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अगर फ्री में जाना चाहते हैं इस धाम, तो जल्दी करिए, 8 फरवरी है लास्ट डेट

locationशाहडोलPublished: Feb 07, 2018 02:52:38 pm

Submitted by:

shivmangal singh

जानिए रामेश्वरम के बारे में…

Rameshwaram- If you want to go free, this Dham, then hurry

शहडोल- अगर आप रामेश्वरम जाना चाहते हैं, तो आपके लिए सुनहरा अवसर है, इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता। क्योंकि आप बिना किसी खर्च के एक धाम की यात्रा कर सकते हैं। और इसके लिए आपको मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना के तहत 8 फरवरी तक हर हाल में आवेदन जमा करना होगा। उप संचालक सामाजिक न्याय जीएस मरावी ने बताया कि रामेश्वर जाने के लिए 175 तीर्थ यात्रियों का लक्ष्य मिला है, जो यात्री रामेश्वर की यात्रा पर जाना चाहते हैं ग्राम पंचायत स्तर के यात्री आवेदन पत्र अपने क्षेत्र की जनपद पंचायतों में एवं नगरीय क्षेत्र के यात्री अपनी नगरीय निकाय में जमा करें।

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जानिए रामेश्वरम के बारे में…
रामेश्वरम समुद्र की गोज में बसा एक बहुत ही खूबसूरत दर्शनीय स्थल, होने के साथ ही बड़ा तीर्थ स्थल भी है। जो कि चार धामो में से एक धाम है। यहा हर साल भक्त गण आते हैं। रामेश्वरम तमिलनाडु के चेन्नई से करीब 592 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम लंका को जीतकर वापस लौटे तो उन्होंने भगवान शिव के प्रति अपनी प्रेम भावना को दर्शाने के लिए इस मंदिर को बनवाया था। ये मंदिर वल्र्ड के बेहतरीन कलात्मक शैली और आस्थाओं से सराबोर मंदिरों में से एक है। रामेश्वरम शहर प्राकृतिक रुप से रमणीय स्थल तो है ही साथ ही ये चारधामों में से एक तीर्थ धाम भी है।

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रामनाथ स्वामी मंदिर समुद्रतट पर स्थित वास्तुकला का जीता जागता उदाहरण है। माना जाता है कि कई शासकों ने इसे 12 वीं शताब्दी में बनवाया था। इस मंदिर की कलात्मक शैली विश्वभर में मशहूर तो है ही, इसका गलियारा भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
रामनाथ मंदिर में अब बाईस कुण्ड ही बचे हैं ऐसा कहा जाता है कि पहले 24 कुंड थे। लेकिन किसी वजह से 2 कुण्ड सूख गए जिनमें से अब 22 ही बचे हैं। यह कुण्ड पवित्र तीर्थों में से एक हैं।
रामेश्वरम में यात्रा का रथ दर्शनीय है। यहाँ शिव जी की मूर्तियों की भांति माता पार्वती की भी दो मूर्तियां विराजमान हैं। इन दोनों मूर्तियों को अलग अलग नाम से पुकारा जाता है। पहली मूर्ति पर्वतवर्दि्धनी और दूसरी मूर्ति विशालाक्षी के नाम से सम्बोधित की जाती हैं।
कोदंडाराम स्वामी मंदिर के लिए कहा जाता है कि इसी स्थान पर भगवान राम से विभीषण मिले थे इसीलिए इसी जगह पर यह कोदंडाराम स्वामी मंदिर स्थापित है। यह धनुष्कोटि से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो दर्शनीय है।
विल्लीरणि तीर्थ रामेश्वरम के तीर्थ स्थलों में से एक है। यूँ तो रामेश्वरम में कदम कदम पर कई तीर्थ हैं उन तीर्थों की अपनी अलग अलग मान्यताएं हैं। उन्हीं तीर्थों से एक है विल्लीरणि तीर्थ।

कोरल रीफ कुदरत के करिश्मों में से एक है ये बेहद खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य वाला स्थल है। यहाँ दूर दूर तक फैली सुनहरी रेत और उस पर नारियल के ऊँचे ऊँचे वृक्ष इसकी खूबसूरती को और भी खूबसूरत बना देते हैं। कोरल रीफ में अधिकतर पर्यटक मछली पकडऩे के चाह में भी आते हैं।

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अग्नि तीर्थम का जल बेहद स्वच्छ व शांत गति वाला है। यहाँ आकर पर्यटक सुकून के साथ बैठकर इसकी स्वछता को निहारते हैं। अगर आप भी रामेश्वरम आना चाहते हैं तो यहाँ अवश्य आएं यह रामस्वामी मंदिर से 100 मीटर की दूरी पर ही है।
सेतु माधव कहलाने वाले शिवजी का मंदिर रामेश्वरम के मंदिरों में से एक है। यूँ तो रामेश्वरम का मंदिर है तो भगवान शिव जी का लेकिन इसके अंदर कई और भी मंदिर हैं जो दर्शनीय हैं।
धनुषकोटि समुद्रतट पर स्थित एक दर्शनीय स्थल है यहाँ भगवान राम, लक्ष्मण, विभीषण और हनुमान की मूर्तियां विराजमान हैं। धनुषकोटि रामेश्वरम से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर है।

तरुपलानी मंदिर अपनी कलात्मक शैली नक्काशी के लिए विश्व प्रसिद्ध है ये दर्शनीय है। प्राकृतिक सुंदरता की दृष्टि से भी ये सुन्दर है। पर्यटक यहाँ आकर मन की शान्ति पा सकते हैं।
गंधाधन पर्वतम् रामेश्वरम का ऊंचा स्थल तो है ही साथ ही यह रामेश्वरम मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। यहाँ से आप पूरे समुद्र द्वीप का आकर्षक नजारा देख सकते हैं।

सीता कुण्ड के लिए कहा जाता है की अगर सीता कुण्ड में जो भी स्नान करता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं। यूँ तो रामेश्वरम में बहुत से ऐसे कुण्ड हैं जिनकी अपनी व्याख्या और अपना मत और आस्था है। उनमें से सीता कुण्ड भी एक है जो की दर्शनीय है।

सागर तट पर स्नान करने के लिए भक्त बड़े ही आस्था से यहाँ पर्यटक रामेश्वरम के मंदिर में आते हैं। यहाँ कदम-कदम पर मंदिर होने की वजह से हर जगह काफी भीड़ उमड़ी रहती है। यहाँ भगवानों की मूर्तियां दर्शनीय हैं।
आदि सेतु के लिए कहा जाता है की भगवान राम ने इसी स्थान पर सेतु बांधना शुरू किया था इसलिए इस जगह को आदि सेतु के नाम से जाना जाता है। इसे दर्भशयनम् के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।
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