शहडोल. जिले में खूब पानी बरसने के बाद भी पुराने तालाब प्यासे रह गए। इस अंचल में अब मानसून टूट रहा है। गंधी कीड़ा भी आ चुका है जो मानसून की विदाई का ***** माना जाता है। जिले में पिछले एक सप्ताह से बारिश लगभग रूकी हुई है और भविष्य में अब बारिश की कोई संभावना भी नहीं दिख रही है। पिछले कई दिनों से बारिश का आंकड़ा शून्य बना हुआ है। समूचे क्षेत्र में अच्छी बारिश हुई है, पर जिला मुख्यालय में बारिश का ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। नगर के पौराणिक पोनांग तालाब, बड़ी भीठ, श्रीमोहनराम मंदिर तालाब और घरौला तालाब में क्षमतानुरूप जल का भराव नहीं हुआ है। जबकि दो वर्ष पूर्व हुई बारिश से उक्त सभी तालाब पानी से लबालब हो गए थे। श्रीमोहनराम तालाब के हाल तो यह है कि उसके दो कोनों तक में पूरा पानी नहीं पहुंचा है। यही हाल बड़ी भीठ और घरौला तालाब का है। पोनांग तालाब एवं उसके आसपास के सहायक तीन तालाबों में जल का भराव तो हुआ है, लेकिन साफ-सफाई के अभाव में पानी में काई व अन्य पौधे उग आए है। 281.8 मिलीमीटर ज्यादा हुई औसत बारिश जिले में गत वर्ष की तुलना में अब तक 281.8 मिलीमीटर ज्यादा औसत बारिश हुई है। गत वर्ष 698 मिलीमीटर औसत बारिश हुई थी, जबकि इस वर्ष 979.8 मिलीमीटर औसत बारिश हुई है। जिले सर्वाधिक 1256 मिलीमीटर बारिश जैतपुर तहसील में हुई है और सबसे कम788 मिलीमीटर बारिश बुढ़ार तहसील में हुई है। सोहागपुर तहसील में 805 मिलीमीटर, गोहपारू में 1060 मिलीमीटर, ब्यौहारी में 1028 मिलीमीटर एवं जयसिंहनगर तहसील में 940 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। क्यों नहीं भरे तालाब? जानकारों की माने तो पहले क्षेत्र का जल स्तर काफी ऊपर रहता था, जिससे कुआं व तालाबों में लबालब पानी भरा रहता था, मगर जैसे-जैसे भू-जल स्तर घट गया तो कुएं व तालाब सूखने लगे। इसके बाद तालाबों के अन्य जल स्त्रोत भी बंद हो गए और उनमें बारिश के पानी का ठहराव भी बामुश्किल से होने लगा। ऐसी दशा में उनमें पानी का भराव कम हो गया है।