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बंद हुआ हुक्का पानी तो मंत्री ने मांग ली माफी

locationशाहडोलPublished: Dec 24, 2017 12:54:06 pm

Submitted by:

shivmangal singh

आदिवासी समुदाय के खिलाफ दिया था मप्र के इस मंत्री ने बयान

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डिंडोरी। मध्यप्रदेश सरकार के कबीना मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे का आदिवासी समुदाय ने हुक्का पानी बंद किया तो उन्हें झुकना पड़ा। उन्होंने आदिवासी समुदाय के खिलाफ दिए बयान पर माफी मांग ली है। मंत्री धुर्वे खुद भी आदिवासी समुदाय से आते हैं। कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे के बयान से उपजा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। आदिवासी संगठनों और समाज द्वारा दी गई कड़ी प्रतिक्रिया के बाद मंत्री ने भी यू टर्न ले लिया है। मंत्री ने दिए गए बयान पर माफी मांगी है। मंत्री ने कहा कि गलत जानकारी दिए जाने के कारण ऐसी स्थिति बनी है। मंत्री ने बयान बदलते हुए कहा कि मुझे ऐसी जानकारी नहीं थी, मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है पांचवी और छठवीं अनुसूची का मुझसे किसी ने पूछ लिया और मुझे भ्रामक जानकारी दी। मैं ग्वालियर में था, वहां से उन्होंने कहा कि इनकी गतिविधियां ठीक नहीं है और नक्सली जैसी हैं। जिस पर मैंने कहा ऐसा है तो ठीक नहीं है। बाद में मुझे जब पता चला चूंकि यहां यह गतिविधियां संचालित नहीं थीं। यह पांचवीं और छठवीं अनुसूची के समर्थन में है। यह रुढि़ ़़प्रथा है और इसके लिए लोग प्रयास कर रहे हैं कि रुढि़ प्रथा लागू हो, यह जानकारी जब मुझे लगी तो मुझे अच्छा नहीं लगा। लोगों के गलत बताने के कारण से कुछ मेरे बयान में अगर ऐसा आ गया है तो मैं उस पर क्षमा मांगता हूं और मैं समर्थन करता हूं जो भी संविधान में है, उसका मैं समर्थन करता हूं।

मंत्री धुर्वे का कर दिया गया है सामाजिक बहिष्कार
मंडला. मध्यप्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे का आदिवासियों के संगठन ने सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की है। सर्व आदिवासी समाज की ओर से घुघरी में आयोजित सामाजिक सम्मेलन में यह फैसला किया गया। यह सम्मेलन शहीद वीर नारायण सिंह का बलिदान दिवस मनाने के लिए दो दिन पहले आयोजित किया गया था। मंत्री धुर्वे के खिलाफ इस फैसले को लेकर संगठन 24 दिसंबर को जिला प्रशासन को ज्ञापन देगा।
सम्मेलन में मंत्री धुर्वे के उस बयान की निंदा की गई, जिसमें कहा गया था कि संविधान की पांचवीं अनुसूची डिंडोरी जिले में नक्सल और अलगाववाद का प्रारंभिक रूप है। सम्मेलन में मंत्री के इस बयान को आदिवासियों के खिलाफ माना और उनके सामाजिक बहिष्कार का प्रस्ताव रखा गया। परंपरा के अनुसार मिट्टी का तवा लाया गया और उसे तोड़कर धुर्वे को समाज से बहिष्कार करने की घोषणा की गई। इस मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व जनपद अध्यक्ष कमल सिंह मरावी थे, जबकि अध्यक्षता सरपंच हम्मी लाल मरावी ने की थी।

पट्टा के बारे में क्या बोले थे मंत्री
नारायण पट्टा को जनता ने पहले ही बहिष्कृत कर दिया है इसलिए उनकी बातों को तवज्जो देना उचित नही रही बात मेरे बयान की तो इस संबंध में जो भ्रांतियां है वह दूर की जा रही हैं मैं अपना पक्ष समाज के सामने निरंतर रख रहा हूँ मैं विकास यात्रा में निरंतर समाज के बीच पहुंच रहा हूँ। और मैं अपना पक्ष समाज व आमजन के बीच रख रहा हूँ जिससे वे संतुष्ट हैं आगामी दिनों में स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।

बहिष्कार खत्म के लिए रोटी बनानी होगी धुर्वे को
पूर्व विधायक नारायण पट्टा ने सामाजिक बहिष्कार की पुष्टि करते हुए कहा कि मंत्री का बयान बेहद आपत्तिजनक है, इसलिए आदिवासी समाज ने यह कदम उठाया है। जानकारों का यह भी कहना है कि इस बहिष्कार से धुर्वे के परिवार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन ओमप्रकाश धुर्वे को अब किसी भी आदिवासी समाज के कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाएगा। अगर धुर्वे समाज में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें परंपरा के अनुसार मिट्टी के तवे में रोटी पका कर समाज के लोगों को खिलानी पड़ेगी।

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