प्रबंधन की दलील: गंभीर थे बच्चे, तीन शिफ्ट में डॉक्टर
एक साथ चार बच्चों की मौत मामले में अस्पताल प्रबंधन ने दलील दी है कि बच्चों की हालत काफी नाजुक थी। इसमें एक बच्चे को नाजुक हालत में लाया गया था। अस्पताल में मासूमों के इलाज के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। एसएनसीयू और पीआइसीयू में तीन अलग-अलग शिफ्टों में ड्यूटी लगाई गई है।
पूर्व में छह बच्चों की मौत पर प्रदेश में रही चर्चा
जिला अस्पताल में एक साथ बच्चों की मौत का यह पहला मामला नहीं है। इसके पूर्व भी जिले में एसएनसीयू में छह बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके बाद काफी हंगामा हुआ था। मामला प्रदेश स्तर तक पहुंच गया था। इसके बाद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने जिला अस्पताल सहित एसएनसीयू का दौरा कर स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया था। इस दौरान तत्कालीन सिविल सर्जन और सीएमएचओ को हटाने की कार्रवाई भी हुई थी।
तीन दिन से लेकर चार माह तक के बच्चे की मौत
1.
बुढ़ार के अर्झुला निवासी पुष्पराज 4 माह की हालत खराब होने पर परिजनों ने उसे 26 नवंबर को पीआईसीयू में भर्ती कराया था। इसके बाद डॉक्टरों ने उसका उपचार शुरू किया लेकिन उपचार के बाद भी डॉक्टर उसे नहीं बचा सके और 7 नवंबर को पुष्पराज ने दम तोड़ दिया।
2.
इसी प्रकार सिंहपुर के बोडरी निवासी राज कोल तीन माह को बीमार होने पर परिजनों ने उसे 27 नवंबर की सुबह पीआईसीयू में भर्ती कराया था। डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू किया लेकिन इलाज के दौरान दिन में ही उसकी मौत हो गई।
3.
प्रियांश 2 माह को परिजन बेहोशी की हालत में 27 नवंबर को जिला अस्पताल लेकर आए थे। इस पर डॉक्टरों ने उसे पीआईसीयू में भर्ती कराया। इलाज के दौरान बच्चे की शाम को मौत हो गई।
4.
तीन दिन के निशा को परिजन उमरिया जिला अस्पताल से डॉक्टरों द्वारा रेफर किए जाने पर 26 नवंबर को जिला अस्पताल में लेकर आए। यहां डॉक्टरों ने उसे एसएनसीयू में भर्ती कराया। इलाज के दौरान निशा की एसएनसीयू में मौत हो गई।
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मौत छिपाने दो दिन बाद दर्ज करते थे एंट्री
एसएनसीयू में गड़बड़ी पर पत्रिका ने पूर्व में भी मुद्दा उठाया था। यहां गंभीर बच्चों की एंट्री दो दिन बाद दर्ज की जाती थी ताकि मौत छिपाई जा सके। डॉक्टर बच्चों की एंट्री बाद में करते थे। जिससे गंभीर स्थिति के बाद मौत होने पर आंकड़े रिकार्ड में न आ सके। इस मामले की रिपोर्ट भी जिला अस्पताल के आरएमओ और सिविल सर्जन के माध्यम से एनएचएम को गई थी लेकिन फाइल को दबा दिया गया था और मामले में प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। लापरवाही को लेकर एसएनसीयू हमेशा सुर्खियों में रहा लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।
पीआईसीयू में तीन बच्चों की जबकि एसएनसीयू में एक बच्चे की मौत हुई है। सभी बच्चों की पहले से हालत खराब थी। इसके बारे में परिजनों को भी बता दिया गया था। किसी तरह की लापरवाही नहीं हुई है।
डॉ राजेश पांडेय, सीएमएचओ
अधिकारियों से जानकारी मांगी है। किसी भी स्तर पर लापरवाही हुई है तो कार्रवाई की जाएगी।
डॉ सतेन्द्र सिंह, कलेक्टर शहडोल