमिट दिए जाने से परिवहन विभाग भी सवालों के घेरे में आ रहा है। जर्जर बसों में क्षमता से अधिक सवारी बैठाकर यात्रा कराए जाने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बसों में यात्रा के दौरान अगर किसी यात्री के साथ किसी प्रकार की दुर्घटना होती है तो उसके लिए बसों में फस्र्ट एड बॉक्स नहीं है। कुछ बसों मेें फस्र्ट एड बॉक्स है तो उनमें दवाइयां नहीं है।
जिले में चलती हैं 100 बसें
बस स्टैंड से जिले में लगभग १०० बसें विभिन्न रूटों पर चलती हैं। इसमें लंबी रूट के दूसरे राज्यों से लेकर जिले के अंदर के रूट भी शामिल है। लंबी रूट पर जिन जगहों पर बसें चलती हैं, उसमें लखनऊ, बनारस, इलाहाबाद, कानपुर, सूरत, पूणे, छत्तीसगढ़, रीवा, सतना, सीधी, अमरकंटक, डिंडोरी, जबलपुर, कटनी, बरही, जनकपुर छत्तीसगढ़, पेंड्रा छत्तीसगढ़, मनेन्द्रगढ़ छत्तीसगढ़ शामिल हैं। इसके अलावा जिले की रूटों में जिन जगहों पर बसें चलती हैं, उसमें जैतपुर, मानपुर, सिंहपुर, केशवाही, झींकबिजुरी कोतमा आदि शामिल हैं।
केस एक
बस क्रमांक एमपी१८पी०३०६ शहडोल से कटनी तक जाती है। बस पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। बस में सामने का इंडिकेटर तक टूट चुका है। बस २८ सीटर क्षमता वाली है लेकिन उसमें ३५ सवारियों को लेकर सफर कराया जा रहा था। बस में न फस्र्ट एड बॉक्स नजर आया और न इमरजेंसी दरवाजे के पास फर्श से लगा खिड़की नजर आया। बस में नाम के लिए एक पुराना अग्निशमन यंत्र रखा गया था। बस में यात्रियों के लिए किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं थी लेकिन यात्री मजबूरी में बस में सफर करते नजर आए।
केस दो
बस क्रमांक एमपी१७पी१८०९ में जो बुढ़ार, धनपुरी और अमरकंटक जाती है। उसमें क्षमता से अधिक सवारी बैठाया गया था। बस ४० सीटर हैं लेकिन उसमें लगभग ५० यात्री सवार थे। जिन यात्रियों को बैठने के लिए सीट नहीं मिला। वे खड़े होकर यात्रा कर रहे थे। इस दौरान बस में यात्रियों की सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं था। बस में फस्र्ट एड बॉक्स तक नहीं था। इमरजेंसी दरवाजे के पास खिड़की फर्श से लगी हुई नहीं थी। ऐसे में अगर बस में किसी प्रकार का कोई हादसा हो जाता तो यात्रियों को बाहर निकलने का कोई उपाय नहीं था।
केस तीन
बस क्रमांक एमपी१८पी०१२८ झींकबिजुरी जाती है। बस २८ सीटर है लेकिन बस में लगभग ३२ सवारियों को सफर कराया जा रहा था। कई यात्री बस में खड़े होकर सफर कर रहे थे। बस में फस्र्ट एड बॉक्स नहीं था तथा इमरजेंसी दरवाजे के पास फर्श से सटा खिड़की नहीं था। बस में अग्निशमन यंत्र रखा हुआ था लेकिन देखने से साफ पता चल रहा था कि वह उपयोग करने लायक नहीं है। यात्री अपने गंतव्य स्थान तक जाने के लिए मजबूरी में किसी प्रकार जान हथेली पर लेकर बस में यात्रा कर रहे थे।
इनका कहना है
जिले में बस स्टैंड से लगभग १०० बसें चलती है। इसमें दूसरे राज्यों को जाने वाली लंबी रूटों से लेकर जिले की विभिन्न रूटों की बसें शामिल हैं।
भागवत प्रसाद गौतम, अध्यक्ष बस एसोसिएशन
इनका कहना है
बसों के फिटनेस सहित सुरक्षा के मापदण्डो को लेकर नियमित परीक्षण किया जाता है। मापदण्ड के अनुसार बसों का संचालन न करते पाए जाने पर कार्रवाई भी की जाती है। अभियान चलाकर वाहनों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
आशुतोष भदौरिया, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी शहडोल
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