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जागो हे मतदाता प्रहरी, जाग्रत करो पड़ोसी को, मूल्यवान मत देकर तोड़ो नेता की मदहोशी को

locationशाहडोलPublished: Oct 31, 2018 08:12:39 pm

Submitted by:

shivmangal singh

पत्रिका के आहवान पर जिले के कवियों ने सुनाई मतदाता जागरूकता पर रचनाएं और मतदान की ली शपथ

Jago O voter watchdog, wake up neighbor, give valuable vote, break the leader's sarcasm

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शहडोल. पत्रिका के आहवान पर संभागीय मुख्यालय स्थित दूरसंचार कार्यालय के सामने सनराइज स्कूल प्रांगण में मतदाता जागरूकता पर कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। जहां कविगणों ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया और ऋत्विक दास मिश्र ने मतदान करने व कराने की शपथ दिलाई। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वयोवृद्ध कवि कृष्णकिशोर मिश्रा ने की। गोष्ठी का शुभारंभ नत्थूलाल गुप्ता के मतदान लोकगीत के साथ किया गया। मतदान लोकगीत की पंक्तियांं कुछ इस प्रकार रही कि जरूर मतदान करने को जाइए, फर्ज को अपने निभाइए। आप है देश के भाग्य विधाता, बनिए जागरूक मतदाता। वरिष्ठ कवि शिवप्रसाद गौर ने मतदान को अपना फर्ज बताते हुए कविता का वाचन किया कि दान मत दीजीए, मतदान कीजीए, प्रसाद मिले जो वह नेता देख लीजीए। मन से विचार मत दान कीजीए, कर्ज नहीं, यह फर्ज है सभी का, जाए मत केन्द्र मत स्वयं कीजीए। कवि अतुल वाजपेयी ने मतदाताओं को लोकतंत्र का बेटा बताते हुए अपनी कविता का पाठ किया कि लोकतंत्र के बेटों का हमको दायित्व निभाना है, चाहे कुछ भी हो जाए हमको नीला बटन दबाना है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वयोवृद्ध कवि कृष्ण कुमार मिश्र ने अपनी कविता के माध्यम से नेताओं पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि जागो हे मतदाता प्रहरी, जाग्रत करो पड़ोसी को। मूल्यवान मत देकर तोड़ो नेता की मदहोशी को। जागरूक मतदाता सुन लो लालच बुरी बलाई है। बिना घूंस मतदान करो तुम होगी तभी भलाई है। मदनमोहन पाण्डेय ने अपनी रचना पाठ में बताया कि देकर हम वोट, लोकतंत्र का मान करें। ख्वाबों के तार बुने, ऐसी सरकार चुने। हरीलाल साहू ने कविता पाठ में कहा कि मतदाता हो, मतदान करो। अहसान नहीं अहसास करो, राष्ट्रनीति ही बनती तुमसे, अपने राष्ट्र का उत्थान करो। डॉ. गंगाधर ढोके ने मतदान को अपनी पंक्तियों में कुछ इस तरह पिरोया कि दुष्कर नहीं यह बहुत ही आसान है, यह लोकतंत्र का तिलक ए शान है। चुकना नहीं कोई उम्मीद सभी से हो, जनतंत्र देश की जान, यह मतदान है। रचनाकार शाद अहमद शाद ने अपनी रचना को तरन्नुम अंदाज में बयां किया कि औरों को भी सबक ये सिखाना हमें, केन्द्र तक सबसे पहले है जाना हमें, आपके वोट से सत्य की जीन हो, लोक पीड़ा को हरने चले आइए, अपने नेता को चुनने चले आइए। कवियित्री अनुसूइया उइके ने अपनी कविता का वाचन किया कि सोच समझकर दीजीए, बनिए चतुर इंसान। भविष्य निर्धारण करता है, एक-एक मतदान। नलिनी तिवारी की पंक्तियां इस प्रकार रही कि लोकतंत्र की आस्था का किया करें सम्मान, यह अपना अधिकार है, सदा करे मतदान। डॉ. सोनम दुबे ने कविता पाठ किया कि सूझबूझ से देना मत, वह देश नाम खत हो जाए, हो जाना नियमित इतना मतदान नई लत हो जाए। डॉ. नीलमणि दुबे की कविता इस प्रकार रही कि आओ बहनों भाइयो, पढ़े देश की शान, मत की आहुति डालकर करो यज्ञ मतदान। कवि गोष्ठी में रवीन्द वैद्य, नलिनी तिवारी, डॉ. सोनम दुबे, सत्येन्द्र कुमार तिवारी, बृजेन्द्र ङ्क्षसह, आरसी गुप्ता, केशव तिवारी, अनिल मिश्रा, श्यामा सोंधिया, उपमा माझी और रवि मरकाम का सक्रिय सहयोग रहा।
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