इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ के जनकपुर से भी नवजात इलाज के लिए यहां आते हैं। स्थिति यह है कि अब जिला अस्पताल के एसएनसीयू में नवजातों के लिए जगह कम पड़ रही है। अस्पताल प्रबंधन भी मजबूरन एक वार्मर में जरूरत पडऩे पर दो नवजातों को एक साथ रखकर इलाज कर रहा है। जिला अस्पताल में पिछले लंबे समय से यह समस्या बनी हुई है। 20 वार्मर के एसएनसीयू में हाल ही में अस्पताल प्रबंधन ने लगातार इलाज के लिए पहुंचने वाले मासूमों को गंभीरता से लेते हुए अतिरिक्त वार्मर लगाए हैं। इसके बाद भी उमरिया, अनूपपुर और जनकपुर से नवजात आने की वजह से वार्मर कम पड़ जाते हैं।
नवजातों में इंफेक्शन का खतरा
एक्सपर्ट की मानें तो एक वार्मर में एक से ज्यादा नवजातों को रखने से इंफेक्शन का खतरा रहता है। एसएनसीयू संवेदनशील यूनिट होने की वजह से संक्रमण का बेहद ध्यान रखना पड़ता है। कई मर्तबा ज्यादा मासूमों के पहुंचने की वजह से एसएनसीयू में एक ही वार्मर में दो नवजातों को एक साथ रखकर इलाज करना पड़ता है। संक्रमित मासूमों के साथ एक ही वार्मर में दूसरे नवजात के इलाज से संक्रमण फैल सकता है। इसके बाद भी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी प्रभावी पहल नहीं कर रहे हैं।
हर दिन तीन जिलों से पहुंच रहे मरीज
संभाग की सबसे बड़ी अस्पताल होने के कारण शहडोल के अलावा उमरिया, अनूपपुर और छग के जनकपुर तक से नवजातों को इलाज के लिए यहां लाया जाता है। जिला अस्पताल के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर दिन तीन से पांच बच्चों को यहां रेफर किया जा रहा है। इससे एसएनसीयू खचाखच भर जाता है।