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प्यार करने वालों के लिए ये मंदिर है खास

locationशाहडोलPublished: Sep 17, 2017 05:42:13 pm

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Shahdol online

इस मंदिर में जो आता है वो खाली हाथ नहीं जाता है

Here there is love for everybody

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शहडोल- माता के दरबार में सच्चे मन से जो भी मन्नत मांगने आता है । वो खाली हाथ नहीं जाता है । शहडोल के पाण्डव नगर स्थित खेरमाता मंदिर में भक्तों की काफी आस्था है । मां के दरबार में सबसे ज्यादा प्रेमी जोड़े आते हैं और अपने प्रेम विवाह की मन्नत मांगते हैं। इसके अलावा बीमारी ठीक होने, सूनी गोद भरने एवं विवाह सहित कई मनोकामना के लिए भक्तगण इस मंदिर में आते हैं। मन्नत के लिए भक्तगण मंदिर प्रांगण में स्थित पौराणिक बरगद के पेड़ में संकल्प लेकर नारियल बांधते हैं और मन्नत पूरी होने पर उसे खोलने भी आते हैं। खेरमाता मंदिर में भक्तगण अपनी मन्नत पूरी करने आते हैं और मन्नत पूरी होने पर वो अपनी श्रृद्धा भाव से मां के दरबार में हाजिरी लगाकर कथा श्रवण करते हैं और लोगों को प्रसाद का वितरण करते हैं। भक्तों की ये आस्था नवरात्र पर्व पर ज्यादा बढ़ जाती है।
इस मंदिर में लगता था कभी शेरों का जमावड़ा
मंदिर के पुजारी राजू बैगा ने बताया है कि करीब सौ वर्ष पहले यहां काफी घना जंगल हुआ करता था। जहां शेर के अलावा अन्य जंगली जानवरों का आना-जाना बना रहता था और बरगद के पेड़ के नीचे खेरमाता की मूर्ति स्थापित थी। उन्होने बताया कि सोहागपुर निवासी उनके दादा मंगना बैगा को माता ने स्वप्र में सेवा करने का आदेश दिया। जिसके परिपालन में घने जंगल मेेंं उनके दादा इस स्थल पर आए और माता की सेवा में लग गए। इसके बाद से लेकर अब तक उनकी पीढिय़ों ने ही माता की सेवा की है।
सात बहनों में एक थी खेरमाता
पुजारी के अनुसार ऐसी मान्यता है कि खेरमाता अपनी सात बहनों के साथ रहती थीं। उनकी सात बहनों में बूढ़ी माई, कालिका माई,शारदा माई, कंकाली देवी, विरासनी देवी और मरही देवी थी। जो जन कल्याण के लिए एक समय पर एक साथ अलग-अलग दिशाओं की ओर निकल गईं और अलग-अलग स्थानों पर विराजमान हो गईं। इस स्थल पर खेरमाता विराजीं और अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए मंगना बैगा को अपना सेवक नियुक्त किया।
नवरात्र पर रहती है काफी भीड़
नवरात्र शुरू होने वाले हैं… और इस मंदिर में नवरात्र के दिनों में भक्तगणों की काफी भीड़ उमड़ती है । जिसमें सबसे ज्यादा युवा लड़के-लडि़कियों की भीड़ रहती है । जो मंदिर में सुबह माता को जल चढ़ाने आते हैं तो शाम को माता के दर्शन कर अपनी मन्नत के लिए बरगद में नारियल बांधते हैं। इसीलिए मंदिर प्रांगण के पौराणिक बरगद में चारो तरफ नारियल ही नारियल नजर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि माता के दरबार से आज तक कोई खाली हाथ नहीं लौटा है। भक्तों की जो भी मुरादें होती हैं वो अवश्य पूरी होती हैं।

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