एनजीटी ने दिखाई सख्ती, हर हाल में करना होगा यह काम
शाहडोलPublished: Feb 14, 2020 10:15:04 pm
अधिकारियों ने गिनाई समस्याएं, बोले- अब नुकसान के साथ होगा दोगुना खर्च
एनजीटी ने दिखाई सख्ती, हर हाल में करना होगा यह काम
शहडोल. एनजीटी ने नगरीय क्षेत्र से निकलने वाले दूषित जल के शत् प्रतिशत उपचार की व्यवस्था को लेकर सख्ती दिखाई है। जिसे लेकर आदेश जारी किए गए हैं कि 31 मार्च 2021 तक अपने नगरीय क्षेत्र से निकलने वाले दूषित जल के उपचार हेतु सीवर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाएं। ऐसा नहीं होने पर सभी नगरीय निकायों को 10 लाख रुपए प्रति माह की बैंक गारंटी जमा करनी पड़ेगी। एनजीटी द्वारा जारी आदेश की समीक्षा के लिए शहडोल नगर पालिका के सभागार में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी संजीव मेहरा व जेडी नगरीय निकाय की उपस्थिति में सभी नगरीय निकायों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में नगरीय निकायों के मुख्य नगरपालिका अधिकारी एवं सिविल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण की अनिवार्यता व बायो रेमेडीएशन कराने पर जोर दिया गया। बैठक में विभागीय अधिकारी कर्मचारियों द्वारा आवश्यक दिशा निर्देशों के संबंध में विस्तार से बताया गया।
कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डॉ. आनंद दुबे द्वारा किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्रीय कार्यालय, म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शडोल की ओर से अमन रावत, प्रियंका उर्मलिया एवं सौरभ मिश्रा उपस्थित थे। इस दौरान शहर की स्वच्छता को लेकर भी कई निर्णय लिए गए। अधिकारियों ने चेताया कि किसी भी तरह की सीवर प्लांट स्थापित करने मे लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
एक माह के भीतर शुरू करना होगा काम
बैठक में एनजीटी के आदेश का हवाला देते हुए बताया गया कि नगरीय निकायों द्वारा प्राकृतिक जल स्त्रोतों में निस्तारित हो रहे दूषिण जल का शत प्रतिशत उपचार जरूरी है। जिसके लिए 31 मार्च 2020 तक सभी नगरीय निकायों को कम से कम इनसीटू बायोरेमेडिएशन करना तथा एसटीपी की स्थापना का कार्य शुरु करना अनिवार्य है। ऐना नहीं करने की स्थिति में नगरीय निकायों और राज्य के संबंधित विभागों को 5 लाख प्रति माह प्रति ड्रेन इनसीटू रेमीडिएशन न किए जाने की स्थिति में तथा 5 लाख प्रति एसटीपी की स्थापना का कार्य प्रारंभ न करने की स्थिति में कम्पनसेशन के रूप में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को देना होगा। एनजीटी के निर्देश के अनुसार 31 मार्च 2021 तक एसटीपी की स्थापना के साथ ही उसका संचालन करना होगा। इस समयावधि में नगरीय निकायों द्वारा एसटीपी का संचालन नहीं किया गया तो 10 लाख प्रतिमाह प्रति एसटीपी केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कम्पनसेशन के रूप में देना होगा। इसके निगरानी के लिए बकायदा टीम बनाई जाएगी। टीम पूरे मामले की जांच समय समय पर करेगी।
फिर टूटेंगी सड़कें और अन्य निर्माण कार्य
सीवर ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण की अनिवार्यता पर जोर दिया जा रहा है। जिसके निर्माण में कई समस्याएं भी सामने आ रही है। जिसमें सबसे बड़ी समस्या नगरीय क्षेत्रों में हो चुके विकास कार्यों को लेकर है। नगरीय क्षेत्रो में सड़क निर्माण, पाईप लाईन सहित अन्य कार्य पूर्व में हो चुके हैं। ऐसे में अब सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए फिर से पाईप लाईन बिछाए जाने पर इन निर्माण कार्यों को तोडऩा पड़ेगा। जिससे नुकसान होगा साथ ही उसका फिर से निर्माण कार्य कराने पर राशि खर्च करनी पड़ेगी। इसके अलावा पर्याप्त जगह के अभाव के साथ ही अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ेगा।