scriptअद्भुत है कुनुकेश्वर नाथ की लीला, नीचे भोले का डेरा, ऊपर बह रही नदी की अविरल धारा | Mahashivaratri Special It is wonderful that Kukukeshwar Nath Ki leela | Patrika News

अद्भुत है कुनुकेश्वर नाथ की लीला, नीचे भोले का डेरा, ऊपर बह रही नदी की अविरल धारा

locationशाहडोलPublished: Feb 13, 2018 12:41:12 pm

Submitted by:

shivmangal singh

महाशिवरात्रि पर विशेषमकर संक्रांति में ही होते है उमा महेश्वर के दर्शन

Mahashivaratri Special It is wonderful that Kukukeshwar Nath Ki leela
रमाशंकर मिश्रा
शहडोल- नदी के बीचो-बीच पत्थर की ओट में बना एक ऐसा कुण्ड जिसके लगभग 20 फिट गहराई में शिवलिंग व मां पार्वती की अद्भुत प्रतिमा स्थापित है। यह सुनने में अवश्य आश्चर्य जनक है लेकिन सच है। जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर जैतपुर स्थित कुनुक नदी में यह अद्भुत स्थान है। जो कि कुनुकेश्वर नाथ धाम के नाम से जाना जाता है। जहां वर्ष में एक बार ही भगवान औघड़धानी व मां पार्वती के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है। इसके अलावा शेष दिनो में वह रेत व पानी के बीच अदृश्य रहते हैं। यह कुण्ड कैसे बना, यहां शिवलिंग व मां पार्वती की प्रतिमा की स्थापना किसने कि यह कोई नही जानता है।
इस अद्भुत स्थान पर मकर संक्राति के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। यही वह समय होता है जब भगवान शिव व मां पार्वती के इस अद्भुत स्थान के दर्शन का लाभ लोगों को मिलता है। जिस
कुण्ड में भगवान शिव व मां पर्वती की स्थापना है उसकी गहराई लगभग 20 फिट होगी। यहां कुण्ड में हर वक्त नदी का पानी व रेत भरा रहता है। मकर संक्रांति के पूर्व इसकी सफाई की जाती है तब कहीं जाकर दर्शन मिलते हैं। इसकी सफाई में कम से कम चार से पांच दिन का समय लगता है। इस मेले के बाद फिर से यह कुण्ड पूर्व स्थिति में आ जाता है।
थानेदार को दिया था स्वप्न
ऐसी अवधारणा हैं कि अंग्रेजी हुकुमत में जैतपुर के थानेदार रहे नर्वदा प्रसाद श्रीवास्तव ने इस स्थान की खोज की थी। जिन्हे स्वप्न में इस स्थान में शिवलिंग होने की जानकारी हुई थी। जिसके बाद उन्होने काफी प्रयास किया लेकिन शिवलिंग का कहीं कोई पता नही चला। जिसके बाद उनके द्वारा वहीं समीप ही भोलेनाथ की प्रतिमा रखकर उनकी पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी गई। जिसके कुछ दिन बाद फिर से स्वप्न में उक्त स्थान के विषय में जानकारी हुई। जिसके बाद उन्होने यहां पर साफ-सफाई व खुदाई कि तो इस कुण्ड में शिवलिंग व मां पार्वती की लगभग ढ़ाई फिट लंबी प्रतिमा स्थापित मिली। इसके चारो तरफ चिकने पत्थर है जिनमें कहीं कोई निशान नही हैं।
थाना प्रभारी करते हैं पहली पूजा
इस स्थान की सबसे खास बात यह भी है कि मकर संक्राति के दिन यहां सबसे पहली पूजा थाना प्रभारी के हाथो ही होती है। जानकारों की माने तो यहां स्व. पं. सीताराम शर्मा राजगुरु थे्। वही यहां पर पूजा पाठ कराते थे। जिनके स्वर्गवास के बाद अब उनके वंशज पूजा पाठ कराते हैं। फिलहाल इस रहस्यमयी स्थान में मकर संक्रांति के अवसर पर विजय प्रसाद शर्मा द्वारा पूजा पाठ कराई जाती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो