scriptआयली धुआं से धूमिल हो रही कलचुरीनकालीन ऐतिहासिक धरोहर | Kalichuri Din Historical Heritage Grizzled by Ayili Smoke | Patrika News

आयली धुआं से धूमिल हो रही कलचुरीनकालीन ऐतिहासिक धरोहर

locationशाहडोलPublished: Sep 18, 2018 09:43:28 pm

Submitted by:

shivmangal singh

धुआं और दूध की सड़ांध से श्रद्धालुओं का घुट रहा दम

Kalichuri Din Historical Heritage Grizzled by Ayili Smoke

Kalichuri Din Historical Heritage Grizzled by Ayili Smoke

शहडोल. जिले का पौराणिक कलचुरी कालीन ऐतिहासिक विराटेश्वर मंदिर का अस्तित्व इन दिनों खतरे में दिख रहा है। मंदिर से पानी निकासी के ड्रेनेज को बंद कर दिए जाने से शिवलिंग में चढ़ाए जाने वाले दूध और पानी की सड़ांध से श्रद्धालुओं का दम घुट रहा है। वहीं अगरबत्ती और दीपक के धुएं से मंदिर की पौराणिक दीवारों पर ऑयली कीट लग गया है। इसके लिए कई जागरूक दर्शनार्थियों ने पुरातत्व विभाग के शिकायत पुस्तिका में वरिष्ठ अधिकारियों से शीघ्र आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। जबकि विभागीय लोगों का कहना है इसके लिए भक्तों मेंं जागरूकता लाने की जरूरत है। तभी ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
डे्रनेज को किया बंद
स्मारक परिचायक विजय कुमार सुमन ने बताया है कि मंदिर में पौराणिक पद्धति से बने ड्रेनेज यानि पानी के निकासी द्वार को बंद कर दिया गया है। जिससें मंदिर के अंदर शिवलिंग में चढ़ाए जाने वाला दूध व पानी को बर्तन में भर कर बाहर फेंका जाता है। इसके बाद भी कुछ अंश वहीं रह जाता है, जो बाद में दुर्गन्ध मारता है।
आराधना बनी समस्या
कई जागरूक श्रद्धालुओं ने बताया है कि मंदिर में शिवलिंग की पूजा-अर्चना ही मंदिर के अस्तित्व को संकट में डाल रही है, क्योंकि विशेष अवसरों पर भक्तगण जल व दूध से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और दीपक व अगरबत्ती जलाकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। उन्हे मना करने पर पर कुछ भक्त झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं।
तिरछा हो रहा मंदिर
पिछले कुछ वर्षों से मंदिर का आकार तिरछा हो रहा है। देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ दिनों बाद मंदिर कहीं गिर न जाए। जानकारों की माने तो मंदिर सेन्ड स्टोन से बना जो पानी पडऩे पर लेयर छोड़ता है और शायद मंदिर को गिरने से बचाने के लिए विभागीय तौर पर ड्रेनेज को बंद करने का निर्णय लिया गया हो।
इनका कहना है
मंदिर का ड्रेनेज किस कारण से बंद किया हैï? इसका मैं पता लगवाता हूं। यदि विराटेश्वर मंदिर विभाग के लीविंग टेम्पल कटेगरी में आता है, तो हम वहां लोगों को पूजा-अर्चना करने से नहीं रोक सकते हैं।
डॉ. प्रीतम टेनवार, असि. आर्किलाजिस्ट, पुरातत्व विभाग, भोपाल
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो