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चार लॉकडाउन से लोगों की घट गई खरीदारी की क्षमता

locationशाहडोलPublished: May 31, 2020 08:06:50 pm

Submitted by:

brijesh sirmour

परिवहन के संसाधन सुलभ होने के बाद भी बाजार में नहीं हो रही है सब्जियों की ज्यादा खपत, शादी अवसर व होटल, रेस्टोरेन्ट बंद होने से बाजार में कम हो रही सब्जियों की मांग

चार लॉकडाउन से लोगों की घट गई खरीदारी की क्षमता

चार लॉकडाउन से लोगों की घट गई खरीदारी की क्षमता

शहडोल. सब्जी एक ऐसी आवश्यक सामग्री है। जिसकी जरूरत लोगों को प्रतिदिन पड़ती है और लगभर हर घर में सब्जी की खरीदारी की जाती है, मगर कोरोना संक्रमणकाल में लगातार चार लॉकडाउन में आय के स्त्रोत कम होने की वजह से अधिकांश लोग सब्जी की खरीदारी से भी परहेज करने लगे हैं। इसका असर भी अब सब्जी व्यापार में देखने को मिल रहा है। लॉकडाउन के पहले और अब की स्थिति का यदि आंकलन किया जाए तो संभागीय मुख्यालय में सब्जी का कारोबार तीस से चालीस फीसदी सिमट गया है। इसकी मुख्य वजह चार लॉकडाउन में शादी-ब्याह का सीजन, होटल व रेस्टोरेन्ट का बंद रहना और छोटे तबके के लोगों की आमदनी बंद हो जाना बताया जा रहा है। साथ ही चाट के ठेले व ग्रामीण व कस्बाई इलाकों में सब्जी बाजार नहीं लग रहा है। जिससे ज्यादा मात्रा की सब्जियां बाजार से नहीं उठ पा रही है। लॉकडाउन के शुरूआती दौर में जब परिवहन पर प्रतिबंध लग गया था तब कुछ दिनों के लिए सब्जियों के भाव आसमान को छूने लगे थे, लेकिन अब चौथे लॉकडाउन में परिवहन की सुविधा सुलभ हुई तो लोगों के पास पैसा ही खतम हो गया और वह आवश्यकतानुसार ही सब्जियों की खरीदारी करने लगे। ऐसी दशा में थोक व्यापारी भी बाजार की मांग के अनुसार ही सब्जियों की आवक करने लगा है।
अचानक बढ़ गए थे आलू के दाम
कोरोना संक्रमण में पहला लॉकडाउन लगते ही आलू की कीमतों में उछाल आ गया था और बाजार में आलू की कीमत 20 रुपए प्रतिकिलो से बढकऱ 40-60 रुपए प्रतिकिलो हो गई थी। जिस पर प्रशासन की पहल की गई और धीरे-धीरे आलू की कीमत को नियंत्रित किया गया। वर्तमान में आलू की थोक कीमत 18 रुपए प्रतिकिलो है। इसके बाद भी 20 टन आलू को बेचने में एक व्यापारी को चार से पांच दिन लग जाते है। जबकि पहले दो दिन में 20 टन यानि एक ट्रक आलू बिक जाता था।
बदल गया सब्जी का कारोबार
चार लॉकडाउन में सब्जी के कारोबार में काफी परिवर्तन ला दिया है। कस्बाई व ग्रामीण इलाकों में भी अब न तो साप्ताहिक बाजार लग रही है और न ही सब्जी मंडियों में दुकानें सज रही है। वर्तमान मेें सब्जी का कारोबार गली मोहल्लों की गलियों का कारोबार बन गया है। इधर थोक व्यापारी भी फुटकर सब्जियां बेचने को मजबूर हो गए है। साइकिल व ठेलों में केवल उतनी ही सब्जियां रखकर फुटकर व्यापार निकल रहे है, जितना वह ढो सकते है। रोजी-रोटी के चक्कर में सब्जियों के फुटकर कारोबारियों की संख्या भी बढ़ गई है।

40 फीसदी हो रहा आलू-प्याज का कारोबार
सब्जी का कारोबार मेहनत मजदूरी कर रोज कमाने रोज खाने वालों की खरीदारी और होटल, रेस्टोरेन्ट व शादी अवसरों पर ज्यादा होता है, लेकिन यह सब बंद होने से आलू-प्याज का कारोबार चालीस फीसदी ही रह गया है।
नफीस अख्तर, थोक सब्जी व्यवसायी।

बाहर से नहीं आ रहे है कोई ग्राहक
शहडोल सब्जी मंडी का कारोबार नगर सहित पड़ोसी जिलों व आसपास के ग्रामीण इलाकों से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में वहां से न तो कोई व्यापारी आ रहा है और न ही कोई ग्राहक। शहर में भी ज्यादा सब्जियों की खरीदारी नहीं हो रही है।
शंकर आसवानी, थोक सब्जी व्यवसायी।

लॉकडाउन में सब्जियों के थोक दाम
सब्जी पहले अब
आलू 30 18
प्याज 15 08
लहसुन 80 60
भिण्डी 15 10
बरबटी 35 10
खीरा 15 10
लौकी 15 10
धनिया 20 50
ूमूली 10 10
भाजी 10 10
करेला 25 15
(कीमत रुपए प्रति किलो में)

पहले ओलावृष्टि और अब कोरोना ने रूलाया
लॉकडाउन के पहले बेमौसम की बारिश और ओलावृष्टि से फसलें चौपट हो गई और अब कोरोना संक्रमण में बाजार में सब्जियों की कम खपत और कीमत से किसानों की कमर ही टूट गई है। ऐसी दशा में किसान अपनी व्यथा किसे सुनाए और अपनी क्षतिपूर्ति कहां से करे? परिवार कैसे चलाए? सोच-सोच कर रोना आ रहा है।
गुलाबनवी, कृषक, भमरहा।

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