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होम्योपैथी डॉक्टर कर रहे थे इलाज, किडनी का बड़ा इलाज बताकर परिजनों को किया गुमराह, कई गैर जरूरी जांचें भी कराईं

locationशाहडोलPublished: Sep 27, 2021 12:40:55 pm

Submitted by:

Ramashankar mishra

देवांता अस्पताल सील, प्रबंधक व डॉक्टर फरारइलाज में फिजियोथेरेपी की नहीं थी जरूरत, फिर भी गुमराह कर चार्ज जोड़ामौत के बाद भी वेंटिलेटर में रख वसूल रहे थे फीस, नर्स, रिसेप्शनिस्ट की भी भूमिका

होम्योपैथी डॉक्टर कर रहे थे इलाज, किडनी का बड़ा इलाज बताकर परिजनों को किया गुमराह, कई गैर जरूरी जांचें भी कराईं

होम्योपैथी डॉक्टर कर रहे थे इलाज, किडनी का बड़ा इलाज बताकर परिजनों को किया गुमराह, कई गैर जरूरी जांचें भी कराईं

शहडोल. शहर के देवांता अस्पताल में मरीज की मौत के बाद भी वेंटिलेटर में रखकर फीस वसूलने के मामले में जांच के दौरान लगातार प्रबंधन के कारनामें परत दर परत खुल रहे हैं। जांच टीम के द्वारा महिला की केस हिस्ट्री खंगालने पर सामने आया है कि अस्पताल प्रबंधन ने किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी और इलाज बताते हुए परिजनों को डरा-धमका दिया था। बाद में मोटी रकम वसूली जा रही थी। इतना ही नहीं, पॉइजनिंग मामले में फिजियोथैरेपी का कोई संबंध नहीं था। इसके बावजूद महिला के परिजनों से फिजियोथैरेपी के नाम पर भी रुपए वसूला गया था। जांच टीम के अनुसार, महिला की रिपोर्ट में संभावित डाग्यानोसिस (सीकेडी विथ सेफ्सिस) लिखा था। महिला की हिस्ट्री एवं जांच रिपोर्ट से यह प्रमाणित नहीं होता कि मरीज सीकेडी किडनी डिसीस की मरीज थी। अधिकारियों ने रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी है। देवांता अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और धोखाधड़ी पर जांच समिति द्वारा देवांता अस्पताल का पंजीयन अग्रिम आदेश तक निरस्त किये जाने की अनुशंसा की है। शनिवार को प्रशासनिक अधिकारियों ने देवांता अस्पताल को सील भी कर दिया है। दरअसल पुष्पा राठौर, पति संतोष निवासी अनूपपुर को देवांाता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां पर मौत के बाद भी प्रबंधन जिंदा बताकर रुपए वसूलता रहा।
केस सीट में दो दिन तक की छेड़छाड़
अस्पताल प्रबंधन ने महिला की केस हिस्ट्री में भी छेड़छाड़ की है। कलेक्टर को सौंपी जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि केस सीट में किसी भी चिकित्सक का नाम अंकित नहीं था। केस सीट में ओव्हर राईंटिंग एवं मैनुपुलनेशन पाया गया । जांच में पाया गया कि वाईटल चार्ट में ओव्हर राईंटिग और कई स्थानों पर हस्ताक्षर नहीं पाए गए। रजिस्टर में काट-छांट ओवर राईंटिग की गई अस्पताल प्रबंधन द्वारा मनामाना बिल 70 हजार 100रुपये का दिया गया। उसके अतिरिक्त डायलिसिसिस के लिए अलग से फीस ली गई।
कागजों में स्पेशलिस्ट, बीएचएमएस डॉक्टर कर रहे थे इलाज
जांच टीम के अनुसार, महिला को भर्ती करने के वक्त स्पेशलिस्ट डॉ. दीपक पॉल ने देखा था, लेकिन डाग्यरनोसिस के अतिरिक्त कोई भी अपना मत नहीं दिया था। जांच टीम ने साफ कहा है कि मेडिकल स्पेशलिस्ट के द्वारा कोई भी अतिरिक्त इलाज, जांच की गई। ये डॉक्टर सिर्फ कागजों में सीमित थे। इतना ही नहीं जांच समिति ने ये भी पाया है कि देवांता अस्पताल होम्योपैथिक चिकित्सकों द्वारा संचालित किया जा रहा है जबकि जांच के लिए एलोपैथिक चिकित्सक का होना आवश्यक है। एडीएम अर्पित वर्मा के नेतृत्व में सीएमएचओ और आइएसए अध्यक्ष ने अधिकारियों को कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सौंप दी है।
डॉ पॉल का विजिट संदिग्ध, कहा- सिर्फ सलाह देता था
दस्तावेजों की पड़ताल में डॉ. दीपक पॉल के नाम से अधिकतर मरीज का जांच किया जाना इस अस्पताल में दर्ज है, जबकि डॉ. दीपक पॉल इस स्थान के अतिरिक्त शहर की एक और अस्पताल में अपनी नियमित ओपीडी एवं अन्य सेवाएं देते है। ऐसे में मरीजों को समय पर विजिट कर कन्सल्टेसन दे पाना संदिग्ध प्रतीत होता है। जांच टीम के स्टेटमेंट में डॉ. दीपक पॉल द्वारा स्वयं बताया गया है कि उनके द्वारा मरीजों को केवल् चिकित्सकीय सलाह दी जाती है। इसके बाद मरीज का इलाज किया गया अथवा नहीं किया गया इसकी मानिटरिंग उनके द्वारा नहीं की जाती थी।
10 दिन पहले नोटिस, प्रबंधन व डॉक्टर फरार
अस्पताल प्रबंधन द्वारा लापरवाही बरतने पर सीएमएचओ 15 सितम्बर को नर्सिग होम एवं क्लीनिक के रूटिन निरीक्षण के दौरान देवांता अस्पताल को कारण बताओ नोटिस भी दिया गया था। लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई सुधार नहीं किया गया। संचालक डॉ. बृजेश पांडेय एवं डॉ. बी.के. त्रिपाठी उपस्थित नहीं हुए और फोन बंद करके फरार हैं।

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