15 हजार की जांच, 29 सौ मरीज भर्ती
जिला अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक महीने के भीतर 18 हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचे हैं। इसमें 15 हजार 232 मरीजों की जांच की गई। इसमें अलावा 29 सौ मरीजों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह आंकड़े 1 नवंबर से 30 नबंवर तक के हैं। इसके साथ ही लगभग 300 मरीजों को जिला अस्पताल से रेफर किया गया है। पैथालाजी में भी हर दिन एक सैकड़ा मरीज मलेरिया, डेंगू सहित कई जांचों के लिए पहुंच रहे हैं।
जिला अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक महीने के भीतर 18 हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचे हैं। इसमें 15 हजार 232 मरीजों की जांच की गई। इसमें अलावा 29 सौ मरीजों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह आंकड़े 1 नवंबर से 30 नबंवर तक के हैं। इसके साथ ही लगभग 300 मरीजों को जिला अस्पताल से रेफर किया गया है। पैथालाजी में भी हर दिन एक सैकड़ा मरीज मलेरिया, डेंगू सहित कई जांचों के लिए पहुंच रहे हैं।
मलेरिया, निमोनिया व लकवा के मरीज ज्यादा
डॉक्टर्स के अनुसार जिला अस्पताल में इन दिनों मलेरिया, निमोनिया और लकवा के मरीज सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। इसके पीछे सुबह रात की तेज ठण्ड और दोपहर की चटक धूप सबसे मुख्य वजह है। देखभाल के अभाव में बच्चों में निमोनिया तेज से पकड़ रहा है। हर दिन निमोनिया से ग्रसित होकर पांच बच्चे अस्पताल आ रहे हैं।
डॉक्टर्स के अनुसार जिला अस्पताल में इन दिनों मलेरिया, निमोनिया और लकवा के मरीज सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। इसके पीछे सुबह रात की तेज ठण्ड और दोपहर की चटक धूप सबसे मुख्य वजह है। देखभाल के अभाव में बच्चों में निमोनिया तेज से पकड़ रहा है। हर दिन निमोनिया से ग्रसित होकर पांच बच्चे अस्पताल आ रहे हैं।
मौसम बदला, बढ़े मरीज
– 40 दिन में 18 हजार 492 मरीजों की जांच, 36 सौ मरीज भर्ती
– 50 फीसदी मरीज मलेरिया से पीडि़त होकर पहुंचे अस्पताल।
– 30 फीसदी मरीज बे्रन हेमरेज लकवा और हदय रोग से पीडि़त।
– 20 फीसदी मरीज सांस रोग और हाइपोथर्मिया, बेल्स पाल्सी से पीडि़त
– 40 दिन में दो सौ से ज्यादा बच्चे निमोनिया से पीडि़त।
– 40 दिन में 18 हजार 492 मरीजों की जांच, 36 सौ मरीज भर्ती
– 50 फीसदी मरीज मलेरिया से पीडि़त होकर पहुंचे अस्पताल।
– 30 फीसदी मरीज बे्रन हेमरेज लकवा और हदय रोग से पीडि़त।
– 20 फीसदी मरीज सांस रोग और हाइपोथर्मिया, बेल्स पाल्सी से पीडि़त
– 40 दिन में दो सौ से ज्यादा बच्चे निमोनिया से पीडि़त।
ठण्ड और धूप से इन बीमारियों का खतरा
1. हाइपोथर्मिया
वजह: शरीर का तापमान 34 डिग्री पहुंच जाना और बीपी कम हो जाना।
बचाव: इससे मौत भी हो जाती है। ठण्ड से बचाव और खानपान में ध्यान रखना।
2. हार्ट अटैक और लकवा
वजह: ठण्ड में ब्लड प्रेशर अधिक होना।
बचाव: बुजुर्गो को सुबह के वक्त ठण्डे पानी से नहाने से बचना और ठण्ड से बचाव। 3. निमोनिया और सांस लेने में तकलीफ
वजह: मौसम में बदलाव, ठण्ड लगना और धूम्रपान।
बचाव: ठण्ड में बच्चों को विशेष परहेज, धूम्रपान से दूरी और ठण्ड से बचाव।
वजह: ठण्ड में ब्लड प्रेशर अधिक होना।
बचाव: बुजुर्गो को सुबह के वक्त ठण्डे पानी से नहाने से बचना और ठण्ड से बचाव। 3. निमोनिया और सांस लेने में तकलीफ
वजह: मौसम में बदलाव, ठण्ड लगना और धूम्रपान।
बचाव: ठण्ड में बच्चों को विशेष परहेज, धूम्रपान से दूरी और ठण्ड से बचाव।
4. बेल्स पाल्सी (फेसियल पैरालाइसिस)
वजह: ठण्ड की वजह से कान के नजदीक नस सिकुडऩा
बचाव: इससे मुहं टेड़ा हो जाता है। ठण्ड में मफलर का उपयोग और बचाव। 5. अल्सर
वजह: बाहरी खानपान और मौसम में बदलाव
बचाव: एक्सरसाइज, खानपान में ध्यान।
वजह: ठण्ड की वजह से कान के नजदीक नस सिकुडऩा
बचाव: इससे मुहं टेड़ा हो जाता है। ठण्ड में मफलर का उपयोग और बचाव। 5. अल्सर
वजह: बाहरी खानपान और मौसम में बदलाव
बचाव: एक्सरसाइज, खानपान में ध्यान।
एक्सपर्ट सलाह
खतरनाक है सुबह की ठण्ड
जिला अस्पताल के डॉ धर्मेन्द्र द्विवेदी के अनुसार सुबह की ठण्ड बेहद खतरनाक है। बुजुर्ग और बच्चों को सबसे ज्यादा परहेज की जरूरत है। सुबह के वक्त ठण्डे पानी से नहीं नहाना चाहिए। ठण्ड की वजह से लगातार ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और कई बीमारियों की चपेट में लेता है। ठण्ड की वजह से हदयरोग, ब्रेन हेमरेज लकवा, मलेरिया और सांस लेने में तकलीफ के मरीजों में बढ़ोत्तरी हुई है। बीपी नियंत्रित न होने की वजह से बहुत जल्द लकवा अपनी चपेट में ले रहा है। ठण्ड से ही बच्चों को निमोनिया हो रहा है। परहेज करके इन बीमारियों से बचा जा सकता है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन स्ट्रीम सहित कई सुविधाएं अलग से कर रखी हैं।