केस एक
रीवा निवासी 68 वर्षीय वृद्ध को कोरोना होने के बाद परिजनों ने मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। वृद्ध शुगर और बीपी के मरीज थे। इन्हें सांस लेने में दिक्कत के साथ शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया था। इस पर इन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था। कई दिनों तक इलाज चलने के बाद ये कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हो गए। इसके बाद भी इनके फेफड़े को जितना नुकसान हुआ था। वह रिकवर नहीं हो पाया और वेंटिलेटर पर रखे जाने के बाद भी इनकी मौत हो गई।
केस दो
अनपूपुर निवासी 70 वर्षीय वृद्ध भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इस पर इन्हें मेडिकल कॉलेज में आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था। इलाज के बाद ये भी कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हो गए लेकिन इसके बाद भी इन्हें सांस लेने में तकलीफ होने पर वेंटिलेटर पर रखा गया था। इन्हें भी शुगर और बीपी की बीमारी थी। बाद में इनका फेफड़ा रिकवर नहीं कर पाया और इनकी मौत हो गई।
केस तीन
ब्यौहारी निवासी 67 वर्षीय वृद्ध को कोरोना होने पर परिजन मेडिकल कॉलेज लेकर आए। इस पर वृद्ध को एसएनसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया। वृद्ध शुगर और बीपी के मरीज थे। इलाज के दौरान ये भी कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हो गए लेकिन इसके बाद भी इनको सांस लेने में दिक्कत बनी हुई थी। इस पर इन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। इनकी भी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई।
मास्क और सोशल डिस्टेंस बेहद जरूरी
वैक्सीन लगने तक मास्क और सोशल डिस्टेंस बेहद जरूरी है। इसे अपनाकर हम कोरोना संक्रमण से बच सकते हैं। मेडिकल कॉलेज में बेहतर व्यवस्थाएं हैं। पहले से मौत का ग्राफ भी घटा है।
डॉ सतेन्द्र कुमार सिंह, कलेक्टर
काउंसलिंग के साथ फॉलोअप भी करा रहे
कोरोना मरीजों के इलाज के साथ काउंसलिंग भी करते हैं। उन्हे बेहतर डाइट और योगा की सलाह भी दे रहे हैं। फोन पर भी डॉक्टर्स फॉलोअप कर रहे हैं।
डॉ मिलिन्द्र शिरालकर, डीन
मेडिकल कॉलेज, शहडोल