डिंडोरी- सोचिए अगर किसी व्यक्ति पर खौलती दाल डाल जी जाए तो उसका क्या हाल होगा। यहां तो एक मासूम पर जो अभी पहली क्लास में ही पढ़ रहा है। उस पर खौलती दाल डाल दी गई। और ये अमानवीय घटना हुई है, एक सरकारी स्कूल के प्राथमिक शाला में। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों से जुल्म थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में मेहदवानी के छात्रावास में लापरवाही से हुई छात्र की मौत के बाद अब लुढरा गांव की प्राथमिक शाला में एक अमानवीय घटना सामने आई है।
यहां पढऩे वाले पहली कक्षा के छात्र प्रिंस झारिया पर मिड डे मील बनाने वाली रसोइया को इतना गुस्सा आया कि उसने मासूम के चेहरे पर ही गर्म दाल फेंक दिया। मासूम प्रिंस का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने स्कूल में मिड डे मील बनाने वाली रसोइया से खाना मांग लिया। गर्म दाल से मासूम का चेहरा बुरी तरह झुलस गया। हैरत की बात यह है कि स्कूल प्रबंधन ने मामले को दबाने के लिए बच्चे को अस्पताल में इलाज के लिए दाखिल करने की बजाय घर भेज दिया। यह घटना 23 जनवरी की है।
24 जनवरी को पीडि़त बच्चे के परिजन इलाज के लिए जिला अस्पताल ले गए। स्कूल प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा बच्चे और उसके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। घटना के बाद बच्चे के परिजनों में इतनी दहशत है कि परिजनों ने बच्चे को स्कूल न भेजने का भी मन बना लिया है वहीं पीडि़त छात्र भी स्कूल जाने के नाम से दहशत में हैं। पीडि़त बच्चे का इलाज जिला अस्पताल में जारी हैं, लेकिन कार्रवाई न होने से परिजन अपने बेटे के भविष्य को लेकर भयभीत है। पीडि़त बच्चे की मां जानकी बाई ने बताया कि इस तरह की घटना से बच्चे को स्कूल भेजने का मन नहीं करता है।
अब तक की कार्रवाई प्राथमिक शाला में बच्चे के गर्म दाल की चपेट मे आने पर झुलसने के मामले को गंभीरता से लेते हुये कलेक्टर ने लापरवाही के आरोप में शाला के प्रधान पाठक प्रेम सिंह परस्ते को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। प्रधान पाठक पर मामले को दबाने तथा घटना की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को न दिये जाने के आरोप लगे थे। जिला परियोजना अधिकारी पूर्व शिक्षा अभियान द्वारा जांच के आधार पर प्रधान पाठक पर निलंबन की गाज गिरी है। गौरतलब है कि मामले की जानकारी सोमवार को मीडिया को लगने के बाद हल्ला मचने पर प्रशासन हरकत में आया और आनन फानन में जांच को अंजाम दिया गया। इस दौरान शाला प्रबंधन और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों पर मामले को छुपाने के प्रयास संबंधी आरोप लगे थे। हालांकि रसोईया और शाला प्रबंधन ने मध्यान्ह भोजन वितरण के दौरान बच्चे के दौड़कर सामने आने पर घटना घटित होने की दलील दी है।
खबर को संज्ञान में लेते हुए बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान भी जिला चिकित्सालय पहुंचे और बच्चे का हाल जाना उन्होंने पूरी घटना की जानकारी ली और जिला चिकित्सालय के अमले को उचित उपचार के निर्देश दिये। एक सप्ताह बाद भी विभागीय अमले को मामले की जानकारी नहीं होने पर उन्होंने मौजूद अधिकारियों को फटकार लगाई। साथ ही कार्रवाई के निर्देष दिये थे। ब्रजेश चौहान ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था और विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाये थे।