बाणगंगा मेला का आगाज: विंध्य के पहले मुख्यमंत्री ने शुरू की थी परंपरा
पांच दिन का होगा आयोजन, कोविड-19 के निर्देशों का किया जाएगा पालन

शहडोल. विराट मंदिर और बाणगंगा कुण्ड अपने आप में लोगों के लिए आस्था का केन्द्र रहा है। सूर्यग्रहण के साथ ही अन्य धार्मिक अवसरों पर यहां लोग पहुंचते थे। बाणगंगा कुण्ड में स्नान करने के बाद लोग विराट मंदिर में भगवान शिव शंकर की उपासना करते थे। विंध्य प्रदेश के गठन के बाद पहले मुख्यमंत्री बने पं. एस एन शुक्ला ने मेले की परंपरा की शुरुआत की थी। जिसके बाद से लगातार यहां मकर संक्रांति के अवसर पर मेले का आयोजन होता है।
व्यवस्था बदली
14 से 18 जनवरी तक यातायात व्यवस्था बदली है। छतवई, चंदनिया और धुरवार टोल पर हैवी ट्रैफिक सुबह 6 से 11 तक रोका जाएगा।
मार्ग को किया चौड़ा, दो बार सैनेटाइजेशन
न गर के ऐतिहासिक बाणगंगा मेले में इस वर्ष गरीबों के लिए नई पहल की गई है। जिसमें नगर पालिका द्वारा नेकी की दीवार की शुरुआत की गई है। जिसके माध्यम से कपड़े और अन्य दैनिक उपयोग की सामग्री एकत्रित कर उसे गरीबों में वितरित किया जाएगा। गुरुवार से नगरपालिका परिषद शहडोल द्वारा कोविड 19 के लिए शासन द्वारा जारी गाईड लाइन अनुसार 5 दिवसीय ऐतिहासिक बाणगंगा मेले का आयोजन किया जा रहा है। नगरपालिका अध्यक्ष उर्मिला कटारे द्वारा मेले की तैयारियो का जायजा लिया गया। साथ ही मेले में आए हुए व्यापारियो को व्यवस्थित दुकान आवंटन एवं पेयजल, स्वच्छता, प्रकाश व्यवस्था के लिए निकाय के प्रभारियो को निर्देशित किया गया है कि किसी प्रकार की असुविधा व्यापारियो को न हो। नगरपालिका अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि इस वर्ष कोरोना को द्वष्टिगत रखते हुए मेले प्रागंण मे आवागमन मार्ग को चौडा किया गया है तथा मकर संक्रांति पर्व में बाणगंगा कुण्ड में स्नान के लिए विशेष व्यवस्था कराई गई है। मेला प्रागंण में मास्क एवं सैनेटाइजर की व्यवस्था कराई गई है। मेला प्रागंण मे दोनो टाइम सैनेटाइज कराया जावेगा। मेला क्षेत्र की निगरानी एवं वीडियो ग्राफी ड्रोन कैमरे के माध्यम से तथा सीसीटीवी कैमरे का प्रसारण एलईडी से किया जावेगा। शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओ का भी एलईडी के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जावेगा।
विंध्य प्रदेश की स्थापना के साथ शुरू हुई परंपरा
पांडवनगर निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता राम प्रसाद मिश्रा बताते हैं कि विंध्य प्रदेश की स्थापना के बाद पं. एस एन शुक्ला पहले मुख्यमंत्री बने। बाणगंगा में एक दिन के मेले की पंरपरा शुरु की थी। उस समय जमुनी की व्याकर्णाचार्य विश्वदत्त्त शास्त्री द्वारा वैदिक उच्चारण कर मेले का शुभारंभ कराया था। जिसके बाद से यह परंपरा चली आ रही और अब यह मेला और भव्य हो गया। हालांकि बाणगंगा कुण्ड और विराट मंदिर की वजह से यह स्थान ऐतिहासिक और आस्था का केन्द्र रहा है।
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