शाहडोलPublished: May 19, 2022 10:39:04 pm
Ramashankar mishra
सोन नदी के दशरथ घाट को संवारेंगे समाजसेवी, भगवान राम से जुडी है मान्यताश्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास के ट्रस्टी व उनकी टीम भी पहुंची
मध्य प्रदेश की इस नदी के घाट में भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का किया था तर्पण
शहडोल. संभाग के तीनों जिलो से होकर गुजरने वाली सोन नदी के कई घाट धार्मिक और एैतिहासिक मान्यताओं को संजोए हुए हैं। इनमें से एक उमरिया जिले के ग्राम पंचायत खिचकड़ी के ग्राम केल्हारी में दशरथ घाट भी है। जहां बुधवार को श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास के ट्रस्टी, शोधकर्ता व प्रबंध ट्रस्टी अपनी टीम के साथ शहडोल के समाजसेवियों के साथ पहुंचे हुए थे। जहां उन्होने काफी समय बिताया। दशरथ घाट में बने भगवान कार्तिकेय के प्राचीन मंदिर के साथ ही आस-पास के क्षेंत्रों का भ्रमण किया। इस दौरान ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने लोगों से चर्चा की और यहां के महत्व के विषय में जानकारी जुटाई।
विकसित करने बढ़ाएंगे कदम
श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास की टीम के साथ दशरथ घाट पहुंचे शहडोल के समाजसेवियों ने इसे विकसित करने और प्रचार.प्रसार करने का मन बनाया है। जिसके लिए उन्होने अपने स्तर पर तैयारियां भी प्रारंभ कर दी है। फिलहाल इस घाट में किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं है। साथ ही ज्यादातर लोगों को इसके महत्व के विषय में भी जानकारी नहीं है। भगवान राम से जुड़े इस एैतिहासिक स्थल को विकसित करने का बीड़ी शहडोल जिले के समाजसेवियों ने उठाया है। जिसके लिए उन्होने अपने स्तर पर तैयारियां प्रारंभ कर दी है।
कोई व्यवस्था नहीं, पहुंच मार्ग का भी अभाव
धार्मिक मान्यताओं को संजोए हुए इस घाट का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि यहां तक पहुंचने का कोई व्यवस्थित मार्ग ही नहीं है। शहडोल से मानपुर पहुंच मार्ग के बीच स्थित दशरथ घाट में भी कोई व्यवस्था नहीं है। भगवान कार्तिकेय के प्राचीन मंदिर के अलावा न तो घाट के आस पास बैठक व्यवस्था है न ही कोई अन्य सुविधाएं। प्रचार प्रसार के अभाव में यह क्षेत्र अभी भी विकास से कोसों दूर है। यहां तक कि पूर्व में मुख्य मार्ग में दशरथ घाट पहुंच मार्ग को इंगित करने लगाया गया बोर्ड भी हटा दिया गया है।
भगवान राम ने किया था तर्पण
ऐसी मान्यता है कि भगवान राम वन गमन के समय यहीं से होकर गुजरे थे। इस दौरान वह दशरथ घाट में कुछ समय के लिए रुककर अपने पिता राजा दशरथ का तर्पण किया था। जिसके बाद से ही इस घाट का नाम दशरथ घाट पड़ा था।
इनका कहना है
भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का तर्पण इसी घाट में किया था। लोगों को इस घाट के विषय में ज्यादा जानकारी ही नहीं है। यहां किसी भी प्रकार का विकास कार्य नहीं हुआ है। हमारी टीम ने इस क्षेत्र को विकसित करने की कार्ययोजना बनाई है। जल्द ही क्षेत्र को विकसित करने की दिशा में प्रयास करेंगे।
सुशील सिंघल, समाजेसवी शहडोल