बनमनई फाउंडेशन के संजय पयासी के अनुसार, पिछले चार साल से इन जंगली क्षेत्रों का अध्ययन कर रहे हैं। जिस भी जंगल से लगे गांव में क्रशर खुलता है वहां दुर्लभ लकडिय़ोंं की तस्करी, जंगली जानवरों का शिकार, गांजा की सप्लाई शुरू हो जाती है। वन्यजीवों के मूवमेंट पर भी असर पड़ता है।
संभाग के कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां दशकों पुराने जंगल अभी भी हैं। पर्यटन हब बड़ी और छोटी तुम्मी में बाघ सहित कई वन्यजीवों का रहवास है। इसी तरह किरर घाट के जंगल में भी 300 से ज्यादा पक्षी और 100 तरह की तितलियों के साथ दुर्लभ उडऩ गिलहरी का भी बसेरा भी है। खोह भी प्रकृति से घिरा है। संभाग के जंगलों में खनन गतिविधियों के लिए लगातार अनुमति दी जा रही है। इससे जंगल कट रहे हैं और वन्यजीवों के अस्तित्व पर भी संकट है। खनन गतिविधियों को लेकर पत्रिका ने मुद्दा उठाया था।