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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभाग का बढ़ाया मान, अब हक के लिए हो रहा परेशान, सपरिवार मांगी इच्छामृत्य

locationशाहडोलPublished: Sep 15, 2021 09:08:40 pm

Submitted by:

shubham singh

– मेडल, शील्ड और प्रमाणपत्र लेकर ४ अक्टूबर से भोपाल में करेगा आमरण अनशन- न्याय न मिलने पर सपरिवार मांगी इच्छामृत्यु, कहा- अधिकारी खिंचवाते थे फोटो, अब फेरते हैं मुंह

Increased respect of the department at the international level, now getting upset for the rights, family sought euthanasia

मेडल, शील्ड और प्रमाणपत्र लेकर ४ अक्टूबर से भोपाल में करेगा आमरण अनशन- न्याय न मिलने पर सपरिवार मांगी इच्छामृत्यु, कहा- अधिकारी खिंचवाते थे फोटो, अब फेरते हैं मुंह


– अधिकारियों पर लगाए प्रताडऩा के आरोप, कहा- १०० मेडल वापस ले लो लेकिन नौकरी करने दो

शहडोल. अपनी प्रतिभा के दम पर राज्य से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक वन विभाग का नाम रोशन करने वाले चौकीदार को विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की प्रताडऩा का दंश झेलना पड़ रहा है। दरअसल जिस खेल के दम पर उसने विभाग का मान बढ़ाया वही खेल उसकी मानसिक परेशानी की वजह बन रहा है। उसे जहां पदोन्नति सहित अन्य लाभों से वंचित होना पड़ रहा है। अधिकारी और कर्मचारियों की उलाहना का भी शिकार होना पड़ रहा है। जिससे हताश और परेशान होकर वन विभाग में पदस्थ चौकीदार अब न्याय के लिए अपने मेडल, शील्ड, प्रमाणपत्र और सेवा अभिलेख लेकर राजधानी में अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठने का निर्णय लिया है। वनकर्मी ने अनशन के बाद भी न्याय न मिलने की स्थिति में सपरिवार इच्छामृत्यु की भी मांग की है। उत्तर वनमंडल में पदस्थ चौकीदर यज्ञनारायण सेन ने वर्ष २००३ से विभागीय खेल प्रतिभाओं में भाग लेकर ५ किमी १० किमी और २५ किमी की रेस व वॉक प्रतियोगिता में भाग लेकर लगातार अपने विभाग का राज्य से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक माना बढ़ाया। अपनी खेल प्रतिभा के दम पर उसने कई मेडल और ट्राफी अर्जित की है। पीडि़त यज्ञनारायण कहते हैं, इस उपलब्धि पर उसके साथ खड़े होकर फोटो खिंचवाने वाले अधिकारी कर्मचारियों ने ही मदद करने के वक्त उससे मुंह फेर लिया है।
३० वर्ष में एक भी पदोन्नति नहीं
यज्ञनारायण सेन की मानें तो ९ फरवरी १९८८ से वह वनविभाग में चौकीदार के पद पर पदस्थ है। उसके बाद जिन कर्मचारियों की नियुक्ति हुई थी उन्हे २ पदोन्नति का लाभ मिल चुका है। जबकि पिछले लगभग ३० वर्ष के कार्यकाल में उसे एक भी पदोन्नति का लाभ नहीं मिला। जिसके चलते वह हताश और निराश है। यज्ञनारायण की मानें तो नियुक्ति से सर्विस बुक बनी है। नैमित्तिक कोई पद नहीं होता है लेकिन मनमर्जी से नैमित्तिक चौकीदार लेखकर वर्ष २०१९ में पर साख्योतर घोषित करा दिया है।
वापस कर दिया आवेदन, करते हैं अपमानित
पीडि़त की मानें तो उसके द्वारा पूर्व में कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी समस्या के समाधान के लिए लिखित से आवेदन दिया गया है लेकिन उसकी समस्या का अभी तक कोई समाधान नहीं हो पाया। हाल ही में २८ अगस्त २०२१ को आयोजित वृत्त स्तरीय कर्मचारी समस्या निवारण शिविर आयोजित किया गया था। जिसमें भी उसके द्वारा अपनी समस्या संबंधी आवेदन दिया गया था। जिस पर उसका आवेदन वापस कर दिया गया। साथ ही उसे अपमानित भी किया गया। साथ ही यह भी कहा गया है कि वर्तमान में पदोन्नति में प्रतिबंध लगा है। जबकि वरिष्ठ कार्यालय भोपाल से आश्वासन दिया गया है कि यदि वर्ष २०१६ के पूर्व जूनियर कर्मचारी को पदोन्नति दी गई है तो कोई प्रतिबंध नहीं है।
प्रतियोगिताओं में भाग लेने पर नाराजगी
उल्लेखनीय है कि यज्ञनारायण सेन खेल गतिविधियों में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। अपनी प्रतिभा के दम पर वह वॉक व रेस प्रतियोगिताओं में कई गोल्ड व सिल्वर मेडल के साथ ही कई शील्ड व प्रमाणपत्र अर्जित कर राष्ट्रीय स्तर तक परचम लहराया है। यज्ञनारायण का कहना है कि मुख्यवनसरंक्षक कार्यालय में पदस्थ कई कर्मचारियों के साथ ही अधिकारियों द्वारा उसे खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने से मना किया जा रहा है। इसके बाद भी वह लगातार खेल गतिविधियों से जुड़ा है। यही वजह है कि अधिकारी कर्मचारियों द्वारा उसे लागतार प्रताडि़त किया जा रहा है।
अन्य देशों में खेलने के लिए चयन, दबा दी फाइल
यज्ञनारायण कहते हैं अपनी प्रतिभा के दम पर उसने कई बार मास्टर एथलैटिक्स से राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है। कनाड़ा, सिंगापुर, मलेशिया, दुबई के लिए उसका भारतीय टीम में चयन किया गया। शासन से अनुमति के लिए फाइल भेजी गई थी वह सीसीएफ कार्यालय में ही दबा दी गई। वरिष्ठ अधिकारी कर्मचारियों का कहना था कि क्या जरूरी है कि हर बार गोल्ड मेडल ही जीते।
छलक पड़े आंसू
विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की उपेक्षा का दंश झेल रहे यज्ञनारायण सोनी कहते हैं, वह कार्यालयों के चक्कर काट-काट कर थक चुका है। न्याय के लिए उसने मुख्यालय से लेकर भोपाल तक चक्कर काटे लेकिन कहीं से उसे कोई मदद नहीं मिली। जिसके चलते वह बहुत ही व्यथित और निराश है। व्यथा सुनाते-सुनाते यज्ञनारायण की आंखों से आंसू छलक आते हैं। सभी जगह से निराशा हाथ लगने के बाद उसने राजधानी में आमरण अनशन करने का निर्णय लिया है। जिसे लेकर उसके द्वारा १४ सितम्बर को राज्यपाल को संबोधित पत्र जिला प्रशासन को सौंपा है।
अपनी रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी है। कर्मचारी द्वारा नियमित वेतनमान व पदोन्नति की मांग की गई है। जिसका निर्णय मुख्यालय स्तर पर होना है। यदि मुख्यालय इसकी अनुमति देता है तो उनकी समस्या का निराकरण हो जाएगा।
पी के वर्मा, सीसीएफ शहडोल
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