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जानिए कैसे डॉग स्क्वाड ने शिकारियों तक पहुंचाया

locationशाहडोलPublished: Dec 08, 2017 12:04:29 pm

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Shahdol online

बाघ के दांत और मूंछ निकालकर झाडिय़ों में छिपा दिया था शव

Learn how dog squads deliver to predators

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शहडोल. घुनघुटी अंतर्गत अर्जुनी के धोरई गांव में बाघ के शिकार मामले का पर्दाफाश करने में वन विभाग को सफलता मिली है। डॉग स्क्वाड की मदद से वन विभाग की टीम शिकारियों के घर तक पहुंची थी। कड़ाई से पूछताछ करने पर आरोपियों ने बाघ के शिकार की वारदात को अंजाम देना स्वीकार किया है। गुरूवार को सीसीएफ टीएस चतुर्वेदी और डीएफओ वासु कन्नौजिया ने मामले का खुलासा किया। डीएफओ ने बताया कि 30 दिसंबर को आरोपियों ने शिकार की प्लानिंग बनाई थी।
शाम 7 बजे रमेश सिंह, लक्ष्मण सिंह, कौशल सिंह, रूकमंगल सिंह ने मनठारिया उर्फ चंद्र सिंह से जीआई तार लेकर घघड़ार जंगल में खेत के चारों ओर करंट फैला दिया था। इसके बाद काफी समय तक इंतजार करते रहे। बाघ के करंट की चपेट में आते ही आरोपियों ने घसीटकर झाडिय़ों में ले गए और शव को लेंटाना में छिपा दिया था। बाघ को दूसरे दिन झाडिय़ों में एक ग्रामीण महिला ने देखकर विभाग को सूचना दी थी। वारदात की पतासाजी के लिए टीएसएफ और डॉग स्क्वाड की टीम पहुंची थी। जिसे सुराग मिलते ही आरोपियों के घर तक पहुंची और मामले का पर्दाफाश हुआ। इसमें सीसीएफ टीएस चतुर्वेदी, डीएफओ वासु कन्नौजिया, एसडीओ राहुल मिश्रा, टीएसएफ प्रभारी, रेंज आफीसर एपी त्रिपाठी की भूमिका रही।
पेड़ की खोल में रखे थे मूंछ और दांत
डीएफओ के अनुसार आरोपियों ने शिकार के बाद बाघ के शव को जंगल ले गए। जहां पर बाघ की मूंछ और दांत निकाल लिए थे। पांचों आरोपियों ने आपस में बांट लिया था। टीम ने कई आरोपियों के घर और पेड़
की खोह से बाघ के दांत और मूंछ के बाल जब्त किए हैं। हालांकि वारदात के बाद पीएम तक वन विभाग बार बार सफाई देता रहा कि बाघ के सारे अंग सुरक्षित है। अधिकारियों का कहना था कि दांत गायब थे
लेकिन जबड़े के भीतर फंसे हुए मिले थे।
पहले भी दो बार कर चुके हैं शिकार
पूछताछ में आरोपियों ने कई सुराग उगले हैं। टीम के अनुसार मनठारिया, लक्ष्मण, रमेश, रूकमंगल, कौशल की गैंग द्वारा पूर्व में भी दो बार शिकार किया जा चुका है। इसमें आरोपियों ने जंगल ***** की शिकार किया था। इन आरोपियों से जंगली ***** की हड्डी भी जब्त की गई है।
भनक नहीं लगती तो हो जाता सौदा
आरोपियों ने बाघ के शव को पूरी तरह झाडिय़ों में छिपा दिया था। वन विभाग की टीम को खुद झाडिय़ों के भीतर घुसकर शव को निकालने के लिए मशक्कत करनी पड़ी थी। ग्रामीण महिला के माध्यम से सूचना नहीं दी जाती तो शायद पूरे बाघ के शव का सौदा आरोपियों तक कर दिया जाता। आरोपी नाखून और खाल निकालने के फिराक में भी थे लेकिन पहले ही वन विभाग को भनक लग गई थी।
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