शाहडोलPublished: Aug 18, 2020 12:49:15 pm
Ramashankar mishra
सोन व महानदी से 2000 क्यूमेक्स आ रहा पानीशहडोल सहित आसपास हो रही लगातार बारिश से उफान पर नदियां
इस बांध में सोन व महानदी से आ रहा दो हजार क्यूमेक्स पानी, खोले गए छह गेट, तीनों यूनिटों में बिजली उत्पादन का काम भी शुरू
शहडोल/बाणसागर. जिले के बाणसागर परियोजना में लगातार हो रही बारिश की वजह से जलस्तर भराव क्षमता के करीब पहुंच चुका है। जिसे देखते हुए बाणसागर प्रबंधन द्वारा सोमवार की सुबह बांध के छह गेट आधा-आधा मीटर खोल दिए गए हैं। जिसमें पहले तीन गेट खोले गए इसके कुछ देर बाद तीन और गेट खोल दिए गए। बांध का भराव होने से यहां कई महीनो से बंद पड़ी युनिटों से बिजली उत्पादन भी प्रारंभ हो गया है। जिले व आस-पास के क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश की वजह से जलस्तर और बढऩे की संभावना बनी हुई है। जिसे देखते हुए बाणसागर प्रबंधन के साथ ही प्रशासन भी लगातार निगाह बनाए हुए है। आस-पास के क्षेत्रो में मुनादी कराकर सभी को सूचित कराया गया है। साथ ही अन्य आवश्यक सावधानियां बरती जा रही है।
341.22 मीटर भरा बांध
जिले सहित आस-पास के क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश की वजह से बांध का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। सोमवार को बांध का जलस्तर 341.22 मीटर तक पहुंच गया जबकि बांध की जलभराव क्षमता 341.64 मीटर है। सोन व महानदी के साथ अन्य सहायक नदियों से लगभग 2000 क्यूसेक पानी की आवक बनी हुई है। जिसके चलते जलस्तर और भी बढ़ रहा है जिसके चलते और भी गेट खोलने की आवश्यक्ता पड़ सकती है।
यह रहे मौजूद
बांध के गेट खोलते समय अधीक्षण यंत्री बीके शर्मा, कार्यपालन यंत्री हरीश तिवारी, कार्यपालन यंत्री एल एन मिश्रा, अनुविभागीय अधिकारी करण प्रताप सिंह, अनुविभागीय अधिकारी मोहन वशिष्ट, अनुविभागीय अधिकारी प्रवीस दुबे, इंजी. महेन्द्र प्रताप सिंह बांध रेडियल गेट प्रभारी, इंजी. डी के दुबे, इंजी. एस एस धुर्वे, राजेश्वरी चतुर्वेदी व नारेन्द्र सिंह उपस्थित रहे।
तीनों यूनिटोंं से होगा विद्युत उत्पादन
बाणसागर बहुउद्देशीय परियोजना स्थित 20-20 मेगावॉट की तीनों यूनिट से विद्युत उत्पादन कई माह से बंद था। लगातार हो रही बारिश व बांध का जलस्तर बढऩे से यूनिटों से विद्युत उत्पादन प्रारंभ कर दिया गया है। अभी बांध में और भी जलभराव होने की संभावना बनी हुई है। बाणसागर परियोजना के दियापीपर, मसीरा, दरौरी घाट व बांध स्थल प्वाइंट से जलस्तर का लेबल लेकर लगातार निगरानी की जा रही है।